कोरा कागज़ (1974 फ़िल्म)
कोरा कागज़ | |
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निर्देशक | अनिल गाँगुली |
लेखक | सुरेन्द्र शैलज |
पटकथा | सुरेन्द्र शैलज |
कहानी | आशुतोष मुखोपाध्याय |
निर्माता | सनत कोठारी |
अभिनेता | विजय आनंद जया भादुरी |
छायाकार | बिपिन गज्जर |
संगीतकार | कल्याणजी आनंदजी |
निर्माण कंपनियां | |
वितरक | श्रीजी फिल्म्स इरोस एंटरटेनमेंट |
प्रदर्शन तिथि | 4 मई 1974 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
कोरा कागज़ (अंग्रेजी: Blank paper) 1974 में बनी हिन्दी फिल्म है। यह प्रमुख अभिनेत्री सुचित्रा सेन द्वारा अभिनीत बांगला फिल्म सात पाके बंधा (1963) का हिन्दी रूपांतरण है।
संक्षेप
प्रोफेसर सुकेश दत्त (विजय आनंद) और अर्चना गुप्ता (जया बच्चन) मुंबई में बेस्ट बस सेवा से यात्रा करते समय अचानक मुठभेड़ में एक दूसरे से मिलते हैं। अर्चना के पिता सुकेश को पसंद करते हैं और अर्चना और सुकेश दोनों भी एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो जाते हैं और शादी कर लेते हैं। अर्चना की मां सुकेश की मामूली आय के कारण उसे पसंद नहीं करती है। वह उनकी संपन्नता के बारे में कहानियां बनाती है, जो सुकेश को नाराज करती है। वह उनके जीवन में दखल देती है और घर के लिए चीजें खरीदती है। यह उसके अहंकार को चोट पहुंचाता है। इन सभी बातों के परिणामस्वरूप अर्चना और सुकेश के बीच कड़वाहट आ जाती है और वे अलग होने का फैसला करते हैं। अर्चना अपने माता-पिता के साथ रहने चली जाती है, जबकि सुकेश स्थानांतरित हो जाता है। अर्चना का परिवार उसे सुकेश को भूल जाने और पुनर्विवाह करने के लिए कहता है, जो अर्चना को मुश्किल लगता है क्योंकि उसके मन में अभी भी सुकेश के लिए भावनाएं हैं। वह सांत्वना पाने के लिए शिक्षक के रूप में काम करने के लिए दूर जाती है। एक दिन संयोग से सुकेश और अर्चना रेलवे वेटिंग रूम में मिल जाते हैं। वहां वे अपनी गलतफहमियों और शिकायतों का समाधान करते हैं। वे खुशी से जीने के लिए फिर से मिलते हैं।
चरित्र
मुख्य कलाकार
- विजय आनंद - प्रोफ़ेसर सुकेश दत्त
- जया भादुरी - अर्चना गुप्ता
- ए के हंगल - प्रिंसिपल गुप्ता
- अचला सचदेव - श्रीमती गुप्ता
- नाज़नीन - अरुणा गुप्ता
- दिनेश हिंगू - गोविंद गुप्ता
- रमेश देव - अर्चना का चाचा
- सीमा - अर्चना की चाची
- सुलोचना लाटकर - सुकेश की चाची
- मास्टर शाहिद - दीपक
- देवेन वर्मा - द्रोणाचार्य
दल
- निर्देशक - अनिल गाँगुली
- कथा - आशुतोष मुख़र्जी
- पटकथा - सुरेंद्र शैलज
- संवाद - एम् जी हशमत
- निर्माता - सनत कोठारी
- छायांकन - बिपिन गज्जर
- कला निर्देशक - अब्दुल रहीम
- नृत्य निर्देशक - सुरेश भट्ट, प्रवीण कुमार
- संगीतकार - कल्याणजी-आनंदजी
- गीतकार - एम् जी हशमत
- पार्श्वगायक - किशोर कुमार, लता मंगेशकर
संगीत
- गीत "मेरा जीवन कोरा कागज़" बिनाका गीत माला की 1974 वार्षिक सूची का 'शिखर' गीत रहा। [1]
गीत | गायक | समय | टिप्पणी |
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"मेरा जीवन कोरा कागज़" | किशोर कुमार | 3:35 | सफलतम गीत |
"मेरा पढने में नहीं लागे दिल" | लता मंगेशकर | 3:01 | |
"रूठे रूठे पिया" | लता मंगेशकर | 3:22 |
रोचक तथ्य
परिणाम
बौक्स ऑफिस
समीक्षाएँ
नामांकन और पुरस्कार
- मनोरंजन से भरपूर सबसे लोकप्रिय फिल्म
- लता मंगेशकर - सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका पुरस्कार - "रूठे रूठे पिया" गाने के लिए[2]
- फिल्मफेयर पुरस्कार विजयी
- फिल्मफेयर पुरस्कार नामांकन
- सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म
- सर्वश्रेष्ठ निर्देशक - अनिल गाँगुली
- सर्वश्रेष्ठ कथा - आशुतोष मुखर्जी
- सर्वश्रेष्ठ गीतकार - एम् जी हशमत गीत "मेरा जीवन कोरा कागज़" के लिए
- सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक - किशोर कुमार "मेरा जीवन कोरा कागज़" गाने के लिए[3]
- बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट असोसिएशन पुरस्कार
- लता मंगेशकर - सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका, हिंदी विभाग में
- किशोर कुमार - सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक, हिंदी विभाग में
- कल्याणजी आनंदजी - सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक, हिंदी विभाग में
- एम् जी हशमत - सर्वश्रेष्ठ गीतकार, हिंदी विभाग में[4]
स्रोत
- ↑ "बिनाका गीत माला की 1974 वार्षिक सूची". मूल से 13 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जून 2011.
- ↑ "DownMelodyLane..::..राष्ट्रीय पुरस्कार - दशक1971-1980". मूल से 16 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जून 2011.
- ↑ "पहला फिल्मफेयर पुरस्कार 1953" (PDF). मूल (PDF) से 12 जून 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जून 2011.
- ↑ "69वीं व 70वीं वार्षिक हीरो होंडा बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट असोसिएशन पुरस्कार 2007". मूल से 14 जनवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जून 2011.