कॉमरेड
कॉमरेड (comrade) अपने शाब्दिक अर्थ के रूप में 'साथी', 'सहकर्मी' या 'सहायक' के बराबर है। यह स्पैनिश और पुरतुगाली भाषा के शब्द camarada से निकलता है[1], जो लातीनी भाषा के शब्द camera से लिया गया है जिसका अर्थ 'कक्ष' या 'कमरा' है। राजनीति के क्षेत्र में इसका प्रयोग फ़्राँसीसी क्रांति के बाद शुरू हुआ है[2], जब इसका प्रयोग कामगारों और साम्यवादियों के बीच एक दूसरे के लिए प्रयोग किया जाने लगा। रूसी क्राँति के पश्चात पश्चिमी दुनिया में यह मूल रूप से तेज़ी से फैलती और दुनिया पर छाने जा रही साम्यवादी लहर से जोड़कर देखा जाने लगा। परंतु कुछ जगहों पर इसका ग़लत प्रयोग रूसी भाषियों के लिए भी किया जाता है, जो अनुचित है क्योंकि रूसी कॉमरेड के बजाए तोवारिश साँचा:Wikt-lang (साँचा:Wikt-lang) शब्द का प्रयोग करते हैं।
आधुनिक काल में
आधुनिक काल में कम्यूनिस्ट नेता स्वयं को कॉमरेड कहलाना पसंद करते हैं। उन नेताओं कुछ लोग साम्यवाद के प्रति समर्पित हैं और कुछ लोग केवल राजनीतिज्ञ हैं। एक ऐसे ही समर्पित नेता कॉमरेड महेंद्र सिंह की शहादत की याद में झारखंड में सामंतवादी जुल्म के खिलाफ संघर्ष का संकल्प के तौर पर 2005 पूरा राज्य खड़ा हो गया था । झारखंड के आधुनिक जननायकों में शहीद महेंद्र सिंह का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। दैनिक भास्कर के अनुसार लोकतंत्र के दुश्मनों ने जननायक और विचार क्रांति के योद्धा पूर्व विधायक महेंद्र प्रसाद सिंह के शरीर को इसी तिथि को 8 साल पहले 16 जनवरी 2005 को सरिया थाना क्षेत्र के दुर्गी-धवैया गांव में गोलियों से छलनी कर दिया था। सिंह 2005 के विधानसभा चुनाव के सिलसिले में दुर्गी-धवैया में जनसभा सह चुनावी सभा को संबोधित करने गए थे। उनकी हत्या की सीबीआई जांच भी कराई गई।[3]