केरोसीन
केरोसीन (मिट्टी का तेल) एक तरल खनिज है जिसका मुख्य उपयोग दीप, स्टोव और ट्रैक्टरों में जलाने में होता है। इस काम के लिये तेल की श्यानता कम, दमकांक ऊँचा, रंग साफ और हल्का, जलने पर दुर्गंध और धुआँ देनेवाले पदार्थों का अभाव रहना चाहिए। औषधियों में विलायक के रूप में, उद्योग धंधों में, प्राकृतिक गैस से पैट्रोल निकालने में तथा अवशोषक तेल के रूप में भी इसका व्यवहार होता है।
केरोसीन व्यापक रूप से विमान (जेट ईंधन) और कुछ रॉकेट इंजनों के जेट इंजनों के लिए उपयोग किया जाता है और इसका उपयोग आमतौर पर खाना पकाने और प्रकाश ईंधन के रूप में, और पोई जैसे आग के खिलौने के लिए भी किया जाता है । एशिया के कुछ हिस्सों में, मिट्टी के तेल का उपयोग कभी-कभी छोटे आउटबोर्ड मोटरों या यहां तक कि मोटरसाइकिलों के लिए ईंधन के रूप में किया जाता है । सभी उद्देश्यों के लिए विश्व में कुल केरोसिन की खपत लगभग १.२ मिलियन बैरल (५० मिलियन अमेरिकी गैलन; ४२ मिलियन शाही गैलन; १ ९ ० मिलियन लीटर) प्रतिदिन के बराबर है।
मिट्टी के तेल और बहुत अधिक ज्वलनशील और वाष्पशील गैसोलीन के बीच भ्रम को रोकने के लिए , कुछ अधिकार क्षेत्र केरोसिन को स्टोर करने या निकालने के लिए उपयोग किए जाने वाले कंटेनरों के लिए चिह्नों या रंग को विनियमित करते हैं। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में, पेंसिल्वेनिया को केरोसिन के लिए खुदरा सेवा स्टेशनों पर उपयोग किए जाने वाले पोर्टेबल कंटेनरों को नीले रंग के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जैसा कि लाल ( गैसोलीन के लिए ) या पीले ( डीजल ईंधन के लिए )।
परिचय एवं विशेषताएँ
केरोसीन कच्चे पेट्रोलियम का वह अंश है जो 175-275 सें. ताप पर आसुत होता है। इसका विशिष्ट गुरुत्व 0.775 से लेकर 0.850 तक होता है। इसमें पैराफिन, नैफ्थीन और सौरभिक हाइड्रोकार्बन रहता है। इसका भौतिक और रासायनिक गुण उपस्थित हाइड्रोकार्बनों के अनुपात, संघटन और क्वथनांक पर निर्भर करता है। इसका दमकांक (flash point) 24 से लेकर 66 सें. तक के बीच है। इसका रंग हल्का हरा या पीला से लेकर जल सा स्वच्छ हो सकता है।
कच्चे केरोसीन में सौरभिक हाइड्रोकार्बन (40 प्रतिशत तक) आक्सिजन, गंधक और नाइट्रोजन के कुछ यौगिक रहते हैं। ऐसे तेल की सफाई पहले सल्फ्यूरिक अम्ल के उपचार से, फिर सोडा विलयन और जल से धोकर की जाती है। धोने के बाद या तो फुलर मिट्टी पर छानते अथवा पुन: आसवन करते हैं। इससे अनेक अनावश्यक पदार्थ, फीनोल आदि आक्सि यौगिक, सौरभिक और असंतृप्त हाइड्रोकार्बन, गंधक के यौगिक इत्यादि निकल जाते हैं। उपचार के बाद भली-भांति धोना बड़ा आवश्यक है नहीं तो लालटेन की बत्ती या बर्नर पर निक्षेप बैठ सकता है। सौरभिक और चक्रीय हाइड्रोकार्बन (नैफ़थीन) भली भाँति पृथक् न होने पर बत्ती पर कजली जम सकती है।
तेल के तनाव और श्यानता पर जलने का गुण निर्भर करता है। जब तेल अधिक श्यान होता है तब वह बत्ती में अधिक उठता नहीं और लौ छोटी होती है। जलने पर तेल का अधिक भाग जलकर ऊँचा ताप उत्पन्न करता है तथा कुछ भाग का भंजन होकर गैसीय हाइड्रोकार्बन और कोक बनाते हैं। कोक से फिर दहनशील गैसें बनकर जलती हैं। कुछ को तापदीप्त होकर प्रकाश उत्पन्न करता और फिर अंत में जलकर डाइआक्साइड बनता है।
केरोसीन का परीक्षण गुरुत्व, आसवन परस, गंधक की मात्रा, रंग और दमनांक के निर्धारण से किया जाता है। दीप में विस्फोट न हो, इसके लिये दमनांक का नीचा न होना आवश्यक है। केरोसीन में निम्न दमनांक का होना कानून से भी अनेक देशों में वर्जित है। उष्मा और प्रकाश उत्पन्न करने की क्षमता का भी कभी कभी परीक्षण होता है।
केरोसीन का संघटन एक सा नहीं होता। किसी में पैराफिनीय हाइड्रोकार्बन और किसी में नैफ्थीनीय हाइड्रोकार्बन अधिक रहते हैं। पर ये दोनों पदार्थ सब तेलों में रहते अवश्य हैं।
बाहरी कड़ियाँ
- "Kerosene", Webster Online Dictionary
- Article on Gesner
- Kerosene Fuel Primer
- San Diego Union-Tribune Article