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केदारनाथ नगर

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केदारनाथ
Kedarnath
नगर
केदारनाथ बस्ती का दृश्य
केदारनाथ बस्ती का दृश्य
केदारनाथ is located in उत्तराखंड
केदारनाथ
केदारनाथ
उत्तराखण्ड में स्थिति
निर्देशांक: 30°44′N 79°04′E / 30.73°N 79.07°E / 30.73; 79.07निर्देशांक: 30°44′N 79°04′E / 30.73°N 79.07°E / 30.73; 79.07
देश भारत
प्रान्तउत्तराखण्ड
ज़िलारुद्रप्रयाग ज़िला
ऊँचाई3553 मी (11,657 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल612
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी, गढ़वाली
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड246445

केदारनाथ (Kedarnath) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल मण्डल के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले के मुख्यालय, रुद्रप्रयाग से 86 किमी दूर है। यह केदारनाथ धाम के कारण प्रसिद्ध है, जो हिन्दू धर्म के अनुयाइयों के लिए पवित्र स्थान है। यहाँ स्थित केदारनाथ मंदिर का शिवलिंग बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है, और हिन्दू धर्म के चारधाम और पंच केदार में गिना जाता है।।[1][2][3]

विवरण

केदारनाथ

श्रीकेदारनाथ का मंदिर ३,५९३ मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ एक भव्य एवं विशाल मंदिर है। इतनी ऊँचाई पर इस मंदिर को कैसे बनाया गया, इस बारे में आज भी पूर्ण सत्य ज्ञात नहीं हैं। सतयुग में शासन करने वाले राजा केदार के नाम पर इस स्थान का नाम केदार पड़ा। राजा केदार ने सात महाद्वीपों पर शासन और वे एक बहुत पुण्यात्मा राजा थे। उनकी एक पुत्री दो पुत्र थे । पुत्रका नाम कार्तिकेय (मोहन्याल)गणेश था । गणेश बुद्दि व कार्तिकेय (मोहन्याल) शक्ति के राजा देवता के रुपमे संसार प्रसिद्द है ।उनकी एक पुत्री थी वृंदा जो देवी लक्ष्मी की एक आंशिक अवतार थी। वृंदा ने ६०,००० वर्षों तक तपस्या की थी। वृंदा के नाम पर ही इस स्थान को वृंदावन भी कहा जाता है।

यहाँ तक पहुँचने के दो मार्ग हैं। पहला १४ किमी लंबा पक्का पैदल मार्ग है जो गौरीकुण्ड से आरंभ होता है। गौरीकुण्ड उत्तराखंड के प्रमुख स्थानों जैसे ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून इत्यादि से जुड़ा हुआ है। दूसरा मार्ग है हवाई मार्ग। अभी हाल ही में राज्य सरकार द्वारा अगस्त्यमुनि और फ़ाटा से केदारनाथ के लिये पवन हंस नाम से हेलीकाप्टर सेवा आरंभ की है और इनका किराया उचित है। सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर बंद कर दिया जाता है और केदारनाथ में कोई नहीं रुकता। नवंबर से अप्रैल तक के छह महीनों के दौरान भगवान केदा‍रनाथ की पालकी गुप्तकाशी के निकट उखिमठ नामक स्थान पर स्थानांतरित कर दी जाती है। यहाँ के लोग भी केदारनाथ से आस-पास के ग्रामों में रहने के लिये चले जाते हैं। वर्ष २००१ की भारत की जनगणना[4] के अनुसार केदारनाथ की जनसंख्या ४७९ है, जिसमें ९८% पुरुष और २% महिलाएँ है। साक्षरता दर ६३% है जो राष्ट्रीय औसत ५९.५% से अधिक है (पुरुष ६३%, महिला ३६%)। ०% लोग ६ वर्ष से नीचे के हैं।[]

भ्रमण

यहां स्थापित प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ केदारनाथ मंदिर अति प्राचीन है। कहते हैं कि भारत की चार दिशाओं में चार धाम स्थापित करने के बाद जगतगुरु शंकराचार्य ने ३२ वर्ष की आयु में यहीं श्री केदारनाथ धाम में समाधि ली थी। उन्हीं ने वर्तमान मंदिर बनवाया था। यहां एक झील है जिसमें बर्फ तैरती रहती है इस झील के बारे में प्रचलित है इसी झील से युधिष्ठिर स्वर्ग गये थे। श्री केदारनाथ धाम से छह किलोमीटर की दूरी चौखम्बा पर्वत पर वासुकी ताल है यहां ब्रह्म कमल काफी होते हैं तथा इस ताल का पानी काफी ठंडा होता है। यहां गौरी कुण्ड, सोन प्रयाग, त्रिजुगीनारायण, गुप्तकाशी, उखीमठ, अगस्तयमुनि, पंच केदार आदि दर्शनीय स्थल हैं।

केदारनाथ आने के लिए कोटद्वार जो कि केदारनाथ से २६० किलोमीटर तथा ऋर्षिकेश जो कि केदारनाथ से २२९ किलोमीटर दूर है तक रेल द्वारा आया जा सकता है। सड़क मार्ग द्वारा गौरीकुण्ड तक जाया जा सकता है जो कि केदारनाथ मंदिर से १४ किलोमीटर पहले है। यहां से पैदल मार्ग या खच्चर तथा पालकी से भी केदारनाथ जाया जा सकता है। नजदीक हवाई अड्डा जौली ग्रांट २४६ किलोमीटर दूरी पर स्थित है, यहां से केदारनाथ के लिए हवाई सेवा हाल ही में शुरू हुई है जो सुलभ है।[5]

आवागमन

हिमालय के पवित्र तीर्थों के दर्शन करने हेतु तीर्थयात्रियों को रेल, बस, टैक्सी आदि के द्वारा हरिद्वार आना चाहिए। हरिद्वार से उत्तराखंड की यात्राओं के लिए साधन उपलब्ध होते हैं। हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी 247 किलोमीटर है। हरिद्वार से गौरीकुण्ड 233 किलोमीटर की यात्रा मोटरमार्ग से की जाती है, जबकि गौरी कुण्ड से केदारनाथ तक 14 किलोमीटर की दूरी पैदल मार्ग से जाना पड़ता है। पैदल चलने में असमर्थ व्यक्ति के लिए गौरी कुण्ड से घोड़ा, पालकी, पिट्ठू आदि के साधन मिलते हैं। यह यात्रा हरिद्वार से ऋषिकेश, देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, तिलवाड़ा, अगस्त्यमुनि कुण्ड, गुप्तकाशी, नाला, फाटा, रामपुर, सोनप्रयाग, गौरीकुण्ड, रामबाढ़ा और गरुड़चट्टी होते हुए श्रीकेदारनाथ तक पहुँचती है। [6]

इतिहास

केदारनाथ भारत के उत्तराखंड राज्य में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह हिंदुओं का अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। "केदारनाथ का इतिहास" हिंदू पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों से निकटता से जुड़ा हुआ है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में एक है, जिन्हें भगवान शिव का सबसे पवित्र निवास माना जाता है। कहानी यह है कि कुरुक्षेत्र युद्ध (जैसा कि भारतीय महाकाव्य महाभारत में वर्णित है) के बाद, पांडवों ने युद्ध के दौरान किए गए अपने पापों, विशेषकर अपने रिश्तेदारों की हत्या के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगी। हालाँकि, शिव उनसे मिलना नहीं चाहते थे और उन्होंने एक बैल (नंदी) का रूप धारण किया और हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में छिप गए। माफी मांगने के लिए दृढ़ संकल्पित पांडवों ने शिव का पीछा किया और अंततः उन्हें मंदाकिनी और गंगा नदियों के संगम पर पाया। उन्हें पहचानकर, शिव ने जमीन में गोता लगाया, लेकिन भीम (पांडवों में से एक) ने बैल की पूंछ पकड़ ली। शिव ने उनकी दृढ़ता और भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें क्षमा कर दी और पांच अलग–अलग स्थानों पर अपने दिव्य रूप में प्रकट हुए, जिन्हें अब पंच केदार के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि बैल का कूबड़ केदारनाथ में प्रकट हुआ था, जहां भगवान शिव के सम्मान में एक मंदिर बनाया गया था। माना जाता है कि वर्तमान मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी ईस्वी में महान भारतीय दार्शनिक और धर्मशास्त्री आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था। उन्हें कई हिंदू मठ संस्थानों की स्थापना करने और पूरे भारत में हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है। मंदिर की वास्तुकला हिंदू और तिब्बती शैलियों का मिश्रण दर्शाती है।

चित्रदीर्घा

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. "Start and end points of National Highways". मूल से 22 September 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 April 2009.
  2. "Uttarakhand: Land and People," Sharad Singh Negi, MD Publications, 1995
  3. "Development of Uttarakhand: Issues and Perspectives," GS Mehta, APH Publishing, 1999, ISBN 9788176480994
  4. "भारत की जनगणना २००१: २००१ की जनगणना से डाटा, समेत नगरों, ग्रामों और कस्बों का (अनंतिम)". भारतीय जनगणना आयोग. मूल से 16 जून 2004 को पुरालेखित.
  5. श्री केदारनाथ [मृत कड़ियाँ]। घुघुती। २२ फ़रवरी २००९
  6. "केदारनाथ मन्दिर". चारधाम यात्रा.