सामग्री पर जाएँ

कूलॉम-नियम

कूलॉम Archived 2023-08-20 at the वेबैक मशीन-नियम (Coulomb's law) विद्युत आवेशों के बीच लगने वाले स्थिरविद्युत बल के बारे में एक नियम है जिसे कूलम्ब नामक फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने १७८० के दशक में प्रतिपादित किया था। यह नियम विद्युतचुम्बकत्व के सिद्धान्त के विकास के लिये आधार का काम किया। यह नियम अदिश रूप में या सदिश रूप में व्यक्त किया जा सकता है। अदिश रूप में यह नियम निम्नलिखित रूप में है।

"दो स्थिर बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षण या प्रतिकर्षण बल दोनों आवेशों के परिणामों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।"

इस नियम को अदिश रूप में निम्नलिखित प्रकार से लिख सकते हैं- जहाँ ke कूलॉम्ब नियतांक है जिसका मान ke9,00,00,00,000 N⋅m2⋅C−2 या 9×10⁹ N•m²•C² होता है।[1] q1 और q2 दोनों आवेशों के चिह्नसहित मान हैं, और r दोनों आवेशों के बीच की दूरी है। जब दोनों आवेश विपरीत चिह्न के होते हैं तो उनके बीच आकर्षण होता है जबकि दोनों आवेश समान होने पर प्रतिकर्षण होता है।

कूलॉम के नियम की सीमाएँ

  • कूलाम्ब का नियम केवल बिंदु आवेशों के लिए ही सत्य है।
  • यह नियम अधिक दूरी के लिए सत्य नहीं है।
  • यह नियम 10^-15 मीटर से कम दूरियों के लिए भी सत्य नहीं है, क्योंकि 10^-15 मीटर से कम दूरियों पर नाभिकीय बल की प्रधानता के कारण ये बल अनुपयुक्त हो जाता है ।
  • यह एक सार्वत्रिक(universal) नियम नहीं है।

इन्हें भी देखें

कूलॉम्ब की ऐंठन (टॉर्शन) तुला

बाहरी कड़ियाँ

  1. Huray 2010, पृष्ठ 7