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कुछ रंग प्यार के ऐसे भी

कुछ रंग प्यार के ऐसे भी
शैलीप्रेम, नाट्य
निर्माणकर्तादुर्जोय दत्ता
लेखकदुर्जोय दत्ता
कथाकारमिताली भट्टाचार्य
शिप्रा अरोरा
निर्देशकसाकेत चौधरी
रचनात्मक निर्देशकप्रियंका बाजपेई
वाचनआदिल-प्रशांत
सुभाजित मुखर्जी
अर्पिता मुखर्जी
थीम संगीत रचैयतासुभाजित मुखर्जी
संगीतकारदुर्जोय दत्ता
मूल देशभारत
मूल भाषा(एँ)हिन्दी
सीजन की सं.3
एपिसोड की सं.कुल 504
उत्पादन
निर्मातायश पटनायक,
ममता यश पटनायक
उत्पादन स्थानसीजन 1 और 2 :- दिल्ली , कोलकाता
सीजन 3 :- हैदराबाद
छायांकनसतीष शेट्टी
संपादकक्षितिजा खंडागले
कैमरा स्थापनबहु-कैमरा
प्रसारण अवधिलगभग 24 मिनट
उत्पादन कंपनियाँबियोंड ड्रीम्स प्राइवेट लिमिटेड
इंस्पायर फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड
मूल प्रसारण
नेटवर्कसोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन
सोनी लिव
प्रसारणफ़रवरी 29, 2016 (2016-02-29) –
12 नवंबर 2021
संबंधित
कुछ रंग प्यार के ऐसे भी: नई कहानी

कुछ रंग प्यार के ऐसे भी एक लोकप्रीय भारतीय हिन्दी धारावाहिक है, जिसका प्रसारण सोनी पर 29 फरवरी 2016 से 2 नवम्बर 2017 तक हुआ। इस धारावाहिक के निर्माता यश पटनायक और ममता यश पटनायक हैं। इस शो के मुख्य भूमिका में नजर आते थे शहीर शेख, एरिका फर्नान्डिज और सुप्रिया पिलगांवकर

कहानी

देव एक बहुत बड़ा व्यापारी है, जो अपनी माँ ईश्वरी और तीन बहनों के साथ रहता है। देव आठ वर्ष की उम्र में ही अपने पिता को खो चुका होता है। उसकी माँ ईश्वरी अपने बच्चों को पालने हेतु बहुत से त्याग करती है। देव अपनी माँ के खुशी के लिए कुछ भी करने को तत्पर रहता है। देव अपनी माँ की घर में देख रेख के लिए सोनाक्षी को रखता है। बाद में दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं। जब उन दोनों के प्यार के बारे में ईश्वरी को पता चलता है तो वो यकीन नहीं कर पाती कि उसका बेटा उससे बातें छुपाने लगा है। देव को अपने मामा से पता चलता है कि उसकी माँ को उसके प्यार के बारे में पता है। वो अपनी माँ से सोनाक्षी के बारे में बात करता है और उसकी माँ मान जाती है।

देव को सोनाक्षी के प्यार में पागल हुए फिरते देख उसकी माँ अवसाद (डिप्रेशन) में चले जाती है। जब देव को पता चलता है कि उसके माँ की उदासी की वजह सोनाक्षी है तो वो उसके साथ रिश्ता तोड़ देता है। इस तरह से रिश्ता तोड़ देने से सोनाक्षी दुःखी हो जाती है और जल्द से जल्द किसी से भी शादी करने के पीछे पड़ जाती है। सोनाक्षी के इस फैसले से देव की हालत खराब होने लगती है और मजबूरी में ईश्वरी को सोनाक्षी को वापस लाने के लिए कहना पड़ता है। इसके बाद उन दोनों की शादी हो जाती है और शादी के बाद देव की मामी उर्फ गरीब की बेटी अपना रंग दिखाना शुरू कर देती है और परिवार वालों के बीच आग लगाने का काम शुरू कर देती है। जिससे दीक्षित और बोस परिवार वालों के बीच इतना तनाव बढ़ जाता है कि देव और सोनाक्षी अलग हो जाते हैं और सोनाक्षी दिल्ली से बाहर चले जाती है।

सात साल बाद

सोनाक्षी अपने काम से कोलकाता से दिल्ली आती है और वो अपनी 6 साल की बेटी, सुहाना को बताती है कि उसके पिता भी दिल्ली में रहते हैं। देव और सोनाक्षी दिल्ली में एक पुरस्कार समारोह में मिलते हैं। देव को जल्द ही एहसास हो जाता है कि सुहाना उसकी ही बेटी है और कई कोशिशों के बाद वो देव को अपना लेती है। बाद में ईश्वरी भी सोनाक्षी को पसंद करने लगती है और वो दोनों फिर से एक हो जाते हैं। देव और सोनाक्षी का शुभ नाम का एक बच्चा भी होता है।

6 माह बाद

देव और सोनाक्षी न तो अच्छी तरह बच्चों को संभाल पा रहे हैं और न तो ठीक से अपना अपना काम कर पा रहे हैं। बच्चों की चिंता कर रही ईश्वरी, सोनाक्षी से कहती है कि वो अपनी नौकरी छोड़ कर शुभ और सुहाना की देख रेख करे। देव को सोनाक्षी का अपने काम के लिए प्यार का पता होता है और वो सोनाक्षी को अपना काम जारी रखने को कहता है और खुद काम छोड़ कर घर संभालने बैठ जाता है। कहानी के अंत में शुभ अपने माता-पिता का नाम लेने लगता है और इसी के साथ कहानी समाप्त हो जाती है।

कलाकार

  • शहीर शेख - देवरथ दीक्षित[1]
  • एरिका फर्नान्डिज - डॉ॰ सोनाक्षी बोस
  • सुप्रिया पिलगांवकर - ईश्वरी दीक्षित
  • जगत राँव - विजय बोस
  • मून बेनर्जी - आशा बोस
  • मुश्ताक खान - वलदेव
  • अल्का मोघा - राधाराणी
  • वैैैभव सिंह - विक्कि
  • प्रेरणा पनवर - एलिना
  • आशिका भाटिया - निक्की
  • अंकिता बहुगुणा - रिया
  • चेष्ठा भगत - नेहा
  • जिया खान - बाल कलाकार
  • पवन चोपड़ा - नताशा के पिता
  • रूप दुर्गपाल - नताशा गुजराल
  • हेमन्त चौधरी - डॉ॰ सिन्हा

सन्दर्भ

  1. "Even though she spoke English, we Could hardly understand each other's emotions: Shaheer Sheikh" (अंग्रेज़ी में). टाइम्स ऑफ इंडिया. मूल से 17 जनवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 जनवरी 2016. Italic or bold markup not allowed in: |publisher= (मदद)

बाहरी कड़ियाँ