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किम डे-जुंग

किम डे-जुंग

पद बहाल
२५ फ़रवरी १९९८ – २५ फ़रवरी २००३
प्रधानमंत्री किम जोंग-पिल
पार्क ताए-जून
ली हान-डोंग
चांग सांग
चांग डीए-वान
किम सुक-सू
पूर्वा धिकारी किम यंग-सैम
उत्तरा धिकारी रोह मू-ह्यून

नेशनल असेंबली के सदस्य
पद बहाल
३० मई १९८८ – १९ दिसंबर १९९२
चुनाव-क्षेत्र आनुपातिक प्रतिनिधित्व
पद बहाल
१ जुलाई १९७१ – १७ अक्टूबर १९७२
चुनाव-क्षेत्र आनुपातिक प्रतिनिधित्व
पद बहाल
१७ दिसंबर १९६३ – ३० जून १९७१
चुनाव-क्षेत्र मोकोपो (दक्षिण जियोला )
पद बहाल
१४ मई १९६१ – १६ मई १९६१
चुनाव-क्षेत्र इञे, गंगवोन प्रांत

जन्म 6 जनवरी 1924
हौइडो, सीनान काउंटी, दक्षिण जियोला प्रांत, जापानी कोरिया
मृत्यु 18 अगस्त 2009(2009-08-18) (उम्र 85)
सियोल, दक्षिण कोरिया]]
राजनीतिक दल नेशनल कांग्रेस फॉर न्यू पॉलिटिक्स
बच्चे
धर्म रोमन कैथोलिक
पुरस्कार/सम्मान फिलाडेल्फिया लिबर्टी मेडल (१९९९)
नोबेल शांति पुरस्कार (२०००)
हस्ताक्षर
सैन्य सेवा
निष्ठा  South Korea
सेवा/शाखा कोरिया गणराज्य नौसेना
पद सब लेफ्टिनेंट

किम डे-जुंग (६ जनवरी १९२४ - १८ अगस्त २००९) दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति थे १९९८ से २००३ तक। उन्हे २००० में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मनित किया गया था। [1]

जीवन

किम डे-जुंग का जन्म ६ जनवरी १९२४ को दक्षिण कोरिया के दक्षिण-पश्चिमी तट के एक द्वीप पर एक छोटे से गांव में हुआ था। हालांकि उनकी आधिकारिक जन्म तिथि ३ दिसंबर १९२५ है। उन्होंने १९४३ में कमर्सियल हाई स्कूल से स्नातक किया। जब सिंमन रीही प्रशासन (१९४८-१९६०) की तेजी से तानाशाही बढने लगी, तब उन्होंने राजनीति में प्रवेश करने का फैसला किया। दो असफल प्रयासों के बाद १९६१ में वह द्वि-चुनाव में नेशनल असेंबली के लिए चुने गए। १९७१ में वो न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चुने गए, जो शक्तिशाली राष्ट्रपति पार्क चुंग ही के खिलाफ खडे थे। बाधावादी रणनीति और सत्तारूढ़ पार्टी के अवैध चुनाव प्रक्रियाओं के बावजूद, उन्होंने ४६ प्रतिशत मतों पर कब्जा किया।

१९७१ के राष्ट्रपति चुनाव के तुरंत बाद विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान किम पर उनके राजनीतिक दुश्मनों द्वारा हमला हुआ। ये पांच प्रयासों में से पहला हमला था। एक भारी ट्रक उनकी कार में घुसा, और गंभीरता से उन्हे और उनके दो सहयोगियों को घायल कर दिया। किम जीवनभर इस पैर की चोट से ग्रस्त रहे। किम ने इन संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान में पार्क के शासन के खिलाफ अभियान चलाया। अगस्त १९७३ में, कोरियाई सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के एजेंटों ने टोक्यो के होटल से किम का अपहरण कर लिया। यह साजिश उनको "समाप्त" करने की थी, लेकिन अमेरिका और जापान के तेज और मजबूत प्रतिक्रियाओं के कारण एक हफ्ते बाद सियोल में उनकी रिहाई हो गई। पर परिणामस्वरूप उन्हें तत्काल घर की गिरफ्तारी मे रखा गया था। १ मार्च १९७६ को, "लोकतांत्रिकता के लिए स्वतंत्रता दिवस घोषणा" जारी करने में अदम्य विपक्षी नेता और अन्य लोकतंत्र सेनानियों में किम शामिल हुए थे। इसके बाद, उन्हे जेल में पांच साल की सजा सुनाई गई। वह जेल में बने रहे जब तक कि अधिकारियों ने उन्हें रिहा नहीं किया और १९७८ में उन्हे घर की गिरफ्त में रखा गया।

दिसंबर १९९७ में, वह राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए थे, ४० प्रतिशत मतों को जीतने के बाद। जब वह कोरिया गणराज्य के आठवें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए, तो वह कोरिया के आधुनिक इतिहास में सत्ता का पहला परिवर्तन था। राष्ट्रपति किम ने खुद को आर्थिक सुधार के कार्य के लिए समर्पित किया और देश को दिवालिएपन के कगार से वापस खींचने में कामयाब रहे। कोरियाई लोगों के लिए राष्ट्रपति किम के दर्शन ने उन्हें उत्तर कोरिया की ओर बढ़ने की नीति का पालन करने के लिए प्रेरित किया।[2]

सन्दर्भ

  1. "Kim Dae-jung - Facts". नोबेल पुरस्कार. मूल से 3 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २८ सितंबर २०१७.
  2. "Kim Dae-jung - Biographical". नोबेल पुरस्कार. मूल से 28 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २८ सितंबर २०१७.