कासली
कासली, सीकर जिले से 9 किलोमीटर पूर्व में स्थित एक गाँव है जिसे गांवडी या बड़ा गाँव भी कहा जाता है.कासली में सभी जातियों के लोग एकता और प्रेम से रहते हैं यहाँ पर राजपूत, कायमखानी, कुम्हार, ब्राह्मण,मेघवाल, और जाट मुख्य जातियां प्रेम और सोहार्द के साथ निवास करती हैं. इस गाँव में वर्षा के दिनों में बहुत तेज भहाव के साथ नदी बहती है.
इतिहास
रतनलाल मिश्र ने भी लिखा है कि कुम्भलगढ़ प्रशस्ति से ज्ञात होता है कि महाराणा कुम्भा जांगलस्थल को युद्ध में रोंदता हुआ आगे बढे और उन्होने कासली को अचानक जीत लिया। उस समय कासली पर सम्भवतः चन्देलों का राज्य था जो पहले चौहानों के सामन्त थे पर उनके कमजोर पड़ने पर स्वतंत्र हो गए थे। रेवासा, कासली और संभवत: खाटू के आसपास का प्रदेश इनके अधिकार में था। महाराणा के दुन्दुभियों के जयघोष से धुंखराद्रि (धोकर, जिसे वर्तमान में सीकर कहा जाता है ) को भी जीत लिया था । महाराणा ने आगे बढकर खण्डेले के दुर्ग को और शेखावाटी के अनेक स्थानों को पददलित कर दिया।