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कार्ल वाईश्ट्रास

जर्मन गणितज्ञ कार्ल वाइश्ट्रास

कार्ल वाईश्ट्रास (Karl Weierstrass, 1815 ई. - १८९७ ई.) जर्मन गणितज्ञ थे।

वाईश्ट्रास का जन्म ३१ अक्टूबर, १८१५ ई. को बेस्टफ़ालिया के ऑस्टनफेल्ड ग्राम में हुआ था। आरंभ में ये मुंस्टर, दयट्श्चक्रोने और ब्राउन्सबेर्ख में अध्यापक रहे। ब्राउन्सबेर्ख में इन्होंने 'आबेल के फलनों' का अध्ययन आरंभ किया और यहाँ पर लिखित शोधपत्रों पर क्येनिग्सवेर्ख विश्वविद्यालय ने इन्हें ससम्मान पी-एच. डी. की उपाधि प्रदान की। ४९ वर्ष की आयु में ये बर्लिन विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर नियुक्त हुए। १८४९ ई. के पश्चात् 'आबेल के अनुकलों' पर इन्होंने एक ऐसे आश्चर्यजनक फलन का आविष्कार किया जिसके एक विशेष अंतर में कोई अवकल नहीं है। ये उन विश्लेषिक फलनों को अत्यंत महत्व दिया करते थे जिनका घात श्रेणी (पॉवर सीरीज) में विस्तार किया जा सके। १९ फरवरी, १८९७ ई. को बर्लिन में इनका देहांत हो गया।