कार्यस्थल दुर्घटना
औद्योगिक मनोविज्ञान में 'दुर्घटना' शब्द का उपयोग विशेष अर्थों में किया जाता है। कार्यस्थल दुर्घटनाएँ या 'औद्योगिक दुर्घटनाएं' सिर्फ वे होती हो जो कार्य परिस्थिति तथा कार्य संपादन प्रणालियों में कतिपय हुई त्रुटियों के कारण घटित होती है।[1][2] दुर्घटना शब्द को परिभाषा में बांधना कठिन कार्य है, फिर भी ये ऐसी अप्रिय दुर्घटनाएं होती हो जो अप्रत्याशित होती हैं। मनोवैज्ञानिकों का मत है कि दुर्भिक्ष, अकाल, संक्रामक रोग, भूकंप आदि प्रत्याशित हैं और इनमें ही जानमाल की क्षति होती है, फिर भी इन्हें दुर्घटना नहीं कहा जा सकता है। उद्योगों के संबंध में इन विचारों को उपयुक्त नहीं माना जा सकता है।
औद्योगिक दुर्घटनाएं उद्योग में कार्यरत व्यक्तियों तक ही सीमित होती है, जिनका संबंध यंत्र-चालन तथा परिवहन-चालन से होता है। इन दुर्घटनाओं की उत्पत्ति कार्य तथा कार्यकर्त्ता से संबंधित दोषपूर्ण अवस्थाओं के कारण होती है।
दुर्घटना की परिभाषा कार्यों एवं परिस्थितियों के अनुरूप बदलती रहती है। आधुनिक मनोविज्ञानी दुर्घटना को नए अंदाज से देखते हैं। उनका मत है कि अलग-अलग देशों में श्रम कानून भी अलग-अलग हैं इसलिए दुर्घटना की परिभाषा भी बदलती रहती है।
एक समय था जब दुर्घटना को दैवी प्रेरणा का कारण माना जाता था। विज्ञान के विकास और उद्योग में मनोविज्ञान के आगमन से इस पुरानी मान्यता को निरर्थक माना गया। इस समस्या की ओर विद्वानों का ध्यान गया, धीरे-धीरे औद्योगिक क्षेत्र में इस प्रश्न पर गंभीरता से विचार किया गया। विद्वानों ने दुर्घटना से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण प्रदत्तों का संकलन कर इसे अपने शोधकार्य का मुख्य विषय बना दिया। पश्चिमी देशों ने इस दिशा में बहुत प्रगति की। भारत के विद्वानों ने महत्त्वपूर्ण तथ्यों को सर्वसाधारण के समक्ष प्रस्तुत किया। आधुनिक उद्योगों में दुर्घटना को अभिशाप समझा जाता है। इन दुर्घटनाओं से उद्योग में भारी क्षति होती रहती है।
दुर्घटना के कारण
दुर्घटना के निम्नलिखित कारण हैं -
- 1. तकनीकी कारण - मशीनों की खराबी, खराब रखरखाव, मशीनों का उचित घेराबन्दी न होना, अतिभीड़ इत्यादि कारणों से कर्मकार दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।
- 2. वैयक्तिक कारण - अनुचित भर्ती, भर्ती तथा स्थानान्तरण में असावधानी, उपेक्षा, अनुचित माध्यम का चुनाव, अपर्याप्त निपुणता, अपर्याप्त पर्यवेक्षण, अन्य लोगों के असमायोजन इत्यादि के द्वारा दुर्घटना घटित होती है।
- 3. मनोवैज्ञानिक कारण - दुर्घटनायें मनोवैज्ञानिक कारणों से भी होती है जिनम कर्मकारों का मनोबल उच्च न होना, उनको उचित सलाह का न मिलना आते हैं।
- 4. सुरक्षा नियमों की उपेक्षा - कर्मकार कभी-कभी सुरक्षा नियमों की उपेक्षा कर जाते हैं जिसका परिणाम दुर्घटना का होना पाया जाता है।
- 5. अन्य कारण - अन्य कारणों में दुर्घटनायें निम्न के अनुपालन में कमी के आधार पर पायी जाती है जैसे -
- (क) दुर्घटनाओं को रोकने हेतु विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं के कर्मचारी अपनाने में असफल होने पर ,
- (ख) कर्मचारियों द्वारा सुरक्षा के नियमों का पालन न करने पर ,
- (ग) ई.एस.आई. डाक्टरों की सुविधाजनक अभिवृत्ति के कारण आदि।
दुर्घटनाओं की रोकथाम
दुर्घटनायें निम्नलिखित प्रविधियों को अपनाकर रोकी जा सकती हैं -
- कारखानों में सुरक्षा निरीक्षण के द्वारा,
- नौकरी सुरक्षा विश्लेषण के द्वारा,
- प्रबंध तंत्र के द्वारा,
- दुर्घटना जांच द्वारा,
- पर्यावरणीय कारणों को नियंत्रित करके,
- व्यावहारिक कारणों पर नियंत्रण करके,
- पूरक क्रिया विधि द्वारा।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 12 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 अगस्त 2014.
- ↑ अरुण कुमार सिंह. सरल व्यवहारिक मनोविज्ञान. मोतीलाल बनारसीदास पब्लिकेशन. पृ॰ १२०. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788120827264. मूल से 12 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 अगस्त 2014.