कार्बन माइक्रोफोन
कार्बन माइक्रोफोन (अंग्रेज़ी: Carbon microphone) अथवा बटन माइक्रोफोन एक प्रकार का माइक्रोफोन, अर्थात् एक ऐसा यंत्र है जो ध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदलता है।
एक कार्बन माइक्रोफोन एक कैप्सूल या बटन का प्रयोग करता है, जिसमें धातु की दो प्लेटों के बीच कार्बन कणिकाएं दबी हुई होती हैं। धातु की इन प्लेटों के पार एक वोल्टेज लागू किया जाता है, जिससे विद्युत-प्रवाह की एक छोटी-सी मात्रा कार्बन से होकर प्रवाहित होती है। इनमें से एक प्लेट, मध्यपट, संयोगित ध्वनि तरंगों के साथ कंपित होती है और कार्बन में बदलता हुआ दाब लागू करती है। यह बदलता हुआ दाब इन कणिकाओं को विरुपित कर देता है, जिससे आसन्न कणिकाओं के प्रत्येक जोड़े के बीच का संपर्क-क्षेत्र में परिवर्तित होता है और जिससे कणिकाओं के द्रव्यमान के विद्युतीय प्रतिरोध में परिवर्तन करता है। प्रतिरोध में परिवर्तन माइक्रोफोन से होकर प्रवाहित हो रहे संबंधित विद्युत-प्रवाह में परिवर्तन करता है, जिससे विद्युतीय संकेत उत्पन्न होते हैं। किसी समय कार्बन माइक्रोफोनों का प्रयोग टेलीफोनों में आम था। इनमें ध्वनि पुनरुत्पादन की गुणवत्ता बहुत ही निम्न होती है और इसकी आवृत्ति प्रतिक्रिया श्रेणी बहुत सीमित होती है, लेकिन ये बहुत शक्तिशाली उपकरण होते हैं। कार्बन की गेंदों का प्रयोग करनेवाला 1880 का बॉडेट माइक्रोफोन कणिका कार्बन बटन माइक्रोफोन जैसा ही एक आविष्कार था।[1]
यद्यपि इसका पेटेंट एडिसन को १८७७ के मध्य में मिला था, डेविड हॉजेज़ इसका सफल उदाहरण कई वर्षों पूर्व कर प्रदर्शित कर चुके थे और विज्ञान के इतिहासकार उन्हें जी इसका आविष्कारक मानते हैं।[2][3][4][5]
सन्दर्भ
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 अगस्त 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जुलाई 2016.
- ↑ Paul J. Nahin (2002). Oliver Heaviside: The Life, Work, and Times of an Electrical Genius of the Victorian Age. JHU Press. पृ॰ 67. मूल से 15 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जुलाई 2016.
- ↑ Bob Estreich. "David Edward Hughes". मूल से 1 नवंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जुलाई 2016.
- ↑ Huurdeman, Anton (2003). The Worldwide History of Telecommunications. John Wiley & Sons.
- ↑ "David Hughes". मूल से 3 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2016-07-22.