क़ाइन और हाबिल
बाइबल के उत्पत्ति (Genesis/जेनेसिस) अध्याय में आदम और ईव के प्रथम दो पुत्रों के नाम क़ाइन (Cain) और हाबिल है। ज्येष्ठ पुत्र का नाम क़ाइन (अर्थात् लाभ) रखा गया है और वह किसान है जबकि हाबिल एक गड़ेरिया। क़ाइन का ईश्वर पर अधूरा विश्वास था अत: ईश्वर ने क़ाइन की अपेक्षा उसके भाई हाबिल के बलिदान को अधिक पसंद किया था। यह देखकर क़ाइन ने ईर्ष्यावश अपने अनुज हाबिल का वध किया था। फलस्वरूप ईश्वर ने क़ाइन को यायावर की तरह पृथ्वी पर भटकने का शाप देने के साथ-साथ उसे पश्चात्ताप करने का भी अवसर प्रदान किया था। क़ाइन उन विधर्मी मनुष्यों का प्रतीक है जो भक्तों से ईर्ष्या करते हैं।
बाइबिल के वृत्तान्त में क़ाइन विषयक अनेक परम्परागत दन्तकथाओं का सहारा लिया गया और उसमें यायावर जातियों की सभ्यता का भी चित्रण हुआ है। इस वृत्तान्त की मुख्य धार्मिक शिक्षा इस प्रकार है–
- (१) आदम के कारण इस पृथ्वी पर पाप का प्रवेश हुआ था (देखें, आदिपाप) जिससे क़ाइन ने अपने पिता की अपेक्षा और घोर पाप किया था;
- (२) सर्वज्ञ एवं परमदयालु ईश्वर पाप का दंड देकर पश्चात्ताप के लिए भी समय देता है;
- (३) मनुष्य द्वारा निष्कपट हृदय से चढ़ाया हुआ बलिदान ही ईश्वर को ग्राह्य हैं;
- (४) मनुष्य को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी दूसरे मनुष्य का वध कर सके।