कहावत
कहावत आम बोलचाल में प्रयोग होने वाले उस वाक्यांश को कहते हैं जिसका सम्बन्ध किसी न किसी पौराणिक कहानी से जुड़ा हुआ होता है। कहीं कहीं इसे मुहावरा अथवा लोकोक्ति के रूप में भी जानते हैं।
कहावतें प्रायः सांकेतिक रूप में होती हैं। थोड़े शब्दों में कहा जाये तो "जीवन के दीर्घकाल के अनुभवों को छोटे वाक्य में कहना ही कहावतें होती हैं।"
जिस प्रकार से अलंकार काव्य के सौन्दर्य को बढ़ा देता है उसी प्रकार कहावतों का प्रयोग भाषा के सौन्दर्य को बढ़ा देता है। बोलचाल की भाषा में कहावतों के प्रयोग से वक्ता के कथन के प्रभाव में वृद्धि होती है और साहित्यिक भाषा में कहावतों के प्रयोग से साहित्य की श्रीवृद्धि होती है।
प्रायः एक भाषा के कहावतों को अन्य भाषाओं के द्वारा मूल या बदले हुये रूप में अपना भी लिया जाता है। कहावत प्राय राजा के सामने अपनी बातों को आदर के साथ समझाने के लिए भी रखा जाता था, राजतंत्र में । क्योंकि राजा ईश्वर के रूप में समझे जाते थे और ईश्वर का आदेश ही राजा के मुख से निकलता हैं, कई बार राजा प्रजा को दरकिनार कर आदेश दे दिया करते थे । तब दरबारी राजा को लिए गए निर्णय पर पुनर्विचार के लिए कहावतों का प्रयोग करते थे । जैसे अकबर-बीरबल की कहावते काफ़ी प्रचलन में रहती हैं ।