देहरादून-सहस्रधारा मार्ग पर स्थित यह स्मारक ब्रिटिशों और गोरखाओं के बीच १८० वर्ष पहले हुए युद्ध में बहादुरी की गाथाएँ याद दिलाता है। रिसपाना नदी के किनारे पहाड़ी पर १००० फुट की ऊँचाई पर बना यह स्मारक गढ़वाली शासकों के इतिहास को दर्शाता है।
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