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कर्क राशि

कर्क
Cancer, the Crab
Cancer, the Crab
मेष वृषभ मिथुन कर्क सिंह कन्या तुला
वृश्चिक धनु मकर कुम्भमीन
राशि चिह्नकेकड़ा
अवधि (ट्रॉपिकल, पश्चिमी) 20 जून – 22 जुलाई (2024, यूटीसी)
नक्षत्रकर्क
राशि तत्त्वजल
राशि गुणकार्डिनल
स्वामीचंद्रमा
डेट्रिमेण्टशनि
एग्ज़ाल्टेशनबृहस्पति
फ़ॉलमंगल
खगोलशास्त्र प्रवेशद्वारखगोलशास्त्र परियोजना

राशि चक्र की यह चौथी राशि है, यह उत्तर दिशा की द्योतक है, तथा जल त्रिकोण की पहली राशि है, इसका चिन्ह केकड़ा है, यह चर राशि है, इसका विस्तार चक्र 90 से 120 अंश के अन्दर पाया जाता है, इस राशि का स्वामी चन्द्रमा है, इसके तीन द्रेष्काणों के स्वामी चन्द्रमा, मंगल और गुरु हैं, इसके अन्तर्गत पुनर्वसु नक्षत्र का अन्तिम चरण, पुष्य नक्षत्र के चारों चरण तथा अश्लेशा नक्षत्र के चारों चरण आते हैं।

नक्षत्र चरण/फ़ल

  • पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण के मालिक हैं गुरु-चन्द्रमा, जातक के अन्दर कल्पनाशीलता भरते हैं।
  • पुष्य नक्षत्र के पहले चरण के मालिक शनि-सूर्य हैं, जो कि जातक को मानसिक रूप से अस्थिर बनाते हैं और जातक में अहम की भावना बढाते हैं, कार्य पिता के साथ होने से जातक को अपने आप कार्यों के प्रति स्वतन्त्रता नही मिलने से उसे लगता रहता है, कि उसने जिन्दगी मे कुछ कर ही नही पाया है, जिस स्थान पर भी वह कार्य करने की इच्छा करता है, जातक को परेशानी ही मिलती है। जिसके साथ मिलकर कार्य करने की कोशिश करता है, सामने वाला भी कार्य हीन होकर बेकार हो जाता है।
  • पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण के मालिक शनि-बुध हैं, शनि कार्य और बुध बुद्धि का ग्रह है, दोनो मिलकर कार्य करने के प्रति बुद्धि को प्रदान करने के बाद जातक को होशियार बना देते है, जातक मे भावनात्मक पहलू खत्म सा हो जाता है और गम्भीरता का राज हो जाता है।
  • तीसरे चरण के मालिक ग्रह शनि-शुक्र हैं, शनि जातक के पास धन और जायदाद देता है, तो शुक्र उसे सजाने संवारने की कला देता है। शनि अधिक वासना देता है, तो शुक्र भोगों की तरफ़ जाता है।
  • चौथे चरण के मालिक शनि-मंगल है, जो जातक में जायदाद और कार्यों के प्रति टेकनीकल रूप से बनाने और किराये आदि के द्वारा धन दिलवाने की कोशिश करते हैं, शनि दवाई और मंगल डाक्टर का रूप बनाकर चिकित्सा के क्षेत्र में जातक को ले जाते हैं।
  • अश्लेशा नक्षत्र के पहले चरण के मालिक बुध-गुरु है, बुध बोलना और गुरु ज्ञान के लिये, जातक को उपदेशक बनाने के लिये दोनो अपनी शक्ति प्रदान करते है, बुध और गुरु की युती जातक को धार्मिक बातों को प्रसारित करने के प्रति भी अपना प्रभाव देते हैं।
  • दूसरे चरण के मालिक बुध-शनि है, जो जातक को बुध आंकडे और शनि लिखने का प्रभाव देते हैं।
  • तीसरे चरण के मालिक भी बुध-शनि हैं, जो कि कम्प्यूटर आदि का प्रोग्रामर बनाने में जातक को सफ़लता देते है, जातक एस्टीमेट बनाने मे कुशल हो जाता है।
  • चौथे चरण के मालिक बुध-गुरु होते हैं, जो जातक में देश विदेश में घूमने और नई खोजों के प्रति जाने का उत्साह देते है।

लगन

जिन जातकों के जन्म समय में निरयण चन्द्रमा कर्क राशि में संचरण कर रहा होता है, उनकी जन्म राशि कर्क मानी जाती है, जन्म के समय लगन कर्क राशि के अन्दर होने से भी कर्क का ही प्रभाव मिलता है, कर्क लगन मे जन्म लेने वाला जातक श्रेष्ठ बुद्धि वाला, जलविहारी, कामुक, कॄतज्ञ, ज्योतिषी, सुगंधित पदार्थों का सेवी और भोगी होता है, उसे शानो शौकत से रहना पसंद होता है, वो असाधरण प्रतिभा से अठखेलियां करता है, तथा उत्कॄष्ट आदर्श वादी, सचेतक और निष्ठावान होता है, उसके रोम रोम में मातॄ-भक्ति भरी रहती है।

प्रकॄति/स्वभाव

कर्क जातकों की प्रवॄति और स्वभाव समझने के लिये हमें कर्क के एक विशेष गुण की आवश्य ध्यान देना होगा, कर्क केकडा जब किसी वस्तु या जीव को अपने पंजों के जकड लेता है, तो उसे आसानी से नही छोडता है, भले ही इसके लिये उसे अपने पंजे गंवाने पडें. कर्क जातकों में अपने प्रेम पात्रों तथा विचारोम से चिपके रहने की प्रबल भावना होती है, यह भावना उन्हें ग्रहणशील, एकाग्रता और धैर्य के गुण प्रदान करती है, उनका मूड बदलते देर नही लगती है, उनके अन्दर अपार कल्पना शक्ति होती है, उनकी स्मरण शक्ति बहुत तीव्र होती है, अतीत का उनके लिये भारी महत्व होता है, कर्क जातकों को अपने परिवार में विशेषकर पत्नी तथा पुत्र के के प्रति प्रबल मोह होता है, उनके बिना उनका जीवन अधूरा रहता है, मैत्री को वे जीवन भर निभाना जानते हैं, अपनी इच्छा के स्वामी होते हैं, तथा खुद पर किसी भी प्रकार का अंकुश थोपा जाना सहन नहीं करते, ऊंचे पदों पर पहुंचते हैं और भारी यश प्राप्त करते हैं, वो उत्तम कलाकार, लेखक, संगीतज्ञ, या नाटककार बनते हैं, कुछ व्यापारी या उत्तम मनोविश्लेषक बनते हैं, अपनी गुप्त विद्याओं धर्म या किसी असाधारण जीवन दर्शन में वो गहरी दिलचस्पी पैदा कर लेते हैं।

आर्थिक गतिविधिया

कर्क जातक बडी बडी योजनाओं का सपना देखने वाले होते हैं, परिश्रमी और उद्यमी होते हैंउनको प्राय: अप्रत्यासित सूत्र या विचित्र साधनों से और अजनबियों के संपर्क में आने से आर्थिक लाभ होता है, कुच अन्य आर्थिक क्षेत्र जिनमे वो सफ़ल हो सकते है, उअन्के अन्दर जैसे दवाओं और द्रव्यों का आयात, अन्वेशण और खोज, भूमि या खानों का विकास, रेस्टोरेन्ट, जल से प्राप्त होने वाली वस्तुओं और दुग्ध पदार्थ आदि, वे जन उपयोगी बडी बडी कम्पनियों में धन लगाना भी उनके लिये लाभदायक रहता है।

स्वास्थ्य/रोग

कर्क जातक बचपन में प्राय: दुर्बल होते हैं, किन्तु आयु के साथ साथ उनके शरीर का विकास होता जाता है, चूंकि कर्क कालपुरुष की वक्षस्थल और पेट का प्रतिधिनित्व करती है, अत: कर्क जातकों को अपने भोजन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, अधिक कल्पना शक्ति के कारण कर्क जातक सपनों के जाल बुनते रहते हैं, जिसका उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडता ।