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करावली

कन्नड़ क्षेत्र (टुलु:ಕರಾವಳಿ) या करावली क्षेत्र कर्नाटक राज्य के तीन तटीय जिलों, दक्षिण कन्नड़, उडुपी एवं उत्तर कन्नड़ को मिलाकर कहा जाता है। यह कोंकण तटरेखा का दक्षिणी भाग बनाता है। इस क्षेत्र की उत्तर से दक्षिण लंबाई ३०० कि.मी तक और चौड़ाई ३० से ११० कि.मी तक जाती है। क्षेत्र में बहती हवा के साथ झूलते हुए चीड़ के वृक्ष दृश्य होते हैं।

नामकरण

भगवान परशुराम जल के देवता वरुण को आदेश देते हुए कि सागर का जल पीछे हट जाये और कोंकण के लिये स्थान दे।

एक मिथक के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार परशुराम ने इस स्थान को सागर में अपना परशु फेंककर उससे खाली करवाया था। सागर उस क्षेत्र तक हट गया जहां उनका परशु गिरा था। इस कारण से इसे परशुराम क्षेत्र भि कहा जाता है।[1]निर्देशांक: 14°53′N 74°35′E / 14.883°N 74.583°E / 14.883; 74.583


इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Silva 1958, पृष्ठ 74
  • सिल्वा, सेवेरिन; स्टीफन फक्स (1965). The Marriage Customs of the Christians in South Canara (PDF). 2. 24. Asian Folklore Studies, Nanzan University (Japan). मूल (PDF, 2.48 MB) से 17 दिसंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-04-23.
  • Silva, Severine (1961). History of Christianity in Canara. I. Coompta, North Canara: Star of Kanara Press. |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)

बाहरी कड़ियाँ