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कम्पोस्ट

बागीचे में निर्मित कम्पोस्ट

कम्पोस्ट (Compost) एक प्रकार की खाद है जो जैविक पदार्थों के अपघटन एवं पुनःचक्रण से प्राप्त की जाती है। यह जैविक खेती का मुख्य घटक है। कम्पोस्ट बनाने का सबसे सरल तरीका है - नम जैव पदार्थों (जैसे पत्तियाँ, बचा-कुचा खाना आदि) का ढेर बनाकर कुछ काल तक प्रतीक्षा करना ताकि इसका विघटन हो जाय। विघटन में कुछ सप्ताह या महीने लगते हैं। उसके बाद वह ह्यूमस में बदल जाता है। कम्पोस्ट बनाने की आधुनिक विधि कई चरणों में पूर्ण होती है और प्रत्येक चरण में जल, वायु एवं कार्बन तथा नाइट्रोजन से समृद्ध पदार्थों को बड़े नपे-तुले ढंग से डाला जाता है।[1]

वेस्ट डीकम्पोजर क्या है:

एक प्रकार कार्बनिक पदार्थ के अपघटक के सूक्ष्म जीव है जो जैविक खाद बनाने मे मदद करती है इसके उपयोग से बहुत कम समय मे जमीन की उर्वरक शक्ति को बढ़ाती हैं |वेस्ट डीकम्पोज़र देसी गाय के गोबर से निकला गया सूक्ष्म जीवों का संघ है जिसमे सभी प्रकार के कार्बनिक पदार्थो के अपघटक सूक्ष्म जीव सम्मिलित होते है. इसकी 30 ग्राम की बोतल होती है व कीमत 20/- रु. प्रति बोतल है जिसे राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र से सीधे या किसी क्षेत्रीय जैविक खेती केंद्र से आसानी प्राप्त किया जा सकता है। अपशिष्ट डीकम्पोज़र को भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा भी मान्य किया गया है| एक प्रकार कार्बनिक पढ़ार्थ के अपघटक के सूक्ष्म जीव है जो जैविक खाद बनाने मे मदद करती है इसके उपयोग से बहुत कम समय मे जमीन की उर्वरक शक्ति को बढ़ाती हैं |

डी-कम्पोजर बनाने की विधी - किसी ड्रम या टंकी मे 200 लीटर पानी ले और उसमे 2 किलो गुड़ डालकर अच्छे से मिलाएँ । अब west decomposter 200 ग्राम का एक डिब्बा पूरा इस ड्रम या टंकी मे डाल दे और अच्छे से मिलाएँ । (ध्यान रहें की इस दवा को सीधे हाथ के संपर्क मे ना आने दें लकड़ी की सहायता से मिलाएँ ) अब इसे अच्छी तरह से मिलाने के बाद ड्रम या टंकी को पेपर की सहायता से ढँककर 7 दिन के लिए छोड़ दें । 10 से 15 दिन के अंतराल मे लकड़ी के सहायता से हिलाएँ । 30 दिन मे खाद बनकर तैयार हो जाता है ।

उपयोग इस प्रकार करें

छिड़काव करने का तरीका:इस तैयार घोल का खड़ी फसल का छिड़काव करें |सभी फसलों पर 50%घोल हर सात दिन मे छिड़काव करें |सब्जियों मे 40 प्रतिशत घोल हर दिन छिड़काव करें | फलों पर 60 प्रतिशत घोल हर सात दिन मे छिड़कें | सिचाई जल के साथ: सिचाई जल के साथ मिलाकर भी दिया जाता है। बूंद-बूंद सिचाई पद्धति में 200 लीटर घोल प्रति एकड़ प्रयोग में लाया जाता है|

फसल अवशेष की स्वस्थानिक कम्पोसिंटग: फसल की कटाई के बाद खेत में बचे डंठल व अन्य अवशेषों पर इस घोल का छिड़काव कर सकते है जिससे वे जल्दी सड़ जाते है|

ड्रिप सिंचाई मे: 200 लीटर घोल को एक एकड़ हेतु पर्याप्त जल के साथ मिलकर ड्रिप सिंचाई के माध्यम से खेत मे डाल दें |

पर्णीय छिडकाव के रूप में':-वेस्ट डीकंपोजर के तेयार घोल को फसलों में पर्णीय छिडकाव के रूप में भी काम ले सकते है. इस घोल को 10 दिन के अन्तराल पर एक फसल में 4 छिडकाव कर सकते है जो कई प्रकार की बिमारियों से पोधों की सुरक्षा करता है |

बीज उपचार में: इस घोल द्वारा बीजोपचार कर फसलों को कई प्रकार की बीज जनित बीमारियों से बचाया जा सकता है|

बीज उपचार की विधी:सबसे पहले अपने हाथों में दस्ताने पहनें क्योकि यह सूक्ष्म जीवों जीवों का घोल है हाथों में बदबू पैदा कर सकता है व हानिकारक भी हो सकता है| अब 1 बोतल की सामग्री को अच्छी तरह से 30 ग्राम गुड़ व थोड़े पानी के साथ अच्छी तरह मिला लेते है |इस तैयार घोल से लगभग 20 किलो बीज का उपचार किया जा सकता है| उपचारित बीज को आधे घंटे के लिए छाया में सुखा देते है | इस प्रकार तैयार बीज को बुवाई के लिए काम में लेते है|

डी-कंपोस्टर के फायदे:

आज के दौर में जहां जैविक कृषि का क्षेत्रफल बढा है और इसमें जीवांश्मो को सड़ाने गलाने में समस्याए होती है वहां पर यह बहुत कारगर साबित हुआ है इसके अलावा वेस्ट डीकंपोजर उपयोग करने के कई फायदे है उनमे से कुछ का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार से है| वेस्ट डीकंपोजर से बीजोपचार करके 98 प्रतिशत जल्दी और समान अंकुरण होता है और उगने से पहले रोग व बीमारियों से भी बीजों को सुरक्षा प्रदान करता है | वेस्ट डीकंपोजर घोल का सिचाई जल के साथ उपयोग करने से सिर्फ 21 दिनों के भीतर ही सभी प्रकार की मिट्टी (अम्लीय और क्षारीय) के जैविक और भौतिक गुणों को परिवर्तित कर सुधार हो जाता है यह सिर्फ छह महीने में ही एक एकड़ भूमि में 4 लाख तक केंचुओं की आबादी उत्पन्न करने में मदद करता है | यह 40 दिनों में कृषि अपशिष्ट, पशु अपशिष्ट, रसोई अपशिष्ट, शहर के अपशिष्ट जैसे सभी जैव अपघटन योग्य सामग्री को अपघटित कर अच्छी खाद का निर्माण कर देता है | परम्परागत विधियों से तुलना करे तो यह खाद बनाने की अब तक की सबसे तीव्र विधि है जो जैविक खेती बढ़ावा देने हेतु सबसे महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है |अपशिष्ट डीकंपोजर को पर्णीय छिडकाव के रूप में भी उपयोग लिया जा सकता है जो विभिन्न फसलों में विभिन्न प्रकार की जीवाणु, फफूंद और विषाणु जनित बीमारियों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करता है | किसान रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग किए बिना वेस्ट डीकंपोजर के उपयोग से जैविक खेती कर सकते हैं। यदि किसान खेत में यदि वेस्ट डीकंपोजर का उपयोग करता है तो उर्वरकों द्वारा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस या पोटाश देने की कोई आवश्यकता नहीं होती है |वेस्ट डीकंपोजर के उपयोग से सभी प्रकार के रसायनों, कवकनाशी और कीटनाशकों के 90 प्रतिशत उपयोग को कम करता है क्योंकि यह दोनों जड़ जनित बीमारियों और शाखाओं के रोगों को नियंत्रित करता है |इस प्रकार हम यह निष्कर्ष निकाल सकते है कि वेस्ट डीकंपोजर एक जैविक हथियार है जो फसलों की कीट व बिमारियों से सुरक्षा करेगा तथा हर प्रकार से पोषण प्रदान करेगा. इससे किसानों का रसायनों पर होने वाला खर्च कम होगा व आमदनी बढेगी और साथ ही उत्पाद की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा |

कंपोस्टिंग खाद तैयार करना:

सबसे पहले छाया में एक प्लास्टिक की चादर बिछाते है किसी समतल स्थान मे 1 टन फसल के अवशेष,घर की सब्जियों का छिलका,खराब खाना तथा गोबर इत्यादी   दें |इसमें तैयार वेस्ट डीकंपोजर घोल की 20 लीटर मात्रा का छिडकाव करते है|इस परत पर के ऊपर फसल अपशिष्ट की एक और परत फैलाते है फिर से इस खाद की परत के ऊपर 20 लीटर वेस्ट डीकंपोजर घोल का अच्छी तरह छिड़काव करते है| इस प्रकार तैयार 200 लीटर वेस्ट डीकंपोजर को अपशिष्टो की 20 परतो के लिए काम में लेते है|खाद बनाने की इस पूरी प्रक्रिया के दौरान व जब तक खाद बन ना जाये इसमें 60 प्रतिशत नमी बनाए रखते है तथा इसे प्रत्येक 7 दिनों के अंतराल पर पलटते रहते है व 30 दिनों में खाद उपयोग के लिए तैयार हो जाती है| अब आप इसका उपयोग बीज बोने से पहले डी-कम्पोजर से तैयार खाद का उपयोग करें उत्पादन बेहतर होगा |

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "कम्पोस्ट खाद कैसे बनाएं". Kheti Gyan. मूल से 7 जून 2019 को पुरालेखित.

https://hindi.krishijagran.com/farm-activities/west-decomposer-new-hope-for-organic-farming/

https://hindi.krishijagran.com/farm-activities/west-decomposer-new-hope-for-organic-farming/

https://hindi.krishijagran.com/farm-activities/west-decomposer-new-hope-for-organic-farming/