कपूरथला
कपूरथला | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | भारत |
राज्य | पंजाब |
ज़िला | कपूरथला |
जनसंख्या • घनत्व | 84,361 (2001 के अनुसार [update]) • 93/किमी2 (241/मील2) |
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) | 909.09 km² (351 sq mi) • 225 मीटर (738 फी॰) |
निर्देशांक: 31°23′N 75°23′E / 31.38°N 75.38°Eकपूरथला जलंधर शहर के पश्चिम में स्थित पंजाब का एक प्रमुख शहर है। यह कपूरथला जिला का मुख्यालय है। इसका नाम इसके संस्थापक नवाब कपूर सिंह के नाम पर पड़ा। बाद में कपूरथला रियासत के राजा फतेह सिंह आहलुवालिया की शाही राजधानी थी। यह शहर अपनी खूबसूरत इमारतों और सड़कों के लिए जाना जाता है। एक समय में इसकी सफाई को देखकर इसे पंजाब का पेरिस कहा जाता था। पंच मंदिर, शालीमार बाग, जगतजीत सिंह का महल यहां की कुछ प्रमुख इमारते हैं। महाराज जगतजीत सिंह ने यहां बहुत सी इमारतों का निर्माण करवाया जो इसके सुनहरे इतिहास की गवाही देते हैं।
इतिहास
पर्यटन स्थल
सैनिक स्कूल
सैनिक स्कूल की इमारत पहले जगतजीत महल के नाम से जानी जाती थी। यहां पर कपूरथला रियासत के पूर्व महाराज, महाराज जगतजीत सिंह रहते थे। 200 एकड़ में फैला यह महल वास्तुशिल्प का खूबसूरत नमूना है जो पेलेस ऑफ वर्सेलस और फाउंटेनब्लू की याद दिलाता है। इसका डिजाइन फ्रैंच वास्तुकार एम. मार्कल ने बनया था। इसका मनमोहक दरबार हॉल (दीवान-ए-खास) भारत के सबसे खूबसूरत हॉल में से एक है। प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां और सीलिंग पर बनी चित्रकारी फ्रांसिसी कला और वास्तुशिल्प की विशेषता को दर्शाती हैं। इस महल का निर्माण कार्य 1900 में शुरु हुआ था और 1908 में पूरी तरह बनकर तैयार हो गया था।
मूरिश मस्जिद
कपूरथला की धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक मूरिश मस्जिद का निर्माण फ्रांसिसी वास्तुकार मोनेयर एम.मेंटिक्स ने किया था। यह मस्जिद मोरक्को के मराकेश की विशाल मस्जिद की तर्ज पर बनाया गया था। इसका निर्माण कपूरथला के आखिरी शासक महाराजा जगतजीत सिंह ने करवाया था और इसे पूरा होने में 13 वर्ष का समय लगा था। मस्जिद के आंतरिक गुंबद की सजावट लाहौर के मायो कला विद्यालय के कलाकारों ने की थी। यह मस्जिद राष्ट्रीय स्मारक है जिसकी देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करता है। इसका लकड़ी का एक मॉडल लाहौर संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर रखा गया है।
जगतजीत क्लब
जगतजीत क्लब शहर के बीच में स्थित एक शानदार इमारत है। इस इमारत का निर्माण वास्तुकला की ग्रीक शैली में किया गया है। यह कुछ-कुछ एथेंस के एक्रोपोलिस की याद दिलाती है। अपने बनने के समय से लेकर आज तक यह इमारत कई तरह से इस्तेमाल की गई है। 19वीं शताब्दी की शुरुआत में यहां चर्च था, 1940 में सिनेमा हॉल बना और आज इस इमारत में स्थानीय क्लब है।
गुरुद्वारा बेस साहिब
प्रसिद्ध गुरुद्वारा बेर साहिब कपूरथला की सुल्तानपुर लोधी तहसील में स्थित है। सिक्ख धर्म के अनुयायियों के लिए इस स्थान का महत्व बहुत अधिक है। यही वह स्थान है जहां सिक्खों के पहले गुरु, गुरु नानक देव ने अपनी जिंदगी के 14 साल बिताए और यही पर बेंई नामक छोटी सी नदी में स्नान करते हुए उन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था। इस स्थान का नाम बेर के एक पेड़ के नाम पर रखा गया है जिसके बारे में माना जाता है कि इसे स्वयं गुरु नानक जी ने लगाया था और इसी के नीचे सिक्ख ध्ार्म का पहला मूल मंत्र दिया था।
पंज मंदिर
इस मंदिर का निर्माण सरदार फतेह सिंह के शासनकाल में हुआ था। ऐतिहासिक महत्व रखने वाले इस मंदिर में अनेक अद्भुत प्रतिमाएं रखी गई हैं। यह भारत का दूसरा ऐसा मंदिर है जहां सूर्य भगवान की प्रतिमा पर हर सुबह सूरज की किरणें सीधी पड़ती हैं। मंदिर परिसर में और भी अनेक मंदिर हैं जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं। इस मंदिर के बारे में एक अन्य अद्भुत बात यह है कि यहां के मुख्य रजत द्वार से एक भक्त सभी मूर्तियों को प्रणाम कर सकता है। पंज मंदिर में ब्रह्माजी की दुर्लभ प्रतिमा भी देखी जा सकती हैं।
रेल कोच फैक्ट्री
रेलवे कोच की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पंजाब के कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) के लिए 170 करोड़ रुपये निवेश वाली विस्तार योजना तैयार की गई है।
रेल मंत्रालय ने उत्पादन क्षमता को 1,000 कोच से बढ़ाकर 1,500 कोच प्रतिवर्ष करने की योजना बनाई है। इसके लिए 92 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इसके अलावा 68 करोड़ रुपये के निवेश से एक पहिया विनिर्माण फैक्टरी लगाने का फैसला भी किया गया है। यह फैक्टरी एक साल में 1,900 कोच के लिए पहियों का विनिर्माण करेगी। इसके अलावा डिजायन में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए अलग से 10 करोड़ रुपये निवेश किए जाएंगे।