कज़ाख़ लोग
कज़ाख़ मध्य एशिया के उत्तरी भाग में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। कज़ाख़स्तान की अधिकाँश आबादी इसी नस्ल की है, हालाँकि कज़ाख़ समुदाय बहुत से अन्य देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि उज़बेकिस्तान, मंगोलिया, रूस और चीन के शिनजियांग प्रान्त में। विश्व भर में १.३ से लेकर १.५ करोड़ कज़ाख़ लोग हैं और इनमें से अधिकतर की मातृभाषा कज़ाख़ भाषा है। कज़ाख़ लोग बहुत से प्राचीन तुर्की जातियों के वंशज हैं, जैसे कि अरग़िन, ख़ज़र, कारलुक, किपचक और कुमन। माना जाता है कि इनमें कुछ हद तक मध्य एशिया की कुछ ईरानी भाषाएँ बोलने वाली जातियाँ (जैसे कि शक, स्किथाई और सरमती) भी शामिल हो गई। कज़ाख़ लोग साइबेरिया से लेकर कृष्ण सागर तक फैले हुए थे और जब इस क्षेत्र में तुर्की-मंगोल लोगों का राज चला तब भी वे मध्य एशिया में ही बसे रहे।
नाम की उत्पत्ति
इतिहासकारों में 'कज़ाख़' नाम के स्रोत को लेकर मतभेद है। कुछ कहते हैं कि यह तुर्की भाषाओँ के 'क़ज़' शब्द से आता है जिसका अर्थ 'घुम्मकड़' है, क्योंकि कज़ाख़ लोग स्तेपी क्षेत्र के ख़ानाबदोश थे। अन्य विद्वान कहते हैं कि यह मंगोल भाषा के 'ख़सक़' शब्द से आया जो सामान लेकर जाने के लिए एक पहिये वाली गाड़ी होती है और जिसका इस्तेमाल कज़ाख़ लोग स्तेपी पर जगह से जगह जाते हुए किया करते थे। तीसरी राय यह है कि यह प्राचीन तुर्की शब्द 'क़ज़ग़ाक़' से आया है, जिसका अर्थ है 'बटोरना' या 'मिलना', यानि 'क़ज़ग़ाक़' वह व्यक्ति हुआ जो अपना फ़ायदा और लाभ ढूंढें।[1][2][3]
आनुवंशिकी (जॅनॅटिक) जड़ें और रूप-रंग
कज़ाख़ लोग देखने में मंगोल दिखते हैं लेकिन इनमें हल्का यूरोपीय प्रभाव भी दिखता है। इनमें से अधिकतर के बाल काले और आँखें ख़ाकी होती हैं, हालांकि नीली-हरी आँखों वाले और लाल-भूरे बालों वाले भी कभी-कभी नज़र आते हैं। इनका रंग गोरा या हल्का गेंहुआ होता है।
आनुवंशिकी (जॅनॅटिक) नज़रिए से ५५% कज़ाख़ों का मातृवंश एशियाई है, जिसमें मातृवंश समूह डी, सी, जी और ज़ॅड ३६.२% हैं, ए और ऍफ़ ६.९% हैं और अन्य एशियाई मातृवंश समूह ११.९% हैं। ४१% कज़ाख़ों का मातृवंश समूह पश्चिम यूरेशिया से है, जिसमें एच (१४.१%), के (२.६%), जे (३.६%), टी (५.५%), यु५ (३%) और अन्य समूह (१२.२%) शामिल हैं।
धर्म
कज़ाख़ लोग अधिकतर सुन्नी इस्लाम के अनुयायी होते हैं। बहुत से कज़ाख़ अपने इस्लाम से पूर्व के धर्म के तत्वों को भी अपने जीवन में सम्मिलित करते हैं। इनमें नज़र, तस्बीह और ओझाओं (जिन्हें 'बख़्सी' कहा जाता है) की प्रथाएँ शामिल हैं।[4]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Olcott, Martha Brill, The Kazakhs Archived 2013-05-28 at the वेबैक मशीन, Hoover Press, 1995, p. 4, ISBN 978-0-8179-9351-1. Retrieved on 7 अप्रैल 2009
- ↑ Grodekov, Nikolaĭ Ivanovich. Kirgizy i Karakirgizy Syr-Dar'inskoi oblasti, vol. 1, Tashkent: Iuridicheskii byt, 1889, p. 1
- ↑ Yudin, Veniamin P. Tsentralnaya Aziya v 14-18 vekah glazami vostokoveda, Almaty: Dajk-Press, 2001, ISBN 978-9965-441-39-4
- ↑ Mongolian music, dance, and oral narrative Archived 2015-04-05 at the वेबैक मशीन, Carole Pegg, University of Washington Press, 2001, ISBN 978-0-295-98030-0, ... Although Kazakhs in Bayan Olgii aimag were Muslim prior to the communist revolution, Kazakh shamans (baksy) cured illnesses by miming their journeys to the spirit world and accompanying themselves with a staff ...