कच
हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार, कच देवताओं के गुरु बृहस्पति के पुत्र हैं। देवासुर संग्राम में जब बहुत से असुर मारे गए तब असुरों के गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें अपनी संजीवनी विद्या द्वारा पुनर्जीवित कर दिया। यह देख बृहस्पति ने कच को शुक्राचार्य के पास यह संजीवनी विद्या सीखने भेजा। शुक्राचार्य की कन्या देवयानी कच से प्रेम करने लगी और जब असुरों ने उनका वध करना चाहा तब उसने उन्हें बचाया। अंत में देवयानी ने कच से विवाह का प्रस्ताव किया, पर कच ने इसे ठुकरा दिया। तब देवयानी ने कच को शाप दे दिया कि तुम्हारी सीखी हुई विद्या तुम्हारे काम न आएगी। इसपर कच ने भी देवयानी को शाप दिया कि कोई ब्राह्मण तुमसे विवाह न करेगा। यह कथा विस्तारपूर्वक महाभारत के आदि पर्व में दी हुई है।