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ओवरड्राफ्ट

"मैं आपको चेतावनी देता हूं, साहब ! इस बैंक की असभ्यता सभी सीमाओं से परे है। एक और शब्द और मैं - मैं अपना ओवरड्राफ्ट वापस ले लूंगा!" (पंच पत्रिका खण्ड 152, जून 27, 1917 से कार्टून)

अधिविकर्ष या ओवरड्राफ्ट तब होता है जब बैंक खाते से उपलब्ध शेष राशि से अधिक निकासी हो जाती है। ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को "ओवरड्रॉन " (अधिक निकासी किया हुआ) कहा जाता है।

यदि खाता प्रदाता से ओवरड्राफ्ट संरक्षण योजना हेतु कोई पूर्व अनुबन्ध है एवं अतिरिक्त आहरित राशि प्राधिकृत ओवरड्राफ्ट सीमा के अंतर्गत है, तब सहमत दर पर ही ब्याज अधिरोपित किया जाता है। यदि यह शेष राशि सहमत शर्तों से अधिक हो जाती है तो शुल्क एवं उच्चतर ब्याज दर अधिरोपित हो सकता है।

ओवरड्राफ्ट का इतिहास

पहला ज्ञात ओवरड्राफ्ट 1728 में प्रदान किया गया था जब व्यापारी विलियम हॉग को £1000 (आज के £65000, अमरीकी $93000) की निकासी जो उनके खाते में उपलब्ध राशि से अधिक की मंजूरी दी गयी थी।[1] यह ओवरड्राफ्ट द रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड के द्वारा प्रदान किया गया था जो पिछले वर्ष एडिनबर्ग में खुला था।

ओवरड्राफ्ट के कारण

ओवरड्राफ्ट अनेक प्रकार के कारणों से होते हैं। इन में शामिल हैं:

  • जानबूझकर अल्पकालिक ऋण - खाता धारक स्वयं के पास धन की कमी पाता है और जानबूझकर एक अपर्याप्त-कोष से निकासी करता है। वे संबद्ध शुल्क स्वीकार करते हैं और अपने अगले जमा के साथ ओवरड्राफ्ट को परिपूर्ण करते हैं।
  • एक सही खाता पंजिका के रखरखाव में विफलता - खाता धारक अपने खाते में लेन-देन का सही-सही ध्यान नहीं रखते और लापरवाही से अधिव्यय कर देते हैं।
  • एटीएम (ATM) ओवरड्राफ्ट - बैंक या एटीएम धन की अपर्याप्त उपलब्धता के बावजूद नकद निकासी की अनुमति दे देते हैं। खाता धारक निकासी के समय इस तथ्य से वाकिफ हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है। यदि एटीएम, कार्डधारक के बैंक के साथ संवाद करने में असमर्थ है, तो वह स्वचालित रूप से अधिकृत नेटवर्क द्वारा पूर्व निर्धारित सीमा के अंतर्गत निकासी की अनुमति दे सकता है।
  • जमा पर अस्थाई रोक - खाते में जमा की गई राशि को बैंक रोके रख सकता है। ऐसा विनियमन सीसी (CC) (जो जमा को लंबित रखने संबंधी नीतियों को नियंत्रित करता है) के कारण अथवा बैंक की निजी नीतियों के कारण हो सकता है। धनराशि तत्काल उपलब्ध नहीं हो पाती और परिणामतः ओवरड्राफ्ट शुल्क देना होता है।
  • अप्रत्याशित इलेक्ट्रॉनिक निकासी - खाता धारक ने अतीत में किसी समय व्यापार के द्वारा किसी को इलेक्ट्रॉनिक निकासी के लिए अधिकृत किया हो ऐसा हो सकता है। यदि संदर्भित निकासी अनुबंध की शर्तों के अंतर्गत वैध रूप से हुई हो, जैसे किसी मुफ्त परीक्षण अवधि के पश्चात आवर्ती सेवा के आरंभ होने पर, तो ऐसा दोनों पक्षों के सद्भाव के कारण ही हो सकता है। यह विकलन वेतन से कुर्की का भी परिणाम हो सकता है, किसी करारोपण एजेंसी या क्रेडिट अकाउंट या उसी बैंक में अन्य खाते का समायोजन दावा, या किसी अधिक भुगतान की वसूली हेतु प्रत्यक्ष जमा किया गया चार्जबैक हो सकता है।
  • व्यापारिक त्रुटि - मानवीय भूल के कारण एक व्यापारी किसी ग्राहक के खाते में विकलन (डेबिट) कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक ग्राहक $5.00 की खरीद करता है किंतु खाते में भूल से $500.00 की प्रविष्टि हो सकती है। ग्राहक के पास इस राशि को चार्जबैक के माध्यम से व्यापारी से वसूल करने का विकल्प रहता है।
  • व्यापारी को चार्जबैक - एक व्यायापारी को किसी ग्राहक से अनुचित क्रेडिट या डेबिट कार्ड शुल्क वसूल कर लेने पर चार्जबैक प्राप्त हो सकता है या उस व्यापारी से लिए गए किसी माल या सेवा का भुगतान करने के लिए कोई ग्राहक दूसरे के खाते में से डेबिट या क्रेडिट कार्ड के द्वारा अनुचित तरीके से भुगतान कर सकता है। इस चार्जबैक और संबद्ध शुल्क के कारण ओवरड्राफ्ट हो सकता है या तदनंतर की जाने वाली निकासी या व्यापारी को मिले चार्जबैक के कारण व्यापारी के खाते से विकलन (डेबिट) के लिए अपर्याप्त कोष रह सकता है।
  • प्राधिकरण रोक - जब कोइ ग्राहक पिन का उपयोग किए बिना अपने-अपने डेबिट कार्ड से खरीद करता है, तो यह लेनदेन एक उधार लेनदेन माना जाता है। ग्राहक के खाते में उस राशि पर रोक लगा दी जाती है और ग्राहक के उपलब्ध शेष में से वह राशि कम हो जाती है। हालांकि व्यापारी को वह राशि तब तक प्राप्त नहीं होती जब तक जिस अवधि में वह खरीद की गई थी, उस अवधि के लेन-देन बैच को वे संसाधित नहीं कर लेते. बैंक इन राशियों को अनिश्चितकाल तक नहीं रोकते हैं और इसलिए व्यापारी के राशि एकत्र करने से पूर्व ही बैंक इस रोक को हटा लेते हैं, इस प्रकार वह राशि पुनः उपलब्ध हो जाती है। यदि ग्राहक इस निधि को खर्च करता है, तो जब व्यापारी मूल खरीद के लिए राशि एकत्र करेगा उस समय एक अंतरिम जमा को छोड़ कर खाते में से अधि-आहरण होगा.
  • बैंक शुल्क - बैंक खाता धारक से अप्रत्याशित शुल्क वसूल कर लेता है जिससे उस खाते में से होने वाली अगली निकासी के लिए कोष अपर्याप्त रह जाता है।
  • फ्लोट से खिलवाड़ - फ्लोट वह समय है जो एक चेक प्रस्तुत करने और उसके भुगतान करने के बीच लगता है। खाता धारक खाते में अपर्याप्त कोष होते हुए भी यह सोच कर चेक काट देता है कि जब तक इस चेक का भुगतान होगा वह खाते में पर्याप्त राशि जमा करा देगा. जबकि फ्लोट से खिलवाड़ के अनेक मामले नेक इरादे से किए जाते हैं, लेकिन चेक-समाशोधन में लगने वाले समय तथा क्रेडिट और डेबिट के संसाधन में अंतर का लाभ उठा कर कुछ लोग चेक काइटिंग करते हैं। खाते में धनराशि न होते हुए भी चेक जारी करने को चेक काइटिंग कहते हैं।
  • प्रत्यावर्तित चेक जमा - खाता धारक एक चेक या मनीऑर्डर जमा करता है और जमा किया गया चेक, पर्याप्त कोष न होने, खाता बंद होने या यह पता लगने कि चेक जाली, चुराया हुआ, जालयाती से बदलाव किया हुआ या फर्जी है, बैंक द्वारा लौटा दिया जाता है। चेक चार्जबैक और संबद्ध शुल्क के कारण अथवा उस कोष की आशा में अनुवर्ती डेबिट के कारण ओवरड्राफ्ट होता है। ऐसा जमा किए गए चेक के गलत होने की वजह से हो सकता है या ग्राहक गलत चेक का शिकार हुआ हो या यह जाली चेक घोटाला हो. यदि इसके परिणामस्वरूप हुआ ओवरड्राफ्ट बहुत बड़ा है या अल्प समयावधि में उसे कवर नहीं किया जा सकता, तो बैंक मुकदमा कर सकता है या आपराधिक आरोपों पर कार्यवाही के लिए दबाव डाल सकता है।
  • जानबूझकर जालसाज़ी - सक एटीएम में अनुचित ढंग से प्रस्तुत धन जमा किया जाता है, यह जानते होते हुए भी कि चेक या मनी ऑर्डर गलत है, उसे बैंक में जमा किया जाता है और जालसाजी खुलने से पहले बहुत बड़ी राशि डेबिट कर दी जाती है। परिणामस्वरूप एक बार चार्जबैक बनते ही ओवरड्राफ्ट हो जाता है। यह जालसाजी स्वयं के खाते में, दूसरे व्यक्ति के खाते में या पहचान चुराने वाले के द्वारा किसी और के नाम से खोले गए फर्जी खाते में की जा सकती है।
  • बैंक त्रुटि - एक चेक डेबिट मानवीय भूल या कंप्यूटर की गलती से एक अनुचित राशि प्रविष्ट हो सकती है, जिससे चेक काटने वाले की इच्छित राशि से कहीं अधिक राशि खाते से निकल सकती है। ऐसी बैंक-त्रुटियां खाता धारक को नुकसान पहुंचा सकती हैं तो कभी लाभ भी दे सकती हैं।
  • उत्पीड़न - कोई खाता पहचान-चोर का लक्ष्य हो सकता है। यह जालसाजी, डिमांड-ड्राफ्ट, एटीएम (ATM) कार्ड या डेबिट कार्ड जालसाजी, हेराफेरी, चेक-जालसाजी, "खाता अधिग्रहण" या फिशिंग के द्वारा हो सकती है। आपराधिक कृत्य के कारण ओवरड्राफ्ट हो सकता है या इसकी वजह से होने वाले अनुवर्ती डेबिट के कारण बाद में भी हो सकता है। एक एटीएम (ATM) से धनराशि या जमा चेक चुराये भी जा सकते हैं या लिफाफा खो गया है या चोरी हो गया है, तो इस मामले में पीड़ित को अक्सर कोई राहत नहीं मिलती.
  • एक दिवसीय ओवरड्राफ्ट - ग्राहक के खाते में एक डेबिट होता है जिसके परिणामस्वरूप ओवरड्राफ्ट होता है जिसे उसी कारोबारी दिन के दौरान ही खाते में क्रेडिट के द्वारा कवर कर दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप वास्तव में ओवरड्राफ्ट शुल्क लगेगा या नहीं यह संबंधित बैंक के जमा-खाता धारक के साथ समझौते पर निर्भर करता है।

ब्रिटेन

ब्रिटेन में ओवरड्राफ्ट संरक्षण

ब्रिटेन में बैंक अक्सर पूर्वयोजित सीमा (अधिकृत ओवरड्राफ्ट सीमा के रूप में ज्ञात) के साथ एक बुनियादी ओवरड्राफ्ट सुविधा प्रदान करते हैं। बहरहाल, प्रदान की गई यह है सुविधा ब्याज मुक्त है या नहीं यह औसत मासिक शेष राशि या बैंक की ओवरड्राफ्ट ऋण दर के अनुसार भिन्न-भिन्न बैंकों में खाता उत्पाद के अनुसार बदलता रहता है।

जब ग्राहक अपनी अधिकृत ओवरड्राफ्ट सीमा पार कर लेते हैं, वे प्राधिकरण के बिना अधि-आहरित हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ग्राहक से उस राशि जिसके द्वारा वे अपनी अधिकृत ओवरड्राफ्ट सीमा पार कर चुके हैं पर ऋण की उच्च दर से एक या अधिक शुल्क वसूला जाता है। बैंकों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क भिन्न हो सकते हैं। अपर्याप्त कोष के कारण जारीकर्ता बैंक के द्वारा अस्वीकार करने के उपरांत भी ग्राहक द्वारा एक वस्तु प्रस्तुत की जाती है तो उसके कारण भी शुल्क लग सकता है, अर्थात बैंक ग्राहक को अनधिकृत ओवरड्राफ्ट करने की अनुमति न देने का निर्णय करता है। पुनः ऐसे शुल्क का स्तर और प्रकृति भिन्न बैंकों में भिन्न होती है। आमतौर पर, बैंक ग्राहक को पत्र भेज कर सूचित करता है और उस बिंदु के बाद निर्धारित सीमा के अंदर अपने खाते को संचालित करने का अनुरोध करता है। इस प्रक्रिया पर बीबीसी के एक कार्यक्रम व्हिसिलब्लोअर में यह नोट किया गया कि एक बैंक से अनधिकृत ओवरड्राफ्ट की वास्तविक राशि दो पाउंड से भी कम थी। [1]

शुल्क की राशि

ब्रिटेन के किसी बड़े बैंक ने अनधिकृत ओवरड्राफ्ट शुल्क को पूरी तरह से नहीं हटाया है। तथापि, कुछ बैंक एक 'बफर जोन' प्रदान करते हैं, जिसमें यदि ग्राहक एक निश्चित राशि से कम से अपनी सीमा पार करते हैं तो ग्राहकों से शुल्क नहीं लिया जाता. अन्य बैंक ओवरड्राफ्ट के स्तर की मात्रा की परवाह किए बिना ओवरड्राफ्ट शुल्क वसूल करते हैं जिसे कुछ लोग अनुचित मानते हैं। आलोचनाओं के जवाब में लॉयड्स टीएसबी (TSB) ने अपनी शुल्क संरचना बदल दी है, अनधिकृत ओवरड्राफ्ट पर एकल मासिक शुल्क के स्थान पर वे अब प्रतिदिन के हिसाब से शुल्क लेते हैं। वे एक 'रियायती अवधि' भी प्रदान करते हैं जिसमें आप कोई दस्तावेज लौटाए जाने अथवा बैंक शुल्क लगने से पहले अपराह्न 3:30 (सोम-शुक्र) तक धनराशि जमा करा सकते हैं (काम काज के दिन की शुरुआत में डेबिट करने के स्थायी आदेश के अपवाद के साथ). यदि किसी ग्राहक से अनियोजित ओवरड्राफ्ट हो जाता है, उदाहरण के लिए शुक्रवार को, तो लॉयड्स टीएसबी अपने ग्राहकों को सप्ताहांत (शनिवार और रविवार) के लिए दैनिक शुल्क में छूट देते हुए सोमवार को प्रातः 10 बजे से पूर्व धनराशि जमा कराने की अनुमति देते हैं। हालांकि इसके लिए समाशोधित धन की आवश्यकता होती है। एलायंस और लीसेस्टर पूर्व में एक बफर जोन की सुविधा देते थे ("अंतिम कुछ पाउंड" सुविधा के नाम से विपणन) लेकिन यह वापस ले ली गई है।

सामान्यतः लगाया गया शुल्क ऋण ब्याज की बढ़ी हुई दर के साथ, पच्चीस से तीस पाउंड के बीच होता है। चेक और प्रत्यक्ष डेबिट जो अपर्याप्त कोष के कारण नामंजूर (या "बाउंस") हो गए हैं, के शुल्क के रूप में आमतौर पर उतना ही या सामान्य ओवरड्राफ्ट शुल्क से थोड़ा कम और उस से ऊपर शुल्क लगाया जा सकता है। एक स्थिति जिस पर काफी विवाद छिड़ा वह यह है कि चेक/प्रत्यक्ष डेबिट को अस्वीकार करके बैंक शुल्क लगाता है जिससे ग्राहक अधि-आहरित हो जाता है और तब अधि-आहरित हो जाने के लिए शुल्क बगाता है। हालांकि, हैलिफ़ैक्स जैसे कुछ बैंकों में "शुल्क पर शुल्क नहीं" की नीति है जिसके अंतर्गत एक खाता यदि पूर्णतः अभुक्त शुल्क के कारण अधि-आहरित हो जाता है तो उससे अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता.

कानूनी स्थिति और विवाद

2006 में फेयर ट्रेडिंग के कार्यालय ने एक बयान जारी किया जिसमें यह निष्कर्ष निकाला गया था कि जब ग्राहक अपनी अधिकतम व्यय सीमा को पार कर गए थे / अपने खाते में विलंब से भुगतान कर रहे थे, तो क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता उनसे विलम्ब से भुगतान हेतु जुर्माना शुल्क उगाह रहे थे। बयान में, ओ एफ टी (OFT) ने सिफारिश की थी कि क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता ऐसा अधिकतम शुल्क 12 ब्रिटिश पाउंड निर्धारित करें.[2]

ओ एफ टी ने अपने बयान में यह अभिमत दिया कि क्रेडिट कार्ड जारीकर्ताओं द्वारा लिया जाने वाला शुल्क बैंकों द्वारा लिये जाने वाले अनधिकृत ओवरड्राफ्ट शुल्क के जैसा ही था। अनधिकृत ओवरड्राफ्ट शुल्क देने वाले अनेक ग्राहकों ने इस बयान का इस्तेमाल शुल्क की राशि वसूली हेतु अपने बैंकों पर मुकदमा करने के लिए एक मंच के रूप में किया है। वर्तमान में ऐसा सोचा जाता है कि इंग्लैंड और वेल्स काउंटी अदालतों में इस प्रकार के दावों की बाढ़ आ गई है।[3] दावेदारों को अक्रसर द कंज्यूमर एक्शन ग्रुप जैसी वेब साइटों से सहायता मिल रही है।[4] आज तक अनेक बैंक अपनी अनधिकृत ओवरड्राफ्ट शुल्क संरचनाओं का औचित्य सिद्ध करने के लिए अदालत में उपस्थित नहीं हुए हैं और कई ग्राहकों ने ऐसे शुल्क पूर्णतः वसूल कर लिए हैं।[5] हालांकि ऐसे मामले भी हैं जिनमें अदालतों ने बैंकों के पक्ष में फैसला सुनाया है और वैकल्पिक रूप से, अपने बैंकों के विरुद्ध पर्याप्त ढंग से मामला प्रस्तुत न कर पाने वाले ग्राहकों के दावों को खारिज कर दिया है।[6]

संयुक्त राज्य अमेरिका

अमेरिका में ओवरड्राफ्ट संरक्षण

ओवरड्राफ्ट संरक्षण बैंकिंग संस्थाओं द्वारा मुख्यतः संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रदान की जाने वाली एक वित्तीय परिसेवा है। जब किसी ग्राहक के खाते में निकासी की राशि को कवर करने के लिए पर्याप्त कोष उपलब्ध नहीं होता, तो ओवरड्राफ्ट या कर्टसी पे प्रोग्राम प्रोटेक्शन (सौजन्यतामूलक भुगतान योजना संरक्षण) उस ग्राहक के खाते में प्रस्तुत किए गए मदों का भुगतान करता है। ओवरड्राफ्ट प्रोटेक्शन, एटीएम (ATM) निकासी, डेबिट कार्ड से की गई खरीदारी, इलेक्ट्रॉनिक स्थानान्तरण तथा चेक को कवर कर सकता है। गैर पूर्व-अधिकृत मदों जैसे चेक या एसीएच (ACH) निकासी के मामलों में ओवरड्राफ्ट प्रोटेक्शन उनको बिना भुगतान किये लौटाने या बाउंस करने की अपेक्षा इन मदों के भुगतान की अनुमति देता है हालांकि, एटीएम निकासी और डेबिट कार्ड अथवा चेक कार्ड से की गई खरीद को पूर्व-अधिकृत माना जाता है और जब उसे प्रस्तुत किया जाए तो बैंक को उसका भुगतान करना चाहिए, चाहे यह ओवरड्राफ्ट ही क्यों न हो.[7]

ओवरड्राफ्ट का तदर्थ कवरेज

परंपरागत रूप से, एक बैंक के प्रबंधक को बैंक की ओवरड्राफ्ट सूची पर हर दिन नजर दौड़ानी होगी. यदि प्रबंधक ने देखा कि एक पसंदीदा ग्राहक ने एक ओवरड्राफ्ट किया है, तो यह उनका विवेक यह कहता है कि वे ग्राहक के पक्ष में ओवरड्राफ्ट का भुगतान कर दें. बैंक परंपरागत रूप से इस तदर्थ कवरेज के लिए शुल्क नहीं लेते थे। चूंकि, यह पूरी तरह से विवेकाधीन था अतः इस पर निर्भर नहीं रहा जा सकता था। बड़े पैमाने पर अंतरराज्यीय शाखा बैंकिंग के आगमन के साथ, पारंपरिक तदर्थ कवरेज व्यावहारिक रूप से गायब हो चुका है।

इसका एक अपवाद तथाकथित "अनिवार्य भुगतान" सूची है। प्रत्येक कारोबारी दिन की शुरुआत में, शाखा प्रबंधक अक्सर अपनी विशिष्ट शाखा, शहर या राज्य में आयोजित खातों के लिए, अभी भी अस्वीकृति के लिए लंबित मदों की एक कम्प्यूटरीकृत सूची मंगवाते हैं। आम तौर पर, यदि एक ग्राहक नकदी के साथ शाखा में आ जाने में सफल हो जाता है या अस्वीकृति हेतु लंबित मद की राशि को कवर करने के लिए कोई हस्तांतरण करता है, तो मैनेजर (प्रबंधक) उस मद का "अनिवार्य भुगतान" कर सकते हैं। इसके अलावा, यदि परिस्थिति कमजोर है या संदर्भित मद एक नियमित ग्राहक द्वारा आयोजित खाते से है, तो प्रबंधक मद का भुगतान करके एक जोखिम ले सकते हैं, लेकिन ऐसा होना बहुत ही असामान्य है। बैंकों का एक कट ऑफ (निर्धारित) समय होता है जिसके अंदर यह कार्रवाई हो जानी चाहिए, उस समय के बाद मद स्वचालित रूप से "लंबित अस्वीकृति" से "अस्वीकृत" की सूची में चला जाता है और उस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती.

क्रेडिट की ओवरड्राफ्ट लाइन

ओवरड्राफ्ट संरक्षण का यह रूप एक संविदात्मक संबंध है जिसमें बैंक ओवरड्राफ्ट एक निश्चित डॉलर सीमा तक ओवरड्राफ्ट का भुगतान करने का वादा करता है। एक उपभोक्ता जो ओवरड्राफ्ट क्रेडिट लाइन चाहता है, उसे एक आवेदन को पूर्ण करके उस पर हस्ताक्षर करना चाहिए. इसके बाद बैंक ग्राहक के क्रेडिट की जांच करता है और आवेदन को मंजूर या नामंजूर कर देता है। ओवरड्राफ्ट क्रेडिट लाइन ऋण हैं और ऋण अधिनियम में सत्य के अनुरूप होने चाहिएं. संबद्ध खातों पर, बैंक आम तौर पर प्रति ओवरड्राफ्ट एक मामूली शुल्क लेते हैं और बकाया राशि पर ब्याज भी वसूलते हैं। कुछ बैंक इस बात का ध्यान रखे बिना कि क्रेडिट लाइन का उपयोग किया जाता है या नहीं, एक छोटा सा मासिक शुल्क लेते हैं। ओवरड्राफ्ट संरक्षण का यह रूप उन उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध है जो बैंकों द्वारा ऐसे खातों के लिए स्थापित ऋणपात्रता के मानदंडों को पूरा करते हैं। एक बार क्रेडिट लाइन स्थापित हो जाती है, तो उपलब्ध क्रेडिट ग्राहक के उपलब्ध शेष रकम के रूप में दिखाई दे सकती है।

संबद्ध खाते

यह "ओवरड्राफ्ट स्थानांतरण संरक्षण" के रूप में भी संदर्भित है, एक चालू खाता किसी अन्य खाते से जोड़ा जा सकता है, जैसे एक बचत खाते से, क्रेडिट कार्ड से, या क्रेडिट लाइन से. एक बार संबंध स्थापित हो जाने के बाद, जब एक मद चालू खाते में प्रस्तुत किया जाता है और ओवरड्राफ्ट हो जाता है, तो ओवरड्राफ्ट को कवर करने के लिए संबद्ध खाते से कोष चालू खाते में स्थानांतरित हो जाता है। प्रत्येक ओवरड्राफ्ट स्थानांतरण के लिए एक मामूली शुल्क लिया जाता है और यदि संबद्ध खाता एक क्रेडिट कार्ड या क्रेडिट लाइन है तो ग्राहक को उस खाते की शर्तों के अंतर्गत ब्याज चुकाना होता है।

संबद्ध खाते और ओवरड्राफ्ट क्रेडिट लाइन के बीच मुख्य अंतर यह है कि ओवरड्राफ्ट क्रेडिट लाइन आमतौर पर केवल ओवरड्राफ्ट संरक्षण के लिए ही प्रयोग किया जा सकता है। ओवरड्राफ्ट संरक्षण के लिए संबद्ध अलग खाते अपने आप में स्वतंत्र खाते हैं।

आनादरण सुरक्षा योजना

कुछ बैंकों द्वारा एक और अधिक ताजा उत्पाद की पेशकश की जा रही है जिसे "अनादरण सुरक्षा" (नकारे जाने पर सुरक्षा) कहते हैं।

छोटे बैंक तृत्तीय पक्ष कंपनियों द्वारा प्रशासित योजनाएं पेश कर रहे हैं जिनसे बैंकों को अतिरिक्त शुल्क आय प्राप्त करने में सहायता मिलेगी.[8] बड़े बैंकों की प्रवृत्ति अनादरण सुरक्षा योजना पेश करने की नहीं है, लेकिन इसके बजाय वे अपने खातों के नियम और शर्तों के अनुसार ओवरड्राफ्ट को संसाधित करते हैं।

दोनों में से किसी भी एक मामले में बैंक अपने विवेकानुसार अधि-आहरित मद को कवर करने का निर्णय कर सकते हैं और ओवरड्राफ्ट शुल्क लगा सकते हैं जिसकी राशि को प्रकट (खुलासा) भी किया जा सकता है और नहीं भी. पारंपरिक तदर्थ कवरेज के विपरीत, अधि-आहरित मदों का भुगतान करने या न करने का यह निर्णय स्वचालित है और ग्राहक के औसत शेष, खाते के ओवरड्राफ्ट इतिहास, बैंक में ग्राहक के खातों की संख्या और उन खातों के खुलने से अब तक की अवधि, जैसे विषयनिष्ठ मानदंडों पर आधारित है।[9] हालांकि, स्वचालित मानदंड पूरे होने पर भी, बैंक ओवरड्राफ्ट के भुगतान का वादा नहीं करते हैं।

अनादरण सुरक्षा योजना की सतही रूप से ओवरड्राफ्ट क्रेडिट लाइन और ओवरड्राफ्ट की तदर्थ कवरेज के साथ कुछ समानताएं हैं, लेकिन करने के लिए अलग नियमों के तहत काम करती है। एक ओवरड्राफ्ट क्रेडिट लाइन की तरह, अनादरण सुरक्षा योजना की शेष राशि को भी ग्राहक के उपलब्ध शेष के साथ देखा जा सकता है, तब भी बैंक एक अधि-आहरित मद के भुगतान से इंकार करने का अधिकार सुरक्षित रखता है, जो कि परंपरागत तदर्थ कवरेज के समान है। बैंक आमतौर पर प्रत्येक भुक्त ओवरड्राफ्ट के लिए एकमुश्त शुल्क लेते हैं। एक बैंक उस प्रत्येक दिन के लिए जिस दौरान खाते में नकारात्मक शेष रहता है, आवर्ती दैनिक शुल्क भी ले सकता है।

आलोचकों का तर्क है कि क्योंकि ग्राहक को धन अग्रिम के रूप में दिया जाता है और उसके पुनर्भुगतान की उम्मीद भी होती है, अतः अनादरण सुरक्षा एक प्रकार का ऋण ही है।[10] क्योंकि बैंक ओवरड्राफ्ट को कवर करने के लिए किसी अनुबंध के तहत बाध्य नहीं हैं, "अनादरण सुरक्षा" ट्रुथ इन लेंडिंग एक्ट से विनियमित नहीं होती जिसके अंतर्गत भ्रामक विज्ञपनों पर रोक है तथा ऋण की शर्तों को प्रकट करना आवश्यक है। ऐतिहासिक रूप से, अनादरण सुरक्षा को ग्राहक की अनुमति या जानकारी के बिना उसके खाते में जोड़ा जा सकता है।

मई 2005 में, बचत अधिनियम में सत्य के विनियमन डीडी में संशोधन किया गया कि "अनादरण सुरक्षा" योजना प्रदान करने वाले बैंकों को अपने ग्राहकों के सामने कुछ निश्चित खुलासे करने होंगे. इन संशोधनों में शामिल हैं, अनादरण सुरक्षा को आरंभ करने वाले लेन-देन का खुलासा करने की आवश्कता, अनादरण सुरक्षा से संबद्ध शुल्क, लगाए गए शुल्कों की संख्या बताने वाला अलग विवरण और भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए अनादरण सुरक्षा योजना के विपणन पर प्रतिबंध लगाना. बड़े बैंक, जो अपने नियम एवं शर्तों पर ओवरड्राफ्ट को संसाधित करते हैं, पहले से ही इन खुलासों को कर रहे हैं।

उद्योग के आंकड़े

अमेरिकी बैंकों द्वारा 2009 में ओवरड्राफ्ट शुल्क से $38.5 बिलियन एकत्र करने का अनुमान है जो 2000 की में लगभग दोगुना है।[11]

लेनदेन संसाधन आदेश

ओवरड्राफ्ट शुल्क संबंधी विवाद का क्षेत्र वह क्रम है जिसमें बैंक एक ग्राहक के लेनदेन खाते में चढ़ाता है। यह विवादास्पद है, क्योंकि सबसे बड़े से सबसे छोटे संसाधन से ग्राहक के खाते में ओवरड्राफ्ट होने की घटनाएं अधिकतम होंगी. यह स्थिति उस समय उत्पन्न होती है जब खाताधारक छोटे-छोटे कई डेबिट बनाता है जिनके लिए खरीद के समय खाते में पर्याप्त कोष उपलब्ध है। बाद में, खाता धारक एक बड़ा डेबिट करता है जो खाते को अधि-आहरित कर देता है (या तो गलती से या जानबूझकर). यदि खाते से भुगतान हेतु सभी मद एक ही दिन प्रस्तुत हों और बैंक सबसे बड़े लेन-देन को पहले संसाधित करता है, तो परिणाम स्वरुप एकाधिक ओवरड्राफ्ट हो सकते हैं।

बड़े अमेरिकी बैंकों में "सबसे बड़ी जांच पहले" नीति आम है।[12] बैंकों का तर्क है कि ऐसा इसलिए किया जाता है जिस से एक ग्राहक के महत्वपूर्ण लेनदेन (जैसे कि किराया या बंधक चेक या उपयोगिता भुगतान) के अभुक्त लौटाये जाने को रोकने के लिए किया जाता है, बावजूद इसके कि ऐसे कुछ लेनदेन गारंटीशुदा होते हैं। यह सही हो सकता था, यदि बैंक ने कभी वास्तव में किसी कम शुल्क के लिए इन्कार किया होता, बजाय उन्हें जाने देकर जिससे ग्राहक पर एक शुल्क लगे. उपभोक्ताओं ने इस प्रथा को रोकने के लिए मुक़दमा करने का प्रयास किया, उनका तर्क था कि बैंक अधिक ओवरड्राफ्ट शुल्क एकत्र करने के लिए "सबसे बड़ी जांच पहले" का प्रयोग करके लेनदेन के क्रम में हेराफेरी करते हैं ताकि कृत्रिम रूप से अधिक ओवरड्राफ्ट उत्पन्न हों. संयुक्त राज्य अमेरिका में अधिकतर बैंक एक संघीय एजेंसी मुद्रा नियंत्रक का कार्यालय से विनियमित होते हैं जिसने इस प्रक्रिया को औपचारिक रूप से मंजूरी दे दी है, हालांकि इस प्रक्रिया को हाल ही में अनेक निजी राजकीय भ्रामक कानूनों के अंतर्गत चुनौती दी गई है।[13]

बैंक जमा समझौतों में आम तौर पर यह प्रावधान है कि बैंक अपने विवेक के आधार पर लेन-देन को किसी भी क्रम में समाशोधित कर सकता है।[14]

प्रस्तावित विधेयक

8 फ़रवरी 2007 को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में पेश एच आर 946 ओवरड्राफ्ट ऋण कार्यक्रम के विनियमन को बढ़ाएगा. प्रस्तावित विधेयक ऋण अधिनियम में सत्य के विनियम जेड में संशोधन करेगा, यह स्पष्ट करने के लिए कि ओवरड्राफ्ट शुल्क कवर किया गया है, ओवरड्राफ्ट ऋण योजना में नामांकन से पूर्व लिखित सहमति की आवश्यकता, कब एक एटीएम निकासी से ओवरड्राफ्ट हो जाएगा इसकी वित्तीय संस्थाओं द्वारा ग्राहक को जानकारी देने की आवश्यकता और वित्तीय संस्थाओं को सिर्फ ओवरड्राफ्ट शुल्क बढ़ने के उद्देश्य से समाशोधन के लिए चेक के क्रमों को बदलने या जमा को देरी से खातों में चढ़ाने से रोकना इस विधेयक का लक्ष्य है। इस विधेयक को अप्रैल 2007 में समिति को भेजा गया था और समिति में ही यह समाप्त हो गया।[15] फरवरी 2009 में, फेडरल रिजर्व ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी.[16]

इन्हें भी देखें

  • प्राधिकरण रोक
  • बैंक
  • बैंक चार्ज
  • समुदाय निर्माण
  • क्रेडिट
  • करेंट अकाउंट्स

सन्दर्भ

  1. "आरबीएस (RBS): आवर सेच्रिज़ ऑफ़ इनोवेशन - उत्पाद और सेवाएं". मूल से 23 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जून 2020.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 अक्तूबर 2010.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 अक्तूबर 2010.
  4. "उपभोक्ता कार्य समूह". मूल से 30 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जून 2020.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 अक्तूबर 2010.
  6. "बीबीसी (BBC) लेख". मूल से 24 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 अक्तूबर 2010.
  7. "Megapari – Deposit & Withdrawal | Step By Step Instructions" (अंग्रेज़ी में). 2021-09-08. अभिगमन तिथि 2022-07-16.
  8. "परिशिष्ट - बाउंस संरक्षण". मूल से 10 अगस्त 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 अक्तूबर 2010.
  9. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल से 10 जुलाई 2008 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 11 अक्तूबर 2010.
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