ओएसआई प्रतिमान
ओएसआई प्रतिमान | |
---|---|
७. अनुप्रयोग परत | |
एनएनटीपी · एसआईपी · एसएसआई · डीएनएस · एफ़टीपी · गोफ़र · एचटीटीपी · एनएफ़एस · एनटीपी · एसएमपीपी · एसएमटीपी · एसएनएमपी · टेलनेट (अन्य) | |
६. प्रस्तुति परत | |
एमआईएमई · एक्सडीआर · एसएसएल · टीएलएस | |
५. सत्र परत | |
नामित निलियाँ · नेटबीआईओएस · एसएपी | |
४. यातायात परत | |
टीसीपी · यूडीपी · पीपीटीपी · एल२टीपी · एससीटीपी | |
३. जाल परत | |
आईपी · आईसीएमपी · आईपीसेक · आईजीएमपी | |
2. सामग्री कड़ी परत | |
एआरपी · सीएसएलआईपी · एसएलआईपी · ढाँचा पुनर्प्रसारण · आईटीयू-टीजी.एचएन डीएलएल | |
१. भौतिक परत | |
आरएस-२३२ · वी.३५ · वी.३४ · आई.४३० · आई.४३१ · T1 · ई१ · ८०२.३ ईथरनेट · १०बीएएसई-टी · १००बीएएसई-टीएक्स · पीओटीएस · एसओएनईटी · डीएसएल · ८०२.११ए/बी/जी/एनपीएचवाई · आईटीयू-टी जी.एचएन पीएचवाई | |
खुली प्रणाली अंतर्संपर्क संदर्भ प्रतिमान (ओएसआई रेफ़रेंस मॉडल या "ओएसआई प्रतिमान"), परतदार संचार व संगणक जाल नवाचार अभिकल्प के लिए एक भावात्मक वर्णन है। इसका विकास खुली प्रणाली अतंरसंपर्क (ओएसआई) उपक्रम के तौर पर किया गया था।[1] मूलभूत रूप में ये जाल संरचना को सात परतों में विभाजित करताहै, ऊपर से नीचे के क्रम में ये हैं, अनुप्रयोग, प्रस्तुतीकरण, सत्र, यातायात, जाल, सामग्री-कड़ी, व भौतिक परत। अतः इसे अक्सर "ओएसआई सात परती प्रतिमान" भी कहा जाता है।
हर परत, सैद्धांतिक रूप से समान कृत्यों का समूह है, जो अपने से ऊपर वाली परत को सेवा प्रदान करता है और अपने से नीचे वाली परत से सेवाएँ प्राप्त करता है। हर परत में एक "दृष्टांत" ऊपर वाली परत के दृष्टांतों को सेवा प्रदान करता है और नीचे वाली परतों से सेवा करने का अनुरोध करता है। उदाहरण के लिए किसी जाल में त्रुटिहीन संपर्क प्रदान करने वाली परत ऊपर मौजूद अनुप्रयोगों को वांछित पथ प्रदान करता है और यह करने के लिए अपने से निचली परत से पुलिंदे लेने-देने का अनुरोध करता है ताकि पथ की सामग्री तैयार हो सके। सिद्धांततः एक परत में मौजूद दो दृष्टांत आपस में संपर्क करने के लिए उसी परत के एक समस्तरीय नवाचार जुड़ाव का इस्तेमाल करते हैं।
लक्ष्य
ओएसआई प्रतिमान का इस्तेमाल करने की मुख्यतः दो वजह हैं:
- यह जाल संपर्क प्रक्रिया को छोटे और सरल टुकड़ों में बाँट देता है। टुकड़ों का विकास, अभिकल्प व उनकी समस्याएँ सुलझाने में इससे मदद मिलती है।
- इस तरीके का इस्तेमाल करने से एक परत में कुछ बदलाव करने पर बाकी परतों में तदनुसार बदलाव करने की ज़रूरत, स्पष्टता से सामने आ जाती है।
इतिहास
१९७७ में जाल संरचना के परतदार प्रतिमान पर काम शुरू हुआ और अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आईएसओ) ने अपने ओएसआई ढाँचे की संरचना शुरू की। ओएसआई के दो मुख्य टुकड़े हैं: जाल के लिए एक भावत्मक प्रतिमान, जिसे मूल संदर्भ प्रतिमान या सात परतीय प्रतिमान कहा जाता है और कुछ खास नवाचार।
ध्यान दे: ओएसआई प्रतिमान को वर्णित करने वाले मानक दस्तावज़ आईटीयू-टी की X.200 शृंखला की सिफ़ारिशों के नाम से मुफ़्त उतारे जा सकते हैं। [2] आईटीयू-एक्स शृंखला में ही कई नवाचारों के निर्दिष्टीकरण भी हैं। ओएसआई प्रतिमान के समतुल्य आईएसओ/आईईसी मानक आईएसओ उपलब्ध करता है, लेकिन सभी मुफ़्त नहीं हैं।[3]
ओएसआई संरचना के सभी आयाम साइक्लेड्स जाल के साथ हुए अनुभवों के जरिए विकसित हुए, इसने अंतर्जाल की संरचना को भी प्रभावित किया। नई संरचना को आईएसओ ७४९८ व उसके कई परिशिष्टों में प्रलेखित किया गया। इस प्रतिमान में, जाल तंत्र को परतों में बाँटा गया है। हर परत में एक या अधिक इकाई परत की कार्यों को लागू करती है। हर इकाई केवल अपने से ठीक नीचे वाली परत से ही सीधे संपर्क साधती है और अपने से ऊपर वाली परत के इस्तेमाल के लिए सुविधाएँ तैयार व प्रदान करती है।
एक मेजबान में मौजूद एक इकाई, दूसरे मेजबान की उसी परत में मौजूद समान इकाई से संपर्क साधने के लिए नवाचारों का इस्तेमाल करती है। सेवा परिभाषाएँ परत (क-१) द्वारा परत (क) को प्रदान सुविधाओं के बारे में भावात्मक वर्णन करती हैं। (यहाँ क स्थानीय मेजबान में मौजूद सात परतों के नवाचारों में से एक है)
ओएसआई परतों का वर्णन
ओएसआई प्रतिमान | ||||
---|---|---|---|---|
सामग्री इकाई | परत | क्रियाकलाप | ||
मेज़बान की परतें | सामग्री | ७. अनुप्रयोग | जाल प्रक्रिया से अनुप्रयोग | |
६. प्रस्तुति | सामग्री प्रतिनिधित्व व छद्मीकरण | |||
५. सत्र | अंतर-मेज़बान संचार | |||
हिस्सा | ४. यातायात | अंत-से-अंत जुड़ाव व विश्वसनीयता | ||
माध्यम परत | पुलिंदा | ३. जाल | पथ निर्धारण व तार्किक संबोधन | |
ढाँचा | २. सामग्री कड़ी | भौतिक संबोधन | ||
बिट | १. भौतिक | माध्यम, संकेतन व द्विलवी वितरण |
परत १: भौतिक परत
भौतिक परत उपकरणों की विद्युतीय व भौतिक विनिर्देश परिभाषित करती है। यह खासतौर पर किसी उपकरण और भौतिक माध्यम के बीच के संबंध को परिभाषित करती है। इसमें पिन, वोल्टेज, केबल विनिर्देश, जाल हब, रिपीटर, जाल कार्ड, मेज़बान बस एडाप्टर (एचबीए जिनका भंडारण क्षेत्र जाल में इस्तेमाल होता है) व अन्य चीज़ों की जमावट शामिल है।
सामग्री-कड़ी परत और भौतिक परत में फ़र्क समझने के लिए इस बात पर ध्यान दें कि भौतिक परत मुख्यतः एक उपकरण के किसी माध्यम के साथ विनिर्देश से संबंधित है, जबकि सामग्री-कड़ी परत का वास्ता मुख्यतः कई (यानी कम से कम दो) उपकरणों का एक साझे माध्यम के साथ विनिर्देश सेहै। भौतिक परत किसी उपकरण को यह बताती है कि किसी माध्यम को कुछ प्रेषण कैसे किया जाए, या उससे कैसे कुछ प्राप्त किया जाए (अधिकतर समय यह परत उपकरण को यह नहीं बताती है कि वह उस माध्यम से जुड़े कैसे)। आरएस-२३२ जैसे मानक वास्तव में माध्यम तक पहुँच को नियंत्रित करने के लिए भौतिक तारों का इस्तेमाल करते हैं।
भौतिक परत द्वारा प्रदत्त प्रमुख सेवाएँ व सुविधाएँ हैं -
- किसी जुड़ाव का किसी संपर्क माध्यम से जुड़ाव या तुड़ाव
- कई प्रयोक्ताओं के बीच संसाधनों को साझा करने की प्रक्रिया में हिस्सा लेना। उदाहरण के लिए अंतर्विरोध सुलझाना व बहाव नियंत्रण।
- माड्यूलन, यानी अंकीय सामग्री के प्रयोक्ता के उपकरण में प्रतिनिधित्व और संचार प्रणाली में प्रसारित होने वाले संकेत के बीच रूपांतरण। ये संकेत भौतिक तारों (जैसे कि ताँबा व प्रकाशीय तार) या रेडियो जुड़ाव के जरिए आ सकते हैं।
समानांतर एससीएसआई बसें इस परत के अधीन आती हैं, हालाँकि यह ध्यान देने योग्य है कि तार्किक एससीएसआई नवाचार, यातायात परत का नवाचार है, जो इस बस के ऊपर चलता है। की भौतिक परत ईथरनेट नवाचार भी इसी परत में हैं, ईथरनेट इस परत व सामग्री-कड़ी परत दोनो में आता है। यही बात अन्य स्थानीय-क्षेत्र जालों पर भी लागू होती है, जैसे कि टोकन रिंग, एफ़डीडीआई, आईटीयू-टी जी.एचएन व आईईईई ८२०.११। निजी क्षत्र जालों पर भी यह लागू होती है जैसे कि नीलदंत व आईईईई ८२०.१५।
परत २: सामग्री कड़ी परत
सामग्री कड़ी परत जाल इकाइयों के बीच सामग्री का आदान प्रदान करने के लिए कार्यपरक व प्रक्रियात्मक विधि प्रदान करती है और साथ ही भौतिक परत में संभव त्रुटियों को पता लगाने व यथासंभव ठीक करने की भी। शुरुआत में यह परत बिंदु-से-बिंदु व बिंदु-से-बहुबिंदु माध्यमों के लिए थी, जो कि दूरभाष प्रणाली में विशाल क्षेत्र माध्यमों की विशेषता होती है। स्थानीय क्षेत्रीय जाल संरचना, जिसमें सर्वप्रसारण-समर्थ बहु-अभिगम माध्यम भी शामिल थे, आईएसओ के काम के इतर, आईईईई परियोजना ८०२ के तहत विकसित हुई। आईईईई ने उप-परतीकरण व प्रबंधीकरण कार्यों पर ज़ोर दिया, जिनकी डब्ल्यूएएन में ज़रूरत नहीं थी। आधुनिक समय में सामग्री कड़ी नवाचारों में केवल त्रुटि खोज ही उपस्थित है, लेकिन सरकते गवाक्ष के जरिए बहाव नियंत्रण नहीं है। नवाचारों के उदाहरण हैं बिंदु-से-बिंदु नवाचार (पीपीपी)। स्थानीय क्षेत्र जालों में आईईईई ८०२.२ एलएलसी का इस्तेमाल ईथरनेट के अधिकतर नवाचारों में नहीं होता है। स्थानीय क्षेत्र जालों में इसके बहाव नियंत्रणों व पावती युक्तियों का बहुत कम इस्तेमाल होता है। सरकता गवाक्ष बहाव नियंत्रण व पावती का इस्तेमाल यातायात परत के नवाचारों जैसे कि टीसीपी में होता है। इसका इस्तेमाल कुछ खास जगहों पर अभी भी होता है जहाँ एक्स.२५ के जरिए ज़्यादा तेज़ी मिलती है।
आईटीयू-टी जी.एचएन मानक, जो कि मौजूदा तारों (बिजली की तारों, दूरभाष तारों व समाक्षीय तारों) के ऊपर द्रुत-गतीय स्थानीय क्षेत्र जाल प्रदान करता है, एक संपूर्ण सामग्री कड़ी परत प्रदान करता है जिसमें चयनात्मक दोहरावसरकता गवाक्ष नवाचार के जरिए त्रुटि सुधार व बहाव नियंत्रण दोनो किए जाते हैं।
डब्ल्यूएए व एलएएन सेवाएँ - दोनो ही भौतिक परत से बिट आयोजित करके तार्किक अनुक्रमों बनाती हैं, जिन्हें ढाँचा कहते हैं। भौतिक परत की सभी बिट ढाँचों में नहीं जाती हैं, क्योंकि कुछ बिट विशुद्ध भौतिक परत के कामों के लिए ही होती हैं। उदाहरण के लिए एफ़डीडीआई बिट धारा की हर पाँचवी बिट का इस्तेमाल परत नहीं करती है।
डब्ल्यूएएन नवाचार संरचना
जुड़ाव-उन्मुख डब्ल्यूएएन सामग्री जुड़ाव नवाचार, ढाँचा बनाने के अलावा, त्रटियाँ खोजते हैं और उन्हें ठीक भी करत सकते हैं। ये प्रसारण दर को भी नियंत्रित कर सकते हैं। डब्ल्यूएएन सामग्री जुड़ाव परत सरकता गवाक्ष बहाव नियंत्रण तथा पावती प्रणाली लागू कर सकता है ताकि ढाँचों का भरोसेमंद वितरण हो सके - एसडीएलसी और एचडीएलसी में, तथा एचडीएलसी से व्युत्पन्न एलएपीबी व एलएपीडी में यही होता है।
आईईईई ८०२ एलएएन संरचना
व्यावहारिक, जुड़ावहीन एलएएन की शुरुआत आईईईई के पूर्व की ईथरनेट विनिर्देश के साथ शुरू हुए। यह विनिर्देश आईईईई ८०२.३ का पूर्वज है। यह परत उपकरणों का किसी साझे माध्यम के साथ संपर्क प्रबंधित करता है, यह काम माध्यम पहुँच नियंत्रण (एमएसी) उप-परत का कार्य है। इस एमएसी उप-परत के ऊपर है माध्यम-स्वतंत्र आईईईई ८०२.२ तार्किक जुड़ाव नियंत्रण (एलएलसी) उप-परत, जो कि बहु-प्रवेशी माध्यम में संबोधन व बहुसंकेतन का काम करता है।
आईईईई ८०२.३ ही प्रमुख तार वाला एलएएन नवाचार है और आईईईई ८०२.११ बेतार नवाचार है। अप्रचलित एमएसी परतों में टोकन रिंग व एफ़डीडीआई गिने जाते हैं। एमएसी उप-परत त्रुटियाँ पकड़ तो लेता है पर उन्हें ठीक नहीं करता है।
परत ३: जाल परत
जाल परत एक या अधिक जालों के जरिए स्रोत से गंतव्य के बीच अलग अलग लंबाई की सामग्री माला को स्थानांतरित करने के कार्य संबंधी व प्रक्रिया संबंधी जरिए प्रदान करता है। यह करते हुए, जाल परत, यातायात परत द्वारा अनुरोधित सेवा गुणवत्ता को बरकरार रखता है। जाल परत जाल अनुमार्गण का काम करता है और यह विखंडन और जोड़ने का काम भी कर सकता है, तथा वितरण की त्रुटियों का ब्यौरा भी दे सकता है। अनुमार्गक इस परत में काम करते हैं। ये विस्तृत जाल में सामग्री भेज के अंतर्जाल को संभव बनाते हैं। यह एक तार्किक संबोधन विधि है - मूल्यों का चयन जाल अभियंता द्वारा किया जाता है। संबोधन विधि पदानुक्रमवादी है।
परत ३ के नवाचार की सबसे अच्छा उदाहरण है अंतर्जाल नवाचार (आईपी)। यह सामग्री के जुड़ावहीन स्थानांतरण का प्रबंधन करता है, एक बार में एक उछाल के साथ - प्रारंभिक प्रणाली से प्रवेश अनुमार्गकत तक, फिर अनुमार्गक से अनुमार्गक तक और फिर बाहर निकलने वाले अनुमार्गक से लक्ष्यित अंतिम प्रणाली तक। अगले उछाल तक विश्वसनीय वितरण इसकी जिम्मेदारी नहीं है, जिम्मेदारी है केवल त्रुटि वाले पुलिंदों का पता लगाना ताकि वे हटा दिए जा सकें। अगर अगले उछाल का माध्यम मौजूदा लंबाई का पुलिंदा नहीं स्वीकार सकता है तो आईपी की ज़िम्मेदारी है इस पुलिंदे को तो़ड़ के कई छोटे पुलिंदे बनाना ताकि माध्यम इन्हें स्वीकार सके।
परत प्रबंधन नवाचार के कई कार्य, जो कि प्रबंधन परिशिष्ट, आईएसओ ७४९८/४ में परिभाषित हैं, जाल परत का हिस्सा हैं। इनमें अनमार्गण नवाचार, बहु-प्रसारण समूह प्रबंधन, जाल परत जानकारी व त्रुटि और जाल परत संबोधन नामकरण शामल हैं। पेलोड का कार्य इन्हें जाल परत का सदस्य बनाता है, इन्हें ले जाने वाला नवाचार नहीं।
परत ४: यातायात परत
यातायात परत प्रयोक्ताओं के बीच सामग्री का आदान प्रदान करती है और ऊपरी परतों को विश्वसनीय सामग्री स्थानांतरण सेवाएँ प्रदान करती है। यातायात परत किसी भी कड़ी की विश्वसनीयता को नियंत्रित करती है, इसके लिए बहाव नियंत्रण, विभाजन/अविभाजन और त्रुटि नियंत्रण का इस्तेमाल होता है। कुछ नवाचार स्थित व जुड़ाव उन्मुख हैं। इसका मतलब यह है कि यातायात परत विभाजनों का हिसाब रख सकती है और जहाँ त्रुटि आए उन्हें फिर से भेज सकती है।
यूँ तो ये ओएसआई संदर्भ प्रतिमान के अधीन नहीं बने हैं और न ही यातायात परत की ओएसआई परिभाषा को पूर्णतः संतुष्ट करते हैं, लेकिन फिर भी परत ४ के कुछ उदाहरण हैं वितरण नियंत्रण नवाचार (टीसीपी) व प्रयोक्ता आँकड़ारेख नवाचार (यूडीपी)।
वास्तविक ओएसआई नवाचारों में पाँच प्रकार के जुड़ाव-आधारित यातायात नवाचार हैं - कक्षा ० (जिसे टीपी० भी कहते हैं और यह न्यूनतम उगाही प्रदान करती है) से ले के कक्षा ४ (टीपी४, जो अंतर्जाल जैसे कम विश्वसनीय जालों के लिए है)। कक्षा ० में त्रुटि से बाहर निकलने का कोई विधान नहीं है और इसकी संरचना ऐसे जाल परतों के लिए की गई थी जो त्रुटहीन जुड़ाव प्रदान कर सकते हैं। कक्षा ४ टीसीपी के सबसे करीब है, हलाँकि टीसीपी में कुछ सुविधाएँ हैं जो ओएसआई सत्र परत में मानता है जैसे कि सुखद समाप्ति। साथ ही सभी ओएसआईटीपी जुड़ाव आधारित नवाचार कक्षाएँ तुरंत सामग्री व अभिलेक सीमाओं का संरक्षण प्रदान करती हैं, टीसीपी इन दोनों में सो कुछ भी नहीं कर सकता है। टीपी०-४ कक्षाओं के बारे में विस्तार से जानकारी इस तालिका में है -[4]
सुविधा नाम | टीपी० | टीपी१ | टीपी२ | टीपी३ | टीपी४ |
---|---|---|---|---|---|
जुड़ाव आधारित जाल | हाँ | हाँ | हाँ | हाँ | हाँ |
बिना जुड़ाव का जाल | नहीं | नहीं | नहीं | नहीं | हाँ |
जोड़ना व विच्छिन्न करना | नहीं | हाँ | हाँ | हाँ | हाँ |
विभाजन व पुनरजुड़ाव | हाँ | हाँ | हाँ | हाँ | हाँ |
त्रुटि से बाहर आना | नहीं | हाँ | नहीं | हाँ | हाँ |
जुड़ाव की पुनर्स्थापना (यदि अत्यधिक पीडीयू की पावती न मिले) | नहीं | हाँ | नहीं | हाँ | नहीं |
एक ही आभासी सर्किट पर बहुसंकेतन व अबहुसंकेतन | नहीं | नहीं | हाँ | हाँ | हाँ |
विशिष्ट बहाव नियंत्रण | नहीं | नहीं | हाँ | हाँ | हाँ |
समय समाप्ति पर पुनर्वितरण | नहीं | नहीं | नहीं | नहीं | हाँ |
विश्वसनीय यातायात सेवा | नहीं | हाँ | नहीं | हाँ | हाँ |
शायद यातायात परत के बारे में सोचना का अच्छा तरीका होगा उसकी डाकखाने से तुलना करना, जो कि प्राप्त चिट्ठियों के प्रेषण और वर्गीकरण का काम करता है। लेकिन याद रखें कि डाकखाना केवल चिट्ठी के लिफ़ाफ़े के हिसाब से प्रबंधन करता है। ऊँचे स्तर की परतें दोहरे लिफ़ाफ़ों को सँभाल सकते हैं, जैसे कि छद्मीकृत प्रस्तुति सेवाएँ जो कि केवल अंतिम प्राप्तकर्ता ही विछद्मीकृत कर सकता है। दूसरी तरह से कहें तो सुरंगी नवाचार यातायात परत में होते हैं, जैसे कि ग़ैर-आईपी नवाचार - आईबीएम का एसएनए या नावेल का आई पी जाल पर चलने वाला आईपीएक्स या आईपीसेक के जरिए पूर्ण छद्मीकरण। साधारण अनुमार्गण एन्कैप्सुलेशन (जीआरई) जाल परत का नवाचार प्रतीती हो सकता है, पर अगर पेलोड का एन्कैप्सुलेन केवल अंतबिंदु पर ही होता है तो जीआरई आईपी शीर्षक इस्तेमाल करने वाला लेकिन फिर भी पूरे ढाँचे या पुलिंदे एकमुश्त अंतबिंदु तक पहुँचाने वाला यातायात नवाचार ही बन जाता है। एल२टीपी एक यातायात पुलिंदे में पीपीपी ढाँचे ले जाता है।
परत ५: सत्र परत
सत्र परत संगणकों के बीच के संवादों (जुड़ावों) का नियंत्रण करता है। यह स्थानीय व दूरस्थ अनुप्रयोग के बीच जुड़ाव स्थापित, प्रबंधित व समाप्त करता है। यह पूर्ण-द्वैध, अर्ध-द्वैध, या एकसंकेतन क्रिया करता है और जाँच बिंदुकरण, स्थगन, समाप्ति व पुनरारंभ की प्रक्रिया स्थापित करता है। ओएसआई प्रतिमान ने इस परत को सत्रों की सुखद समाप्ति की जिम्मेदारी दी है जो कि वितरण नियंत्रण नवाचार की खूबी है, यह सत्र जाँच बिंदुकरण व उगाही का बी काम करता है जो कि आमतौर पर अंतर्जाल नवाचारों में नहीं होता है। सत्र परत आमतौर पर उन अनुप्रयोग वातावरणों में विशिष्ट रूप से लागू होती जिनमें दूरस्थ विधि पुकार का इस्तेमाल होता है।
परत ६: प्रस्तुतीकरण परत
प्रस्तुतीकरण परत अनुप्रयोग परत इकाइयों के बीच संदर्भ स्थापित करती है, जिमें ऊपरी परत वाली इकाइयाँ अलग अलग वाक्य विन्यास व अर्थ विज्ञान का इस्तेमाल कर सकती हैं, बशर्ते प्रस्तुतीकरण सेवा दोनो के बीच मानचित्रण करने में समर्थ हो। प्रस्तुतीकरण सेवा सामग्री इकाइयों को फिर सत्र नवाचार सामग्री इकाइयों में परिवर्तित किया जाता है और इस तरह ढेर में नीचे तक पहुँचाया जाता है।
यह परत सामग्री प्रतिनिधित्व में फ़र्क (उ. छद्मीकरण) से मुक्ति देता है - अनुप्रयोग व जाल प्रारूप में अदला बदली कर के। प्रस्तुतीकरण परत सामग्री को ऐसे रूप में प्रस्तुत करती है जिसमें अनुप्रयोग परत उसे स्वीकार कर सके। यह परत जाल में भेजे जाने वाली सामग्री का प्रारूपण व छद्मीकरण करता है, ताकि विसंगति की दिक्कत न आए। इसे अक्सर वाक्य विन्यास परत भी कहते हैं।
मूल प्रस्तुतीकरण ढाँचा भावात्मक वाक्य विन्यास संकेतन एक (एएसएन.१) का इस्तेमाल करता था, इसमें ईबीसीडीआईसी-पाठ संचिका को एएससीआईआई संचिका में बदलना, या (संगणक) वस्तुओं को धारावाहित कर के एक्सएमएल या इसका उल्टा करना शामिल हैं।
परत 7: अनुप्रयोग परत
अनुप्रयोग परत ओएसआई की वह परत है जो प्रयोक्ता के सबसे क़रीब है, अर्थात ओएसआई अनुप्रयोग परत व प्रयोक्ता दोनों ही सीधे तंत्रांश अनुप्रयोग से सीधे संपर्क करते हैं। यह परत उन तंत्रांश अनुप्रयोगों से संपर्क करते हैं जो किसी संपर्करत टुकड़ों को लागू करते हैं। ऐसे अनुप्रयोग कार्यक्रम ओएसआई प्रतिमान की सीमा के बाहर आते हैं। अनुप्रयोग परत के कार्यकलाप प्रायः होते हैं, संचार भागीदारों को पहचानना, संसाधनों की उपलब्धता पता लगाना और संचार को समकालीन बनाना। संचार भागीदारों का पता लगाते समय अनुप्रयोग परत को यह सुनिश्चित करना होता है कि किसी जो अनुप्रयोग सामग्री प्रेषित करना चाहता है उसके लिए संपर्क भागीदार कौन हैं और वे उपलब्ध भी हैं या नहीं। संसाधन उपलब्धता पता करते समय अनुप्रयोग परत को यह फ़ैसला करना होता है कि अनुरोधित संचार के लिए पर्याप्त जाल संसाधन उपलब्ध हैं या नहीं। संचार को समाकालीन बनाते, अनुप्रयोगों के बीच के सभी संचार के लिए सहयोग की ज़रूरत होती है जिसका प्रबंदन अनुप्रयोग परत करता है। अनुप्रयोग परत के कुछ कार्यान्वित उदाहरण हैं टेलनेट, उन्नतपाठ स्थानांतरण नवाचार (एचटीटीपी), संचिका स्थानांतरण नवाचार (एफ़टीपी), व सरल डाक स्थानांतरण नवाचार (एसएमटीपी)।
अंतरापृष्ठ
ओएसआई संदर्भ प्रतिमान या ओएसआई नवाचार में से कोई भी किसी प्रोग्रामिंग अंतरापृष्ठ को निर्दिष्ट नहीं करते हैं। ये बस केवल सेवा की भावात्मक निर्दिष्टिताएँ ही प्रदान करते हैं। नवाचार निर्दिष्टताएँ स्पष्ट रूप से अलग अलग संगणकों के बीच के अंतरापृष्ट को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करते हैं, लेकिन एक संगणक के अंदर की तंत्रांश निर्दिष्टताएँ हर कार्यान्वयन के लिए अलग अलग है।
उदाहरणार्थ माइक्रोसाफ़्ट विंडोज़ का विनसाक और यूनिक्स का बर्कली साकेट तथा प्रणाली ५ की यातायात परत अंतरापृष्ठ, अनुप्रयोगों (परत ५ व ऊपर) व यातायात (परत ४) के बीच के अंतरापृष्ठ हैं। एनडीआईएस व ओडीआई माध्यम (परत २) और जाल नवाचार (परत ३) के बीच के अंतरापृष्ठ हैं।
भौतिक परत से माध्यम के अलावा, बाकी सभी अंतरापृष्ठ मानक, लगभग ओएसआई सेवा निर्दष्टताओं के ही कार्यान्यवयन हैं।
उदाहरण
टीसीपी/आईपी के साथ तुलना
अंतर्जाल नवाचारों के टीसीपी/आईपी प्रतिमान में नवाचारों को जानबूझ के ओएसआई प्रतिमान की तरह अलग अलग परतों में नहीं बाँटा गया है।[6] आरएफ़सी३४३९ में "परतीकरण नुकसानदेह माना गया" नाम का एक विभाग है। लेकिन फिर भी टीसीपी/आईपी कार्यकलाप के आधार पर चार मोटी परतों की पहचान करता है, जो कि इनमें निहित नवाचारों के संचालन के दायरे पर आधारित है। ये दायरे हैं तंत्रांश अनुप्रयोग, अंत-से-अंत यातायात जुड़ाव, अंतर्जालीय दायरा और अंततः क्षेत्रीय जाल में अन्य ग्रंथियों के साथ सीधे जुड़ाव का दायरा।
यह परिकल्पना ओएसआई से अलग है, फिर भी इसकी ओएसआई परतीकरण विधि से ऐसे तुलना होती है: अंतर्जाल अनुप्रयोग परत में ओएसआई की अनुप्रयोग परत, प्रस्तुति परत और सत्र परत के अधिकतम भाग आते हैं। अंत-से-अंत यातायात परत में ओएसआई सत्र परत की सुंदर समाप्ति सुविधा व ओएसआई यातायात परत शामिल हैं। अंतर्जालीकरण परत अंतर्जाल परत ओएसआई की जाल परत का उप-समुच्चय है और कड़ी परत में ओएसआई जाल-कड़ी व भौतिक परतें आती हैं, साथ ही ओएसआई की जाल परत के भी कई हिस्से इसमें हैं। इन परतों का आधार आईएसओ ७४९८ के मूल सात-परतीय नवाचार प्रतिमान है, न कि जाल परत दस्तावेज़ के आंतरिक संगठन में सुधार आदि।
ओएसआई में ग्राहक/उपभोक्ता परतें काफ़ी सख्ती के साथ वर्णित की जाती हैं, लेकिन इनका टीसीपी/आईपी के मामले के ाथ विराधाभास नहीं है, क्योंकि नवाचारों के प्रयोग को परतीय प्रतिमान के पदानुक्रम का पालन करने की कोई आवश्यकता नहीं है। ऐसे उदाहरण कुछ अनुमार्गण नवाचारों में भी हैं (उ. ओएसपीएफ़), या फिर सुरंगीकरण नवाचारों के वर्णन में भी है, ये किसी अनुप्रयोग के लिए कड़ी परत प्रदान करते हैं, जबकि हो सकता है कि सुरंग मेजबान नवाचार अपने आप में यातायात या अनुप्रयोग परत ही हो।
टीसीपी/आईपी की संरचना आमतौर पर सरलता, प्रभावशालिता व लागू करने की सरलता के आधार पर लिए गए फ़ैसले पसंद करती है।
इन्हें भी देखें
- अंतर-परत श्रेष्ठीकरण
- संज्ञानात्मक जाल
- पदानुक्रमिक अंतर्जालीय प्रतिमान
- अंतर्जाल नवाचार समुच्चय
- ओएसआई नवाचार समुच्चय
- नवाचार ढेर
- सेवा परत
- टीसीपी/आईपी प्रतिमान
- एक्स.२५ नवाचार समुच्चय
- डब्ल्यूएपी नवाचार समुच्चय
सन्दर्भ
- ↑ "X.200 : सूचना तकनीक - खुली प्रणाली अंतर्संपर्क - मूल संदर्भ प्रतिमान: मूल प्रतिमान". मूल से 1 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2009.
- ↑ आईटीयू-टी एक्स-शृंखला की सिफ़ारिशें Archived 2012-05-30 at the वेबैक मशीन।
- ↑ "सार्वजनिक रूप से उपलब्ध मानक". मूल से 26 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2009.
- ↑ "आईटीयू-टी सिफ़ारिश एक्स.२२४ (११/१९९५) आईएसओ/आईईसी ८०७३". मूल से 24 अगस्त 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2009.
- ↑ आईटीयू-टी सिफ़ारिश क्यू.१४०० (०३/१९९३) Archived 2012-10-10 at the वेबैक मशीन, ओएसआई सिद्धांतो का प्रयोग करने वाले संकेतीकरण तथ ओए व एम नवाचारों के विकास के लिए संरचना का ढाँचा, पृ. ४, ७।
- ↑ आरएफ़सी३४३९
बाहरी कड़ियाँ
- आईएसओ/आईईसी मानक ७४९८-१:१९९४ ([सुवाह्य दस्तावेज़ प्रारूप|पीडीएफ़ दस्तावेज़]], ज़िप पुरालेख) के अंदर, (अनुमतिपत्र सहमति के लिए एचटीटीपी गुटके अनिवार्य हैं)
- आईटीयू-टी एक्स.२०० (आईएसओ वाली ही सामग्री है)
- ओएसआई संदर्भ प्रतिमान - खुली प्रणालियों के अंतर्जुड़ाव की संरचना के लिए आईएसओ प्रतिमानपीडीऍफ (७७६ किबा), ह्यूबर्ट ज़िमर्मन, संचार संबंधी आईईईई लेन-देन, खंड २८, क्र. ४, अप्रैल १९८०, पृ. ४२५-४३२।
- अंतर्जालीकरण के मूल सिद्धांत