ऐंथ्रासाइट
ऐंथ्रासाइट (Anthracite) कोयले की सबसे अच्छी किस्म का नाम है। इसका रंग काला होता है, पर हाथ में लेने पर उसे काला नहीं करता। इसकी चमक अधात्विक होती है। टूटने पर इसके नवीन पृष्ठों में से एक अवतल और दूसरा उत्तल दिखाई पड़ता है; इसे ही शंखाभ (कनकॉयडल) टूट कहते हैं। इसमें बहुधा विभंग समतल विद्यमान रहते हैं। इसकी कठोरता ०.५ से २.५ तक तथा आपेक्षिक घनत्व १.३६ से १.८४ तक होता है।
रासायनिक गुण
कोयले की अन्य किस्मों की अपेक्षा ऐंथ्रासाइट में कार्बन की मात्रा अधिक तथा वाष्पशील पदार्थो की मात्रा नगण्य होती है। पेंसिलवेनिया-ऐंथ्रासाइट में ८५ से ९३ प्रतिशत, साउथ वेल्स ऐंथ्रासाइट में ८८ से ९५ प्रतिशत, सैक्सनी ऐंथ्रासाइट में ८१ प्रतिशत तथा दक्षिणी रूस से प्राप्त ऐंथ्रासाइट में ९४ प्रतिशत तक कार्बन प्राप्त होता है। इसमें कार्बन के अतिरिक्त हाइड्रोजन, आक्सिजन, नाइट्रोजन आदि भी विद्यमान रहते हैं। ऐंथ्रासाइट की औसत रासायनिक संरचना निम्नलिखित है :
कार्बन ९३.५० प्रतिशत
हाइड्रोजन २.८१ प्रतिशत
आक्सीजन २.७२ प्रतिशत
नाइट्रोजन ०.९७ प्रतिशत
ऐंथ्रासाइट कठिनता से जलता है, किंतु एक बार सुलगने पर समाप्ति तक जलता रहता है। लपट छोटी और नीली होने पर भी इसकी उष्माशक्ति अत्यधिक होती है। कार्बन की मात्रा के साथ उष्माशक्ति भी बढ़ती जाती है। उष्माशक्ति को कलरी प्रति ग्राम या ब्रिटिश उष्मामात्रक प्रति पाउंड में लिखा जाता है। ऐंथ्रासाइट की उष्माशक्ति १४,००० से १५,००० ब्रिटिश उष्मामात्रक प्रति पाउंड होती है। (ब्रिटिश उष्मामात्रक का तात्पर्य ताप की उस मात्रा से है जो १ पाउंड पानी का ताप १ डिग्री फ़ारनहाइट बढ़ा दे।) ऐंथ्रासाइट की ईधन निष्पत्ति १२ से अधिक होती है।
उपयोग
पूर्वोक्त गुणों के कारण ऐंथ्रासाइट धात्विकी उद्योगों में विशेष रूप से प्रयुक्त होता है। ऐथ्रासाइट स्टाव कमरा गरम करने के लिए व्यवहृत होते हैं। निधूम होने के कारण बहुत से घरों में इसका उपयोग ईधन के रूप में भी होता है; पर बिटुमिनयुक्ति कोयले की अपेक्षा अधिक महँगा होने के कारण इसका घरेलू प्रयोग कम होता जा रहा है।
उत्पत्ति
वनस्पतियों के रूपांतरण की प्रक्रिया में क्रमानुसार पीट, लिग्नाइट, बिटुमिनयुक्त कोयला और ऐंथ्रासाइट बनता है। बिटुमिनयुक्त कोयला ताप और दाब के प्रभाव से ऐंथ्रासाइट बन जाता है। बहुधा बाहर से घुस आनेवाली आग्नेय शिलाओं के ताप के प्रभाव से ही बिटुमिनयुक्त कोयला ऐंथ्रासाइअ में परिवर्तित हो जाता है। कुछ ऐंथ्रासाइट निक्षेप मूल वनस्पतियों में दबने से पूर्व जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न परिवर्तन के फलस्वरूप ही बने हैं।
ऐंथ्रासाइट उत्पादन में एशिया संसार का अग्रणी है। एशिया का लगभग दो तिहाई ऐंथ्रासाइट चीन के शांसी प्रदेश में है। हुनान (चीन) में ऐंथ्रासाइट स्तर साधारणत: १५ फुट मोटे हैं, इनमें से एक स्तर तो ५० फुट मोटा है। रूस का डोनेट्ज़ प्रदेश ऐंथ्रासाइट के लिए विख्यात है। संयुक्त राष्ट्र (अमरीका) का संपूर्ण ऐंथ्रासाइट अपैलैचियन क्षेत्र से प्राप्त होता है। पेंसिलवेनिया और अलास्का के ऐंथ्रासाइट निक्षेप इसी क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। पेंसिलवेनिया के उत्तरी-पूर्वी भाग में लगभग ४८० वर्ग मील क्षेत्रफल में ऐंथ्रासाइट निकाला जाता है।
ग्रेट ब्रिटेन विश्व के चार बड़े कोयला उत्पादकों में से एक है। वहाँ का समस्त कोयला उच्च श्रेणी का है। वेल्स का ऐंथ्रासाइट अपने गुणों के कारण विश्वविख्यात है तथा विदेशों में इसकी माँग अधिक है। यहाँ के कोयला स्तरों की मोटाई १२० फुट तक है। भारतवर्ष में उपलब्ध अधिकतर कोयला उच्चतम श्रेणी का नहीं है, परंतु कश्मीर और दार्जिलिंग का कोयला ऐंथ्रासाइट के समान ही है।
बाहरी कड़ियाँ
- Distribution of Pennsylvania Coals
- History of anthracite coal mining
- "A Jewel In the Crown of Old King Coal Eckley Miners' Village" by Tony Wesolowsky, Pennsylvania Heritage Magazine, Volume XXII, Number 1 - Winter 1996
- The Eastern Pennsylvania Coalition for Abandoned Mine Reclamation
- The Anthracite Heritage Museum.