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एल् हास्पिटल का नियम

गियोम द लोपिताल के सम्मान में यह नामकरण किया गया।

कलन में लोपिताल के नियम की सहायता से अनिर्धार्य रूप वाले फलनों का सीमान्त मान ज्ञात किया जाता है। इसके अनुप्रयोग से अनिर्धार्य रूप वाले फलन किसी ऐसे व्यंजक में परिवर्तित हो जाते हैं जिसमें सीमा चर को रखकर मान प्राप्त किया जा सकता है।

इस नियम का नामकरण १७वीं सदी के फ्रांसीसी गणितज्ञ गियोम द लोपिताल के सम्मान में किया गया।[1]) उन्होंने यह नियम १६९६ में अपनी पुस्तक एनालिसिस डेस इन्फिनिमेंट पटिटस पौर एल-इंटेलिजेंस डेस लिग्नेस कुर्बेस (शाब्दिक अनुवाद: वक्रीय रेखाओं को समझने हेतु अनन्तसूक्ष्म का विशलेषण) में किया था। यह पुस्तक अवकलन पर लिखी गयी प्रथम पुस्तक थी।[2][3] यद्यपि, यह माना जाता है कि इस नियम की खोज सर्वप्रथम स्विस गणितज्ञ योहान बेर्नुली ने की थी।[4]

अपने सरलतम रूप में, लोपिताल नियमानुसार, खुले अन्तराल I में बिन्दु c को छोड़कर अन्यत्र अवकलनीय फलनों f और g के लिए:

यदि

, और
  प्राप्त होता है और
जहाँ वो सभी x अन्तराल I में हैं जिनके लिए xc है

तब

.

तब अंश और हर का अवकलन प्रायः भागफल का मान देता है अथवा एक ऐसी सीमा में परिवर्तित हो जाता है जिसका मान सीधे ज्ञात किया जा सकता है।

उदाहरण

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  • यहाँ लोपिताल नियम को लगातार तीन बार लागू किया गया है। इसे दूसरे तरह से भी कर सकते हैं, (x3 से ऊपर और नीचे भाग देकर):



  • — लोपिताल नियम को बार लगाने पर;


  • при .


अन्य अनिर्धार्य रूपों के लिए

तथा के अलावा अन्य अनिर्धार्य रूपों के लिये भी आवश्यक परिवर्तन करके लोपिताल नियम का उपयोग किया जा सकता है। कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं।

  • प्रकार के लिये
इसके लिये ये दो तरीके अपना सकते हैं                      या         


यह उदाहरण देखें


  • प्रकार के लिये

सन्दर्भ

  1. १७वीं और १८वीं सदी में यह नाम सामान्यतः एल-हॉस्पिटल के रूप में उच्चारित किया जाता था और वो स्वयं भी इसे इसी तरह उच्चारित करते थे। यद्यपि, फ्रांसीसी वर्तनी बदल गयी: इसमें से मूक अक्षर 'एस' (s) को इसके पूर्ववर्ती व्यंजनों द्वारा हटा दिया गया। पूर्ववर्ती वर्तनी अंग्रेज़ी में अब भी विद्यमान है।
  2. ओ'कोन्नोर, जॉन जे॰; रोबर्ट्सन, एडमुंड एफ॰ (21 दिसम्बर 2008). "De L'Hopital biography". The MacTutor History of Mathematics archive. स्कॉटलैण्ड: School of Mathematics and Statistics, University of St Andrews. मूल से 6 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २१ मई २०१५.
  3. L’Hospital, Analyse des infiniment petits... , pages 145–146 Archived 2015-07-28 at the वेबैक मशीन: "Proposition I. Problême. Soit une ligne courbe AMD (AP = x, PM = y, AB = a [see Figure 130] ) telle que la valeur de l’appliquée y soit exprimée par une fraction, dont le numérateur & le dénominateur deviennent chacun zero lorsque x = a, c’est à dire lorsque le point P tombe sur le point donné B. On demande quelle doit être alors la valeur de l’appliquée BD. [Solution: ]...si l’on prend la difference du numérateur, & qu’on la divise par la difference du denominateur, apres avoir fait x = a = Ab ou AB, l’on aura la valeur cherchée de l’appliquée bd ou BD." Translation : "Let there be a curve AMD (where AP = X, PM = y, AB = a) such that the value of the ordinate y is expressed by a fraction whose numerator and denominator each become zero when x = a; that is, when the point P falls on the given point B. One asks what shall then be the value of the ordinate BD. [Solution: ]... if one takes the differential of the numerator and if one divides it by the differential of the denominator, after having set x = a = Ab or AB, one will have the value [that was] sought of the ordinate bd or BD."
  4. एरिक डब्ल्यू वेइसटीन, मैथवर्ल्ड पर L'Hospital's Rule