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एकीकृत परिपथ

माइक्रोचिप कम्पनी की इप्रोम (EPROM) स्मृति के एकीकृत परिपथ
आधुनिक सरफेस माउण्ट आईसी
ऐटमेल (Atmel) की एक आईसी, जिसके अन्दर स्मृति ब्लॉक, निवेश निर्गम (इन्पुट-ऑउटपुट) एवं तर्क के ब्लॉक देखे जा सकते हैं। यह एक ही चिप में पूरा तन्त्र (System on Chip) है।

एलेक्ट्रॉनिकी में एकीकृत परिपथ या एकीपरि (इन्टीग्रेटेड सर्किट (IC)) को सूक्ष्मपरिपथ (माइक्रोसर्किट), सूक्ष्मचिप, सिलिकॉन चिप, या केवल चिप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धचालक पदार्थ के अन्दर बना हुआ एलेक्ट्रॉनिक परिपथ ही होता है जिसमें प्रतिरोध, संधारित्र आदि पैसिव कम्पोनेन्ट (निष्क्रिय घटक) के अलावा डायोड, ट्रान्जिस्टर आदि अर्धचालक अवयव निर्मित किये जाते हैं। जिस प्रकार सामान्य परिपथ का निर्माण अलग-अलग (डिस्क्रीट) अवयव जोड़कर किया जाता है, आईसी का निर्माण वैसे न करके एक अर्धचालक के भीतर सभी अवयव एक साथ ही एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्मित कर दिये जाते हैं। एकीकृत परिपथ आजकल जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग में लाये जा रहे हैं। इनके कारण एलेक्ट्रानिक उपकरणों का आकार अत्यन्त छोटा हो गया है, उनकी कार्य क्षमता बहुत अधिक हो गयी है एवं उनकी शक्ति की जरूरत बहुत कम हो गयी है।

संकर एकीकृत परिपथ भी लघु आकार के एकीपरि (एकीकृत परिपथ) होते हैं किन्तु वे अलग-अलग अवयवों को एक छोटे बोर्ड पर जोड़कर एवं एपॉक्सी आदि में जड़कर (इम्बेड करके) बनाये जाते हैं। अतः ये मोनोलिथिक आई सी से भिन्न हैं।

परिचय

सूक्ष्मचिप, एकीपरि की एक चिप होती है, जो कि सिलिकॉन से बनी होती है। यह प्रोगाम लॉजिक और कंप्यूटर मेमोरी के लिए बनाई जाती है। वर्तमान में सूक्ष्मचिप कंप्यूटर, मोबाइल, पीडीए और माइक्रोवेव ओवन सहित कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का आवश्यक अंग बन चुकी हैं।[1] सूक्ष्मचिप अपने ५० वर्षो की यात्रा पूर्ण कर चुकी है। १९५८ में इसका अविष्कार रॉबर्ट नॉयस और जैक किल्बे ने किया था। ये दोनों अलग-अलग कंपनियों में काम करते थे और दोनों ही कंपनियां इस शोध को अपने दृष्टिकोण से कर रही थी। इस शोध के उपरांत बाद दोनों ही कंपनियों ने इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया। बाद में दोनों कंपनियों को सम्मिलित रूप से इसका लाइसेंस दिया गया और इसका सम्मिलत पेटेंट दिया गया। पहली बार सूक्ष्मचिप १९६१ में लोगों को उपलब्ध हुई। जिक किल्बे ने ही बाद में पोर्टेबल कैलकुलेटर का आविष्कार किया। तब से लेकर अब तक सूक्ष्मचिप में कई बदलाव आ चुके हैं। पहली सूक्ष्मचिप में जहां एक ट्रांजिस्टर, एक कैपेसिटर और तीन रजिस्टर थे, वहीं आज की सूक्ष्मचिप में एक छोटी सी जगह में लगभग १२५ मिलियन ट्रांजिस्टर समाए होते हैं।

सूक्ष्मचिप के कई और लाभ भी हैं। वर्तमान में सूक्ष्मचिप का प्रयोग जैविक प्रणालियों (बॉयोलॉजिकल सिस्टम) में होता है। इसका प्रयोग जीवन बचाने में भी होने लगा है। हृदय रोगियों के लिए पेसमेकर में भी सूक्ष्मचिप रहती है। पेसमेकर हृदय गति नियत्रिंत रखता है। सूक्ष्मचिप का प्रयोग घड़ियों, मोबाइल फोन से लेकर स्पेस शटल तक में हो रहा है।

इतिहास

सन् १९४७ में ट्रांजिस्टर के आविष्कार के बाद एकीपरि (एकीकृत परिपथ) के विकास का रास्ता साफ हो गया था। सन् १९५८-५९ में दो व्यक्तियों ने लगभग एक ही तरह की आई सी लगभग एक ही समय विकसित की। वे अलग-अलग काम कर रहे थे और एक-दूसरे के काम से अनभिज्ञ थे। ये व्यक्ति थे - टेक्सास इंस्ट्रूमेन्ट्स में कार्यरत जैक किल्बी (Jack Kilby) और फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर कारपोरेशन के सह-संस्थापक रॉबर्ट नॉयस (Robert Noyce)। दोनो ही विद्युत इंजीनियर थे और दोनो ही इस बात का हल निकालने में जुटे हुए थे कि अनेकानेक संख्याओं वाले परिपथों को कैसे विश्वसनीय रूप से निर्मित किया जाय और उनका आकार कैसे छोटा किया जाय। आज हम कह सकते हैं कि यदि ट्रांसिस्टर का आविष्कार न होता तो एकीपरि न होता; और एकीपरि न होता तो कम्प्यूटर और अन्य एलेक्ट्रॉनिक उपकरण न होते जिनका परिपथ करोड़ों-अरबों अवयवों से बना होता है।

लाभ

एकीपरि (एकीकृत परिपथ) के विकास से निम्नलिखित लाभ होते हैं-

  • लाखों, करोड़ों या अरबों अवयवों वाले परिपथ भी विश्वसनीय रूप से काम करते हैं।
  • इतने सारे अवयवों (components) को आपस में जोड़ने मे लगने वाला समय अब नहीं लगता।
  • परिपथ का आकार बहुत छोटा हो जाता है जिससे छोटे आकार के एलेक्ट्रॉनिक चीजें बनायी जा सकतीं हैं।
  • बड़े परिपथ इस प्रकार योजना किये जा सकते हैं कि वे कम से कम शक्ति (पॉवर) से काम कर सकें।

वर्गीकरण

आईसी द्वारा प्रसंस्कृत संकेत के आधार पर-

एकीकृत परिपथों को उनके अन्दर के परिपथ की प्रकृति के आधार पर तीन भागों में बांटा जाता है-

  • एनालॉग आईसी (Analog IC) - जिनका परिपथ किसी एनालॉग प्रकृति के काम के लिये बना होता है। जैसे uA741 (आपरेशनल एम्प्लिफायर) एक एनालॉग आईसी है।
  • डिजिटल आईसी (Digital IC) - जिनका परिपथ आंकिक प्रकृति का होता है। सभी लॉजिक आईसी, माइक्रोप्रोसेसर, डीएसपी आदि डिजिटल आईसी है।
  • मिश्रित संकेत आईसी (Mixed signal IC) - इन एकीकृत परिपथों पर एनॉलॉग और डिजिटल दोनो ही परिपथ मौजूद होते हैं। उदाहरण के लिये कुछ माइक्रोकन्ट्रोलरों पर दोनो तरह के परिपथ होते हैं। एडीसी (ADC) तथा डीएसी (DAC) के एकीपरि (एकीकृत परिपथ) इस श्रेणी में आते हैं।
ट्रांजिस्टरों की संख्या के आधार पर-

डिजिटल एकीकृत परिपथों को उनमें प्रयुक्त ट्रांजिस्टरों की सख्या के आधार पर स्माल स्केल इंटीग्रेटेड (SSI), मिडियम स्केल इंटीग्रेटेड (MSI), लार्ज स्केल इंटीग्रेटेड (LSI), वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेटेड (VLSI), अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेटेड (ULSI) आदि में बांटा जाता है।

निर्माण प्रौद्योगिकी के आधार पर-
किसी परिपथ में लगी एक संकर (हाइब्रिड) आईसी (नारंगी रंग की एपॉक्सी में)

कुछ प्रसिद्ध एकीकृत परिपथ

  • 555 टाइमर आइसी - लोकप्रिय टाइमर आइसी है। यह अन्य कामों के अलावा मुख्यतः ए-स्टेबल मल्टीवाइब्रेटर एवं मोनो-स्टेबल मल्टीवाइब्रेटर बनाने के लिये काम आता है।
  • 7400 series TTL logic building blocks (तार्किक निर्माण ब्लॉक)
  • MOS Technology 6502 और Zilog Z80 माइक्रोप्रोसेसर जो १९८० के दशक में अनेकों घरेलू कम्प्यूटरों में प्रयुक्त हुए।

एकीकृत परिपथ की पीढ़ियाँ

आरम्भिक दिनों में आईसी के अन्दर कुछेक ट्रान्जिस्टर ही हुआ करते थे। जैसे-जैसे तकनीकी का विकास हुआ, आईसी के अन्दर लाखों, करोड़ों और अरबों ट्रान्जिस्टर बनने लगे हैं। [2]

नामSignificationवर्षट्रांजिस्टरों की संख्या[3]Logic gates number[4]
SSIsmall-scale integration19641 to 101 to 12
MSImedium-scale integration196810 to 50013 to 99
LSIlarge-scale integration1971500 to 20,000100 to 9,999
VLSIvery large-scale integration198020,000 to 10,00,00010,000 to 99,999
ULSIultra-large-scale integration198410,00,000 and more1,00,000 and more

इन्हें भी देखें

सामान्य विषय
संबंधित युक्तियां एवं शब्द
IC युक्तियों की प्रौद्योगिकी
अन्य

सन्दर्भ

  1. सूक्ष्मचिप Archived 2015-09-14 at the वेबैक मशीन। हिन्दुस्तान लाइव। २१ दिसम्बर २००९
  2. Peter Clarke, Intel enters billion-transistor processor era, EE Times, 14 October 2005 Archived 2013-05-10 at the वेबैक मशीन
  3. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 9 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंबर 2017.
  4. Bulletin de la Societe fribourgeoise des sciences naturelles, Volumes 62 à 63 (फ़्रेंच में). 1973. मूल से 14 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंबर 2017.

बाहरी कड़ियाँ

सामान्य

श्रव्य-दृश्य (Audio video)

छवियाँ

आइसी के डाई का फोटो