ऊष्मा रोधन
दो वस्तुओं के बीच में ऊष्मा के प्रवाह में अवरोध को ऊष्मा अवरोधन (Thermal insulation) कहते हैं।[1] ऊष्मा के रोधन के लिये विशेष रूप से अभिकल्पित प्रक्रमों, विशेष आकर तथा उपयुक्त पदार्थों का चुनाव बहुत जरूरी है।
दो अलग-अलग ताप वाली वस्तुओं के सीधे सम्पर्क में आने पर उनके बीच ऊष्मा का अन्तरण अवश्य होगा। किन्तु इन दोनों वस्तुओं के बीच ऊष्मारोधी पदार्थ प्रविष्ट करा देने से ऊष्मा का प्रवाह पहले से कम होगा। कितना कम होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि ऊष्मारोधी पदार्थ की मोटाई कितनी है, उसकी ऊष्मा चालकता कितनी कम है आदि। इसी प्रकार विकिरण द्वारा ऊष्मा के प्रवाह को कम करने के लिये कुछ अन्य तरीके अपनाए जाते हैं।
किसी पदार्थ की ऊष्मा चालकता जितनी कम होती है, वह उतना ही अच्छा ऊष्मारोधी होता है। ऊष्मा इंजीनियरी के क्षेत्र में ऊष्मारोधी पदार्थ के अन्य गुण हैं, घनत्व तथा विशिष्ट ऊष्मा।
प्रमुख ऊष्मारोधी पदार्थ
- तन्तु काँच (फाइबर ग्लास)
- खनिज ऊर्ण (मिनरल वुल)
- सेलुलोज
- पॉलीयूरेथीन फोम
- पॉलीयूरेथीन ई पी एस
इन्हें भी देखें
- ऊष्मा
- ऊष्मा अन्तरण (हीट ट्रान्सफर)
- ऊष्मा चालकता
- विद्युतरोधी (एलेक्ट्रिकल इन्सुलेटर)
सन्दर्भ
- ↑ Bergman, Lavine, Incropera and DeWitt, Introduction to Heat Transfer (sixth edition), Wiley, 2011.