ऊष्णीष विजय धारणी सूत्र
ऊष्णीष विजय धारणी सूत्र (चीनी: 佛頂尊勝陀羅尼經; Korean pronunciation: Butchō Sonshō Darani Kyō; Vietnamese: Phật Đỉnh Tôn Thắng Đà la ni) भारत के महायान सम्रदाय का सूत्र है। इसका पूरा नाम यह है - सर्वदुर्गतिपरिशोधन ऊष्णीष विजय धारणी सूत्र।
सूत्र
नमो भगवते त्रैलोक्य प्रतिविशिष्टाय बुद्धाय भगवते। तद्यथा ॐ विशोधय विशोधय। असमसम समन्तवभास स्फरण गति गहन स्वभाव विशुद्धे। अभिषींचतु मां। सुगत वर वचन। अमृताभिषेकै महामन्त्र पदै। आहर आहर आयुः सन्धारणि। शोधय शोधय गगन विशुद्धे। उष्णीष विजय विशुद्धे। सहस्ररश्मि संचोदिते। सर्व तथागतावलोकनि षट्पारमिता परिपूरणि। सर्व तथागत हृदयाधिष्ठानाधिष्ठित महामुद्रे। वज्रकाय संहतन विशुद्धे। सर्व-आवरणापायदुर्गति परिविशुद्धे। प्रतिनिवर्तय-आयुः शुद्धे। समयाधिष्ठिते मणि मणि महामणि। तथता भूतकोटि परिशुद्धे। विस्फुट बुद्धि शुद्धे। जय जय। विजय विजय। स्मर स्मर। सर्व बुद्धाधिष्ठित शुद्धे। वज्रे वज्रगर्भे वज्रं भवतु मम शरीरं। सर्व सत्त्वानां च काय परिविशुद्धे। सर्व गति परिशुद्धे। सर्व तथागताश्च में सम-आश्वासयन्तु। सर्व तथागत सम-आश्वासाधिष्ठिते। बुध्य बुध्य। विबुध्य विबुध्य। बोधय बोधय। विबोधय विबोधय। समन्त परिशुद्धे। सर्व तथागत हृदयाधिष्ठानाधिष्ठित महामुद्रे स्वाहा॥
अर्थ
नमो भगवते त्रैलोक्य प्रतिविशिष्टाय बुद्धाय भगवते।
(Adoration to the Blessed One, in the Three Lokas the most excellent,to the enlightened)
तद्यथा ॐ विशोधय विशोधय।
(Adoration to the blessed, Namely: Om̐, cleanse, cleanse)
असमसम समन्तवभास स्फरण गति गहन स्वभाव विशुद्धे। अभिषीञ्चतु मां।
(The always impartial, being in possession of all-pervading, all-illuminating light, cleansed of the darkness of the five paths of existence, the pure in-thatself.)
सुगत वर वचन। अमृताभिषेकै महामन्त्र पदै।
(Consecrate us, Sugata, with an immortal consecration which consists of the best words,the great true phrases)
आहर आहर आयुः सन्धारणि।
(Remove disasters, remove disasters, holder of an eternal life)
शोधय शोधय गगन विशुद्धे। उष्णीष विजय विशुद्धे। सहस्ररश्मि सञ्चोदिते।
(Cleanse us, cleanse us, he as-pure-as-the-sky, as the victorious head-crown as pure, the inflamed with a thousand rays of light)
सर्व तथागतावलोकनि षट्पारमिता परिपूरणि।
(Oh One overseeing the Thus-Gone(Tathāgata) ones, the perfect in the six Pāramitās)
सर्व तथागत हृदयाधिष्ठानाधिष्ठित महामुद्रे। वज्रकाय संहतन विशुद्धे।
(Oh One who from the heart of every Tathāgata the spiritual power emanating holds the great seal, whose body is as adamantine and pure as thunderbolt/diamond)
सर्व-आवरणापायदुर्गति परिविशुद्धे। प्रतिनिवर्तय-आयुः शुद्धे।
(Oh One who is thoroughly cleansed of all return-compelling Karma)
समयाधिष्ठिते मणि मणि महामणि।
(Keep your promise, jewel, jewel, great jewel)
तथता भूतकोटि परिशुद्धे। विस्फुट बुद्धि शुद्धे। जय जय। विजय विजय।
(Suchness, the absolute pinnacle of evolved purity of mind, be victorious, be victorious; be ever victorious; be ever victorious)
स्मर स्मर।
(Bear in mind; bear in mind)
सर्व बुद्धाधिष्ठित शुद्धे।
(Oh One who of all Buddhas is the pure and appointed)
वज्रे वज्रगर्भे वज्रं भवतु मम शरीरं।
(Vajra-holding diamond-womb, let my body be like diamond)
सर्व सत्त्वानां च काय परिविशुद्धे। सर्व गति परिशुद्धे।
(Oh One who possesses a pure body – who is absolutely pure from all the paths of existence)
सर्व तथागताश्च में सम-आश्वासयन्तु। सर्व तथागत सम-आश्वासाधिष्ठिते। बुध्य बुध्य। विबुध्य विबुध्य।
(Oh One who consoles me by all the Tathāgatas, o One who is empowered with all the consoling power of the Tathāgatas, be enlightened, be enlightened, be ever enlightened, be ever enlightened)
बोधय बोधय। विबोधय विबोधय। समन्त परिशुद्धे।
(Have them enlightened, have them enlightened, have them ever enlightened, have them ever enlightened, the most pure in a thoroughgoing way)
सर्व तथागत हृदयाधिष्ठानाधिष्ठित महामुद्रे स्वाहा॥
(Oh One who from the heart of every Tathāgata the spiritual power emanating holds he great seal, Hail!)