जब गर्म वायु राशियाँ तेज़ी से ठंडी वायुराशियों के ऊपर स्थापित होती हैं तो उष्ण वाताग्र का निर्माण होता है।
मध्य अक्षांशों में उष्ण वताग्र की ढ़ाल प्रवणता 1:100 से 1:400 तक होती है।
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