उम्म कुल्सुम बिन्त अली
ज़ैनब अल-सुग़रा (अरबी:زَيْنَب ٱلصُّغْرَىٰ, शाब्दिक रूप से 'ज़ैनब द यंगर') जिसे उनके कुन्या उम्मे कुलसुम बिन्त अली (अरबी: أُمّ كُلْثُوم بِنْت عَلِ) के नाम से भी जाना जाता है, इस्लामिक पैगंबर मुहम्मद की नवासी अर्थात् बेटी फ़ातिमा की बेटी थी। मुहम्मद साहब ने अपनी पुत्री फातिमा की शादी सन 623 में अपने ही चचेरे भाई हज़रत अली से करा दी थी उम्मे कुलसुम अली और फातिमा की चौथी संतान थी।
उसका जन्म सन 628 या हिजरी सन 6 में हुआ था .अली और फातिमा के चार बच्चे हुए,हसन (625),हुसैन (626 ),जैनब और उमे कुलसुम .यानि कुलसुम सबसे छोटी थी .कुलसुम की माँ फातिमा जा जन्म सन 605 में हुआ था और मौत सन 632 में हुई थी .उसी साल मुहम्मद साहब की मृत्यु हुई थी। कुलसुम कब्र सीरिया के शहर दमिश्क में "बागे सगीर "नामकी जगह में है। बोहरा मुस्लिम वहां जियारत करते हैं। हजरत उमर से शादी के बाद उम्मे कुलसुम का एक लड़का भी हुआ था जिसका नाम "जैद बिन उमर "था।
कर्बला की लड़ाई में
ऐसा कहा जाता है कि वह कर्बला की लड़ाई में मौजूद थी, जिस दौरान एक हमलावर सैनिक ने उसके झुमके ले लिए थे। कहा जाता है कि बाद में, उम्मे कुलसुम ने युद्ध में मारे गए अपने भाई हुसैन को छोड़ने के लिए कूफा के लोगों की निंदा करते हुए एक स्तवन दिया।[1][2]