उत्पाद जीवनचक्र प्रबंधन
उत्पाद जीवनचक्र प्रबंधन/प्रोडक्ट लाइफसाइकिल मैनेजमेंट (पीएलएम/PLM) एक उत्पाद की संकल्पना से लेकर इसकी डिज़ाइन व उत्पादन से होते हुए सेवा एवं प्रशमन तक इसके सम्पूर्ण जीवनचक्र के प्रबंधन की प्रक्रिया है।[1] पीएलएम (PLM) व्यक्तियों, डेटा, प्रक्रियाओं एवं व्यापारिक प्रणालियों को एकीकृत करती है तथा कम्पनियों व उनके विस्तारित उद्यम के लिये एक उत्पाद सूचना आधार प्रदान करती है।[2]
उत्पाद जीवनचक्र प्रबंधन (पीएलएम (PLM)) का अधिक संबंध किसी उत्पाद के विकास और उपयोगी जीवन के दौरान इसके गुणों व विवरणों के प्रबंधन से होता है,[] मुख्यतः एक व्यापारिक/इंजीनियरिंग दृष्टिकोण से; जबकि उत्पाद जीवन चक्र प्रबंधन (पीएलसीएम (PLCM)) किसी व्यापार/वाणिज्यिक लागतों और विक्रय मापनों के सन्दर्भ में बाज़ार में किसी उत्पाद के जीवन से संबंधित होता है।[]
उत्पाद जीवनचक्र प्रबंधन किसी निगम की सूचना प्रौद्योगिकी संरचना की चार आधारशिलाओं में से एक है।[3] सभी कंपनियों को अपने उपभोक्ताओं (सीआरएम (CRM)-उपभोक्ता संबंध प्रबंधन), अपने आपूर्तिकर्ताओं (एससीएम (SCM)-आपूर्ति शृंखला प्रबंधन), उद्यम के अंतर्गत अपने संसाधनों (ईआरपी (ERP)-उद्यम संसाधन नियोजन) और अपने नियोजन (एसडीएलसी (SDLC)- प्रणाली विकास जीवनचक्र) के साथ संचार और सूचना के प्रबंधन की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, उत्पादन इंजीनियरिंग कम्पनियों को अनिवार्य रूप से अपने उत्पादों के बारे में सूचना का विकास, प्रबंधन और संप्रेषण करने की आवश्यकता होती है।
पीएलएम (PLM) के एक रूप को लोक-केंद्रित पीएलएम (PLM) कहा जाता है। एक ओर जहां पारंपरिक पीएलएम (PLM) उपकरणों को केवल रिलीज़ होने पर या रिलीज़ चरण के दौरान लागू किया जाता है, वहीं लोक-केंद्रित पीएलएम (PLM) डिज़ाइन चरण पर लक्ष्यित होता है।
हालिया (2009 की जानकारी के अनुसार) आईसीटी (ICT) विकास (ईयू (EU) द्वारा वित्तपोषित प्रोमिस (PROMISE) परियोजना 2004-2008) ने पीएलएम (PLM) को पारंपरिक पीएलएम (PLM) के आगे विस्तारित करने और संवेदक के डेटा व वास्तविक समय के 'जीवनचक्र घटना डेटा' को पीएलएम (PLM) में एकीकृत करने तथा साथ ही, एक एकल उत्पाद के सकल जीवनचक्र में विभिन्न खिलाड़ियों तक (सूचना पाश को बंद करते हुए) यह सूचना उपलब्ध करवाने की अनुमति प्रदान की है। इसके परिणामस्वरूप एक क्लोज्ड लूप लाइफसाइकिल मैनेजमेंट/बंद पाश जीवनचक्र प्रबंधन (सीएलटूएम/CL2M) में पीएलएम (PLM) का विस्तार हुआ है।
लाभ
उत्पाद जीवनचक्र प्रबंधन के प्रलेखित लाभों में शामिल हैं:[4][5]
- बाजार तक पहुंचने में लगनेवाले समय में कमी
- उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार
- प्रोटोटाइपिंग लागत में कमी
- अधिक सटीक एवं समयोचित बोली अनुरोध का निर्माण
- संभावित विक्रय अवसरों एवं राजस्व योगदानों को शीघ्रता से पहचान पाने की क्षमता
- मूल डेटा के पुनर्प्रयोग के माध्यम से बचत
- उत्पाद इष्टतमीकरण का एक ढांचा
- कूड़े में कमी
- इंजीनियरिंग कार्यप्रवाह के पूर्ण एकीकरण के माध्यम से बचत
- ऐसा दस्तावेजीकरण, जो रोएचएस (RoHS) या टाइटल 21 सीएफआर भाग 11 (Title 21 CFR Part 11) के लिये संगतता को साबित कर पाने में सहायक हो
- अनुबंध उत्पादकों को एक केंद्रीकृत उत्पाद रिकार्ड का अभिगमन कर पाने की क्षमता प्रदान करना
पीएलएम (PLM) के क्षेत्र
पीएलएम (PLM) के भीतर मुख्यतः पांच प्राथमिक क्षेत्र होते हैं;
- सिस्टम्स इंजीनियरिंग (एसई (SE))
- उत्पाद और पोर्टफोलियो प्रबंधन (पीपीएम (PPM))
- उत्पाद डिजाइन (कैक्स (CAx))
- उत्पादन प्रक्रिया प्रबंधन (एमपीएम (MPM))
- उत्पाद डेटा प्रबंधन (पीडीएम (PDM))
ध्यान दें: जब पीएलएम (PLM) प्रक्रियाओं के लिये अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर की आवश्यकता न हो, तो व्यापारिक जटिलता और परिवर्तन की दर के लिये आवश्यक होता है कि संगठन यथासंभव तीव्रता से क्रियान्वित हों.
सिस्टम्स इंजीनियरिंग सभी आवश्यकताओं की पूर्ति, मुख्यतः उपभोक्ता की आवश्यकताओं की पूर्ति, तथा सभी प्रासंगिक अनुशासनों को सम्मिलित करते हुए प्रणाली डिज़ाइन प्रक्रिया के तालमेल पर केंद्रित होती है। उत्पाद और पोर्टफोलियो संसाधन आवंटन के प्रबंधन, प्रक्रिया (या स्थिर अवस्था में) स्थित नई उत्पाद विकास परियोजनाओं में प्रगति बनाम योजना की निगरानी करने पर केंद्रित होता है। पोर्टफोलियो प्रबंधन एक ऐसा उपकरण है, जो नए उत्पादों की प्रगति की निगरानी करने और विरल संसाधनों का आवंटन करते समय दुविधापूर्ण निर्णय लेने में सहायता करता है। उत्पाद डेटा प्रबंधन विकास व उपयोगी जीवन के माध्यम से उत्पादों तथा/या सेवाओं से संबंधित जानकारी प्राप्त करने व उसका रख-रखाव करने पर केंद्रित होता है।
विकास प्रक्रिया का परिचय
पीएलएम (PLM) (उत्पाद जीवनचक्र प्रबंधन) का मूल सभी उत्पादों से संबंधित डेटा और इस सूचना व ज्ञान का अभिगमन करने के लिये प्रयुक्त प्रौद्योगिकी के निर्माण व केंद्रीय प्रबंधन में निहित होता है। एक अनुशासन के रूप में पीएलएम (PLM) का उदय कैड (CAD), कैम (CAM) तथा पीडीएम (PDM) जैसे उपकरणों से हुआ, लेकिन इसे एक उत्पाद के जीवन की सभी अवस्थाओं के दौरान विधियों, व्यक्तियों व प्रक्रियाओं के माध्यम से इन उपकरणों के साथ एकीकरण के रूप में देखा जा सकता है।[6] यह केवल सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी से संबंधित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापारिक रणनीति भी है।[7]
सरलता के लिये, यहां वर्णित अवस्थाओं को एक पारंपरिक क्रमागत इंजीनियरिंग कार्यप्रवाह में दर्शाया गया है। घटना और कार्यों का सटीक क्रम उत्पाद एवं इससे संबंधित उद्योग के अनुसास परिवर्तित होगा, लेकिन मुख्य प्रक्रियाएं निम्नलिखित हैं:[8]
- संकल्पना
- विनिर्देशन
- अवधारणा डिज़ाइन
- डिज़ाइन
- विस्तृत डिज़ाइन
- सत्यापन और विश्लेषण (अनुकरण)
- उपकरण डिज़ाइन
- अनुभूति
- उत्पादन की योजना
- उत्पादन
- निर्माण/एकत्रीकरण
- परीक्षण (गुणवत्ता की जांच)
- सेवा
- विक्रण व सुपुर्दगी
- उपयोग
- रख-रखाव व समर्थन
- निपटान
प्रमुख महत्वपूर्ण बिंदु घटनाएं निम्नलिखित हैं:
- क्रम
- विचार
- प्रारंभ
- डिज़ाइन स्थगन
- प्रक्षेपण
हालांकि वास्तविकता अधिक जटिल होती है, व्यक्ति एवं विभाग अपने कार्य अकेले नहीं कर सकते और एक क्रम में किसी गतिविधि को समाप्त करके अगली गतिविधि को प्रारंभ नहीं किया जा सकता. डिज़ाइन एक दोहरावपूर्ण प्रक्रिया है, उत्पादन प्रतिबंधों या टकरावपूर्ण आवश्यकताओं के कारण अक्सर डिज़ाइनों में संशोधन की आवश्यकता होती है। किसी समय-सीमा में अच्छी तरह से समाने वाला एक उपभोक्ता आदेश वे स्थितियां, जिनमें एक उपभोक्ता आदेश किसी समय-रेखा में समा जाता है, उद्योग के प्रकार पर तथा इस बात पर निर्भर होती हैं कि उदाहरणार्थ क्या उत्पाद आदेश के अनुसार निर्मित (बिल्ड टु ऑर्डर), आदेश के अनुसार अभियंत्रित (इंजीनियर टु ऑर्डर) या आदेश के अनुसार एकत्र (असेम्बल टु ऑर्डर) है।
इतिहास
अमेरिकन मोटर्स कॉर्पोरेशन (एएमसी (AMC)) के उत्पाद इंजीनियरिंग एवं विकास उपाध्यक्ष फ्रैंकॉइस कास्टैंग के अनुसार उदित हो रही उस व्यापारिक प्रक्रिया, जिसे अब पीएलएम (PLM) के नाम से जाना जाता है, की प्रेरणा तब मिली, जब 1985 में कंपनी अपने बड़े प्रतियोगियों के खिलाफ बेहतर प्रतिस्पर्धा करने के लिये अपनी उत्पाद विकास प्रक्रिया की गति बढ़ाने हेतु किसी विधि की खोज कर रही थी।[9] अपनी सुसंबद्ध जीप शेरोकी (एक्सजे) (Jeep Cherokee (XJ)), वह वाहन जिसके साथ आधुनिक खेल उपयोगिता वाहन (sport utility vehicle) (एसयूवी (SUV)) विपणन की शुरुआत हुई, को प्रस्तुत करने के बाद, एएमसी (AMC) ने एक नए मॉडल का विकास शुरु किया, जो जीप ग्रैण्ड शेरोकी (Jeep Grand Cherokee) के नाम से बाज़ार में आया। तीव्रतर उत्पाद विकास के इसके प्रयासों का पहला भाग कम्प्यूटर-समर्थित-डिज़ाइन (कैड (CAD)) सॉफ्टवेयर तंत्र था, जो इंजीनियरों को अधिक उत्पादक बनाता है। इस प्रयास का दूसरा भाग एक नया संवाद तंत्र था, जिसने विवादों को अधिक तीव्रता से निपटाने तथा साथ ही महंगे इंजीनियरिंग शुल्कों को कम करने में सहायता की क्योंकि सभी चित्र और दस्तावेज एक केंद्रीय डेटाबेस में थे। उत्पाद डेटा प्रबंधन इतना अधिक प्रभावी रहा कि एएमसी (AMC) द्वारा क्रिस्लर (Chrysler) को खरीद लेने पर, इस प्रणाली को उत्पादों की डिज़ाइनिंग व निर्माण में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को जोड़ते हुए पूरे उद्यम में विस्तारित किया गया। पीएलएम (PLM) प्रौद्योगिकी को शुरू में अपनाने वाली क्रिस्लर (Chrysler) वाहन उद्योग का निम्नतम-लागत उत्पादक बनने में सक्षम हुई और इसकी विकास लागत 1990 के दशक के मध्य तक इस उद्योग में विकास की औसत लागत की आधी थी।[9]
उत्पाद जीवनचक्र के चरण और इससे संबंधित प्रौद्योगिकियां
एक उत्पाद के जीवनचक्र के विभिन्न चरणों को व्यवस्थित एवं एकीकृत करने लिये अनेक सॉफ्टवेयर समाधान विकसित किये गये हैं। पीएलएम (PLM) को एक एकल सॉफ्टवेयर उत्पाद के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये, बल्कि यह ऐसे सॉफ्टवेयर उपकरणों व कार्यशील विधियों का संग्रह है, जिन्हें जीवनचक्र के किसी एकल चरण पर ध्यान देने के लिये अथवा विभिन्न कार्यों को जोड़ने के लिये अथवा संपूर्ण प्रक्रिया का प्रबंधन करने के लिये एकीकृत किया जाता है। कुछ सॉफ्टवेयर प्रदाता संपूर्ण पीएलएम (PLM) श्रेणी की पूर्ति करते हैं, जबकि अन्य केवल किसी एक क्षेत्र के अनुप्रयोग तक सीमित होते हैं। कुछ अनुप्रयोग एक ही डेटा मॉडल में विभिन्न खण्डों के साथ पीएलएम (PLM) के अनेक क्षेत्रों तक फैले हुए हो सकते हैं। पीएलएम (PLM) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों का एक अवलोकन यहां समाहित किया गया है। हालांकि, इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि सरल वर्गीकरण सदैव सटीक नहीं बैठता, कुछ क्षेत्र एक-दूसरे को आच्छादित करते हैं और कुछ सॉफ्टवेयर उत्पाद एक से अधिक क्षेत्रों में फैले होते हैं या किसी एक श्रेणी में सरलतापूर्वक नहीं रखे जा सकते. हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पीएलएम (PLM) का एक मुख्य लक्ष्य वह ज्ञान एकत्र करना है, जिसका प्रयोग अन्य परियोजनाओं का पुनर्प्रयोग करने तथा अनेक उत्पादों के समकालीन विकास में सहायता प्रदान करने के लिये किया जा सकता है। व्यापारिक प्रक्रियाओं, व्यक्तियों और विधियों के साथ भी इसका उतना ही संबंध है, जितना सॉफ्टवेयर अनुप्रयोग समाधानों के साथ है। हालांकि पीएलएम (PLM) मुख्यतः इंजीनियरिंग कार्यों से संबंधित हैं, लेकिन इसमें उत्पाद पोर्टफोलियो प्रबंधन (पीपीएम (PPM)), विशिष्टतः नए उत्पाद की प्रस्तुति (एनपीआई (NPI)) के सन्दर्भ में, जैसी विपणन गतिविधियां भी शामिल होती हैं।
चरण 1: संकल्पना
कल्पना करें, उल्लिखित करें, योजना बनाएं, नव परिवर्तन करें
उपभोक्ता, कम्पनी, बाज़ार और नियामक निकायों के दृष्टिकोणों के आधार पर इसकी आवश्यकताओं की परिभाषा पहला विचारित चरण होता है। इसके द्वारा उत्पाद के मुख्य मापदण्डों के विनिर्देशों को परिभाषित किया जा सकता है। उत्पाद के मुख्य कार्यात्मक पहलुओं के साथ ही इसके दृश्यात्मक सौंदर्यशास्त्र को परिभाषित करके आवश्यकता विनिर्देशन के समानांतर ही प्रारंभिक अवधारणा डिज़ाइन का कार्य भी किया जाता है। औद्योगिक डिज़ाइन, शैलीकरण, के साथ पेंसिल व कागज़, मिट्टी के मॉडलों से 3डी (3D) केड (CAID) कम्प्यूटर-समर्थित औद्योगिक डिज़ाइन सॉफ्टवेयर से प्रयुक्त विभिन्न माध्यम भी कार्य करते हैं।
चरण 2: डिज़ाइन
वर्णित करें, परिभाषित करें, विकसित करें, परीक्षण करें, विश्लेषित करें व प्रमाणित करें
यहीं से उत्पाद के स्वरूप की विस्तृत रचना व विकास की शुरुआत होती है, जिसके बाद प्रोटोटाइप परीक्षण, प्रारंभिक विमोचन तथा उत्पाद का पूर्ण विमोचन किया जाता है। इसमें पुनर्रचना तथा वर्तमान उत्पादों में सुधार के लिये स्थान एवं साथ ही नियोजित अप्रचलन भी शामिल हो सकता है। डिज़ाइन एवं विकास के लिये प्रयुक्त मुख्य उपकरण कैड (CAD) कम्प्यूटर-समर्थित-डिज़ाइन होता है। यह एक सरल 2डी (2D) चित्रकारी/ड्राफ्टिंग अथवा 3डी (3D) मापदण्ड-युक्त विशेषता पर आधारित ठोस/सतह मॉडलिंग हो सकती है। ऐसे सॉफ्टवेयर हाइब्रिड मॉडलिंग, रिवर्स इंजीनियरिंग, केबीई (KBE) (ज्ञान-आधारित इंजीनियरिंग), एनडीटी (NDT) (गैर-विनाशक परीक्षण), असेम्बली निर्माण आदि जैसी प्रौद्योगिकियों को सम्मिलित करते हैं।
यह चरण मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक, सॉफ्टवेयर (अंतःस्थापित) सहित इंजीनियरिंग के अनेक अनुशासनों तथा डोमेन-विशिष्ट क्षेत्रों को शामिल करता है, जैसे वास्तुकला, एयरोस्पेस, ऑटोमोटिव, … ज्यामिति के वास्तविक निर्माण के साथ ही घटकों व उत्पाद असेम्बलियों का विश्लेषण भी किया जाता है। अनुकरण, प्रमाणीकरण और इष्टतमीकरण के कार्य केस (CASE) (कम्प्यूटर-समर्थित सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग) सॉफ्टवेयर की सहायता से किये जाते हैं, जो या तो किसी कैड (CAD) पैकेज में एकीकृत होता है या स्वतंत्र होता है। इनका प्रयोग तनाव विश्लेषण, एफईए (FEA) (परिमितत तत्त्व विश्लेषण); शुद्ध गति-विज्ञान (Kinematics); संगणनात्मक द्रव गतिकी (सीएफडी (CFD)) तथा मैकेनिकल घटना अनुकरण (एमईएस (MES)) जैसे कार्य करने के लिये किया जाता है। सीएक्यू (CAQ) (कम्प्यूटर-समर्थित गुणवत्ता) का प्रयोग आयाम सहनशीलता (इंजीनियरिंग) विश्लेषण जैसे कार्यों के लिये किया जाता है। खरीदे गए घटकों के स्रोतों का पता लगाना, संभवतः प्रबंध प्रणालियों की सहायता से, इस चरण में किया जाने वाला एक अन्य कार्य है।
चरण 3: अनुभूति करना
उत्पादन करें, निर्मित करें, स्थापित करें, प्रबंधित करें, उत्पन्न करें, बेचें व सुपुर्द करें
एक बार जब उत्पाद के घटकों की रचना पूर्ण हो जाती है, तो उत्पादन की विधि को परिभाषित किया जाता है। इसमें उपकरणों की रचना जैसे कैड (CAD) कार्य; एकीकृत या पृथक कैम (CAM) कम्प्यूटर-समर्थित उत्पादन सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके उत्पाद के पुर्ज़ों के लिये सीएनसी (CNC) मशीनिंग निर्देशों तथा साथ ही उन पुर्ज़ों के उत्पादन के लिये उपकरणों के निर्माण जैसे कार्य शामिल होते हैं। इसमें कास्टिंग (Casting), मोल्डिंग (Molding) और डाइ प्रेस निर्माण (Die press forming) जैसे कार्यों के लिये प्रक्रिया अनुकरण के लिये विश्लेषण उपकरण भी शामिल होंगे। एक बार उत्पादन विधि की पहचान हो जाने पर सीपीएम (CPM) की भूमिका प्रारंभ होती है। इसमें कारखाने, संयंत्र तथा सुविधा लेआउट एवं उत्पादन अनुकरण के लिये केप (CAPE) (कम्प्यूटर-समर्थित उत्पादन इंजीनियरिंग) या कैप/कैप्प (CAP/CAPP)- (उत्पादन नियोजन) उपकरण शामिल होते हैं। उदाहरणार्थ: प्रेस-लाइन अनुकरण; एवं औद्योगिक कर्मचारी परिस्थिति विज्ञान; तथा साथ ही उपकरण चयन प्रबंधन. एक बार घटकों का उत्पादन हो जाने पर कम्प्यूटर समर्थित निरीक्षण उपकरण एवं सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके उनके ज्यामितीय प्रारूप व आकार को मूल कैड (CAD) डेटा के साथ जांचा जा सकता है। इंजीनियरिंग कार्यों के समानांतर ही विक्रय उत्पाद विन्यास एवं विपणन प्रलेखन कार्य भी किया जाएगा. इसमें इंजीनियरिंग डेटा (ज्यामिति एवं भाग सूची डेटा) को किसी वेब आधारित विक्रय विन्यासक तथा अन्य डेस्कटॉप प्रकाशन प्रणालियों पर स्थानांतरित करना शामिल हो सकता है।
चरण 4: सेवा
प्रयोग करें, संचालित करें, अनुरक्षण करें, समर्थन करें, पोषण करें, बाहर-निकालें, सेवानिवृत्त करें, पुनर्चक्रित करें और नष्ट करें
जीवनचक्र के अंतिम चरण में सेवा के अंतर्गत आने वाली सूचना का प्रबंधन शामिल होता है। उपभोक्ताओं तथा सेवा इंजीनियरों को सुधार व रख-रखाव तथा साथ ही अवशिष्ट प्रबंधन/पुनर्चक्रण सूचना के लिये सहायता सूचना प्रदान करना। इसमें रखरखाव, सुधार एवं संचालन प्रबंधन (एमआरओ (MRO)) सॉफ्टवेयर जैसे उपकरणों का प्रयोग करना शामिल है।
सभी चरण: उत्पाद जीवनचक्र
संचारित करें, प्रबंधन करें और सहयोग करें
उपर्युक्त में से किसी भी चरण को अन्य चरणों से पृथक करके नहीं देखा जा सकता. वास्तव में कोई परियोजना क्रमानुगत रूप से अथवा अन्य उत्पाद विकास परियोजनाओं से पृथक रूप से क्रियान्वित नहीं होती. सूचना विभिन्न व्यक्तियों और प्रणालियों के बीच प्रवाहित होती रहती है। पीएलएम (PLM) का एक प्रमुख भाग उत्पाद परिभाषा डेटा का ताल-मेल और प्रबंधन है। इसमें इंजीनियरिंग परिवर्तन और घटकों की रिलीज़ अवस्था; विन्यास उत्पाद विविधता; दस्तावेज प्रबंधन; परियोजना संसाधनों और समय-मापन तथा जोखिम मूल्यांकन का नियोजन शामिल होता है।
इन कार्यों के लिये चित्रों, पाठ्य-सामग्री और मेटाडेटा जैसे उत्पाद के सामग्री बिल (बीओएम (BOM)) के प्रबंधन की आवश्यकता होती है। इंजीनियरिंग विभागों के स्तर पर यह पीडीएम (PDM)- (उत्पाद डेटा प्रबंधन) सॉफ्टवेयर का, व्यापारिक स्तर पर ईडीएम (EDM) (उद्यम डेटा प्रबंधन) सॉफ्टवेयर का क्षेत्र है, हालांकि इन दो परिभाषाओं में बहुत धुंधला अंतर प्रतीत होता है, लेकिन विशिष्ट रूप से एक संगठन के अंतर्गत दो या अधिक डेटा प्रबंधन तंत्र दिखाई देते हैं। ये तंत्र अन्य व्यापारिक प्रणालियों, जैसे एससीएम (SCM), सीआरएम (CRM) और ईआरपी (ERP) से भी जुड़े होते हैं। परियोजना/कार्यक्रम नियोजन के लिये इन तंत्रों के साथ परियोजना प्रबंधन तंत्र जुड़े होते हैं।
इस केंद्रीय भूमिका की पूर्ति विभिन्न सहयोगपूर्ण उत्पाद विकास उपकरणों द्वारा की जाती है, जो पूरे जीवनचक्र में और संगठनों के आर-पार क्रियान्वित होते हैं। इसके लिये सम्मेलन, डेटा सहभाजन और डेटा अनुवाद के क्षेत्रों में अनेक प्रौद्योगिकी उपकरणों की आवश्यकता होती है। यह उत्पाद विजुअलाइजेशन का क्षेत्र है, जिसमें डीएमयू (DMU) (डिजिटल मॉक-अप), निम्मजक आभासीय डिजिटल प्रोटोटाइपिंग (आभासीय वास्तविकता) और फोटो वास्तविक चित्रण जैसी प्रौद्योगिकियां शामिल होती हैं।
प्रयोक्ता कौशल
एक पीएलएम (PLM) समाधान-समुच्चय (उदाहरण, कैड (CAD), कैम (CAM), कैक्स (CAx)...) के अंतर्गत प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों का निर्माण करने वाले समाधानों की व्यापक शृंखला का प्रयोग प्रारंभिक तौर पर उन समर्पित पेशेवरों द्वारा किया गया था, जिन्होंने आवश्यक कौशल प्राप्त करने के लिये अपने समय व प्रयास का निवेश किया। डिज़ाइनरों तथा इंजीनियरों ने कैड (CAD) तंत्रों की सहायता से आश्चर्यजनक कार्य किये, उत्पादन इंजीनियर अत्यधिक कुशल कैम (CAM) प्रयोक्ता बन गए, जबकि विश्लेषकों, प्रशासकों और प्रंबंधकों ने अपनी सहायक प्रौद्योगिकियों पर पूर्ण अधिकार प्राप्त किया। हालांकि, पीएलएम (PLM) का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिये एक विस्तारित उद्यम के अंतर्गत विभिन्न कौशल वाले अनेक व्यक्तियों की सहभागिता की आवश्यकता होती है, जिनमें से प्रत्येक के पास अन्य प्रतिभागियों के इनपुट व आउटपुट का अभिगमन करने व उस पर कार्य करने की क्षमता होनी चाहिए।
पीएलएम (PLM) उपकरणों के प्रयोग की सरलता बढ़ने के बावजूद, सभी कर्मियों को संपूर्ण पीएलएम (PLM) उपकरण-समुच्चय पर अंतःप्रशिक्षण देना व्यावहारिक साबित नहीं हुआ है। हालांकि, अब पीएलएम (PLM) क्षेत्र के अंतर्गत सभी प्रतिभागियों के लिये प्रयोग की सरलता पर ध्यान देते हुए कुछ सुधार किये जा रहे हैं। विशिष्ट प्रयोक्ता इंटरफेस की 'भूमिका निभाने' की क्षमता ऐसा ही एक सुधार है। प्रयोक्ताओं की आवश्यकताओं के अनुसार निर्मित किये जा सकने योग्य यूआई (UI) के कारण प्रयोक्ताओं के समक्ष प्रस्तुत किये जाने वाले आदेश उनके कार्य एवं विशेषज्ञता के अनुसार उपयुक्त होते हैं।
उत्पाद विकास प्रक्रियाएं और कार्य-पद्धतियां
पीएलएम (PLM) द्वारा अनेक स्थापित कार्य-पद्धतियों को अपनाया गया है व आगे उनमें और अधिक सुधार किया गया है। पीएलएम (PLM) डिजिटल इंजीनियरिंग तकनीकों के साथ, कम्पनी के लक्ष्यों, जैसे बाज़ार तक पहुंचने में लगनेवाले समय में कमी और कम उत्पादन लागतों, की पूर्ति करने के लिये उनमें सुधार किये गये हैं। आवश्यक समय को कम करना एक प्रमुख कारक है क्योंकि एक उत्पाद को अपने प्रतिस्पर्धी की तुलना में बाज़ार में जल्दी पहुंचाना उच्च राजस्व तथा लाभ की अतिरिक्त राशि प्राप्त करने एवं बाज़ार में हिस्सेदारी बढ़ाने में सहायक होगा।
इन तकनीकों में शामिल हैं:
- समवर्ती इंजीनियरिंग कार्यप्रवाह
- औद्योगिक डिज़ाइन
- बॉटम-अप डिज़ाइन
- टॉप-डाउन डिज़ाइन
- अग्रभारण डिज़ाइन कार्यप्रवाह
- संदर्भाधीन डिजाइन
- प्रमापीय डिज़ाइन
- एनपीडी (NPD) नवीन उत्पाद विकास
- डीएफएसएस (DFSS) सिक्स सिग्मा डिज़ाइन
- डीएफएमए (DFMA) उत्पादन/एकत्रीकरण डिज़ाइन
- डिजिटल अनुकरण इंजीनियरिंग
- आवश्यकता संचालित डिज़ाइन
- विनिर्देश प्रबंधित सत्यापन
समवर्ती इंजीनियरिंग कार्यप्रवाह
समवर्ती इंजीनियरिंग (कन्करन्ट इंजीनियरिंग) (ब्रिटिश अंग्रेज़ी: समकालिक इंजीनियरिंग (साइमल्टेनियस इंजीनियरिंग)) एक कार्यप्रवाह है, जो विभिन्न चरणों के माध्यम से क्रमानुगत रूप से कई कार्य करने के बजाय समानांतर रूप से करता है। उदाहरणार्थ: उत्पाद की विस्तृत रचना पूर्ण होने से पूर्व ही वास्तविक उपकरण रचना की शुरुआत करना, या अवधारणा डिज़ाइन सतह मॉडल पूर्ण होने से पूर्व ही विस्तृत डिज़ाइन ठोस मॉडल की शुरुआत करना। हालांकि इसके द्वारा किसी परियोजना के लिये लगने वाली मानव-शक्ति की मात्रा में कमी आना आवश्यक नहीं है, लेकिन यह आवश्यक समय को तथा इस कारण बाज़ार तक पहुंचने में लगने वाले समय को भी अत्यधिक कम कर देता है। विशेषता-आधारित कैड (CAD) प्रणालियां अनेक वर्षों से 3डी (3D) ठोस मॉडलों तथा 2डी (2D) मॉडलों पर दो पृथक फाइलों के माध्यम से एक साथ कार्य करने की अनुमति देती रहीं हैं, जिसमें चित्रकारी मॉडल के डेटा का अनुसरण करती है; जब मॉडल परिवर्तित होता है, तो उससे जुड़ा चित्र भी अद्यतित या नवीनीकृत होगा। कुछ कैड (CAD) पैकेज, फाइलों के बीच ज्यामिति की सहचारी नकल की भी अनुमति देते हैं। यह, उदाहरणार्थ, एक भाग के डिज़ाइन को उपकरण डिज़ाइनर द्वारा प्रयुक्त फाइलों में नकल करने की अनुमति देता है। इसके बाद उत्पादन इंजीनियर अंतिम चरण के रुकने से पूर्व ही उपकरणों पर कार्य प्रारंभ कर सकता है; जब एक डिज़ाइन के आकार या बनावट में परिवर्तन होता है, तो उपकरण ज्यामिति को अद्यतित किया जाएगा. समवर्ती इंजीनियरिंग के साथ विभागों के बीच बेहतर व अधिक शीघ्र संवाद का लाभ जुड़ा होता है, जिससे महंगे और विलंबित डिज़ाइन परिवर्तनों की संभावना कम हो जाती है। पारंपरिक क्रमानुगत इंजीनियरिंग की समस्या समाधान और पुनर्रचना विधि की तुलना में यह एक समस्या निवारण विधि को अपनाता है।
बॉटम-अप डिज़ाइन
बॉटम-अप डिज़ाइन (कैड (CAD) केंद्रित) वह डिज़ाइन है, जिसमें किसी उत्पाद के 3डी (3D) मॉडलों की परिभाषा एकल घटकों के निर्माण के साथ प्रारंभ होती है। इसके बाद इन्हें आभासीय रूप से एक से अधिक स्तर की उप-असेम्बलियों में तब तक एक साथ लाया जाता है, जब तक कि पूरा उत्पाद डिजिटल रूप से परिभाषित न हो जाए. कभी-कभी इसे यह दर्शाने वाली समीक्षा संरचना के रूप में जाना जाता है कि उत्पाद किस प्रकार का दिखाई देगा। बीओएम (BOM) समस्त भौतिक (ठोस) घटकों से मिलकर बना होता है; इसमें संभवतः (लेकिन आवश्यक रूप से नहीं) अंतिम उत्पाद बीओएम (BOM), जैसे पेंट, सरेश, तेल तथा अन्य सामग्रियां भी हो सकतीं हैं, जिन्हें आमतौर पर 'थोक वस्तुएं' कहा जाता है। थोक वस्तुओं में विशिष्टतः भार एवं संख्या होती है, लेकिन वे सदैव ही ज्यामिति के अनुसार प्रतिरूपित नहीं होतीं.
बॉटम-अप डिज़ाइन वास्तविक-विश्व की उपलब्ध भौतिक प्रौद्योगिकी की क्षमताओं पर केंद्रित होता है व उन समाधानों को क्रियान्वित करता है, जिनके लिये यह प्रौद्योगिकी सर्वाधिक उपयुक्त होती है। जब इन वास्तविक-विश्व में इन बॉटम-अप समाधानों का कोई महत्त्व होता है, तो बॉटम-अप डिज़ाइन टॉप-डाउन डिज़ाइन की तुलना में बहुत अधिक दक्ष हो सकता है। बॉटम-अप डिज़ाइन में जोखिम यह है कि कम-महत्व वाली समस्याओं के लिये यह बहुत अधिक दक्षतापूर्वक समाधान प्रदान करता है। बॉटम-अप डिज़ाइन इस बात पर केंद्रित होता है कि "इस प्रौद्योगिकी के साथ हम सर्वाधिक दक्षतापूर्वक क्या कर सकते हैं?" न कि टॉप-डाउन की तरह, जो कि इस बात पर केंद्रित होता है कि "किया जाने वाला सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य कौन-सा है?"
टॉप-डाउन डिज़ाइन
टॉप डाउन डिज़ाइन उच्च-स्तरीय कार्यात्मक आवश्यकताओं पर केंद्रित होता है और इसमें वर्तमान क्रियान्वयन प्रौद्योगिकी पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया जाता है। एक शीर्ष-स्तरीय विशेष-निर्देश को निम्न और निम्नतर स्तरीय संरचनाओं और विनिर्देशों में तब तक विघटित किया जाता है, जब तक कि हम भौतिक क्रियान्वयन स्तर तक न पहुंच जाएं. टॉप-डाउन डिज़ाइन का जोखिम यह है कि ये, विशेषतः हार्डवेयर क्रियान्वयन के सन्दर्भ में, वर्तमान भौतिक प्रौद्योगिकी के सर्वाधिक दक्ष अनुप्रयोगों का लाभ नहीं लेगा। जब टॉप-डाउन मॉडल ने किसी ऐसे संक्षेपण पथ का प्रयोग किया हो, जो उपलब्ध भौतिक-स्तरीय प्रौद्योगिकी में दक्षतापूर्वक समाहित न होता हो, कभी-कभी टॉप-डाउन डिज़ाइन का परिणाम निम्नतर-स्तरीय संक्षेपण के अत्यधिक स्तरों और अदक्ष प्रदर्शन के रूप में मिलता है। टॉप-डाउन डिज़ाइन का सकारात्मक पक्ष यह है कि ये इष्टतम समाधान आवश्यकताओं पर अपना ध्यान केंद्रित रखता है।
टॉप-डाउन डिज़ाइन के कुछ जोखिमों को एक भाग-केंद्रित टॉप-डाउन डिज़ाइन के द्वारा हटाया जा सकता है। यह एक लेआउट मॉडल के साथ शुरु होता है, जो अक्सर बुनियादी आकारों तथा कुछ मुख्य निर्धारक मापदण्डों को परिभाषित करने वाला एक सरल 2डी (2D) रेखाचित्र होता है। औद्योगिक डिज़ाइन उत्पाद विकास में रचनात्मक विचार पैदा करता है। यहां ज्यामिति की प्रतिलिपि सहचारी रूप से अगले स्तर पर बनाई जाती है, जो कि उत्पाद के विभिन्न उप-तंत्रों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके बाद उप-तंत्रों की ज्यामिति का प्रयोग निचले स्तरों पर अधिक विवरणों को परिभाषित करने के लिये किया जाता है। उत्पाद की जटिलता के आधार पर, तब तक इस असेम्बली के अनेक स्तर बनाए जाते हैं, जब तक कि घटकों की बुनियादी परिभाषाओं, जैसे स्थिति और मुख्य आयामों, की पहचान की जा सकती हो। इसके बाद घटक फाइलों पर इस सूचना की प्रतिलिपि सहचारी रूप से बनाई जाती है। इन फाइलों में, घटकों का विस्तृत विवरण होता है; यहीं से पारंपरिक बॉटम-अप असेम्बली की शुरुआत होती है।
कभी-कभी टॉप-डाउन असेंबली को एक नियंत्रण संरचना कहा जाता है। यदि समीक्षा संरचना के लिये लेआउट व मापदण्ड परिभाषित करने हेतु एक एकल फाइल का प्रयोग किया गया हो, तो अक्सर इसे एक स्केलिटन फाइल (Skeleton File) कहा जाता है।
पारंपरिक रूप से रक्षा इंजीनियरिंग उत्पाद संरचना को टॉप-डाउन विधि से विकसित करती है। सिस्टम्स इंजीनियरिंग प्रक्रिया[10] आवश्यकताओं का एक कार्यात्मक विघटन निर्धारित करती है और उसके बाद कार्यों के लिये उत्पाद संरचना का भौतिक आवंटन करती है। सामान्यतः इस टॉप-डाउन विधि में बॉटम-अप संरचना या डिज़ाइन के रूप में कैड (CAD) डेटा से विकसित उत्पाद संरचना के निम्नतर स्तर होंगे।
बोथ-एंड्स-अगेंस्ट-द-मिडल डिज़ाइन (मध्य-के-विपरीत-दोनों-अंत डिज़ाइन)
बोथ-एंड्स-अगेंस्ट-द-मिडल (मध्य-के-विपरीत-दोनों-अंत) (बीईएटीएम (BEATM)) डिज़ाइन एक ऐसी डिज़ाइन प्रक्रिया है, जो टॉप-डाउन डिज़ाइन तथा बॉटम-अप डिज़ाइन की सर्वश्रेष्ठ विशेषताओं को एक ही प्रक्रिया में संयोजित करने का प्रयास करती है। एक बीईएटीएम (BEATM) डिज़ाइन प्रक्रिया का प्रवाह एक उभरती प्रौद्योगिकी के साथ प्रारंभ हो सकता है, जो मूल्यवान समाधानों का सुझाव दे सकती हो अथवा यह किसी ऐसी समस्या के टॉप-डाउन दृष्टिकोण के साथ भी शुरु हो सकता है, जिसके लिये किसी समाधान की आवश्यकता हो। किसी भी स्थिति में, डिज़ाइन प्रक्रिया के दोनों छोरों पर तुरंत ध्यान केंद्रित करना ही बीईएटीएम (BEATM) डिज़ाइन कार्य पद्धति का मुख्य गुण होता है: समाधान आवश्यकताओं का एक टॉप-डाउन दृष्टिकोण तथा किसी ऐसी प्रौद्योगिकी, जो एक दक्ष समाधान प्रदान कर पाने का वादा करती हो, का बॉटम-अप दृष्टिकोण. बीईएटीएम (BEATM) डिज़ाइन प्रक्रिया टॉप-डाउन आवश्यकताओं तथा बॉटम-अप दक्ष क्रियान्वयन के बीच किसी बिंदु पर एक इष्टतम विलय की खोज में दोनों छोरों से आगे बढ़ती है। इस प्रकार, बीईएटीएम (BEATM) ईमानदारी से दोनों कार्य-पद्धतियों के सर्वश्रेष्ठ गुण प्रस्तुत करता रहा है। वस्तुतः टॉप-डाउन अथवा बॉटम-अप में सफलता की अनेक कहानियां बीईएटीएम (BEATM) कार्य-पद्धति के एक अंतर्ज्ञान से प्राप्त, फिर भी अचेतन प्रयोग के कारण ही सफल रही हैं। यदि सचेत रूप से प्रयोग किया जाए, तो बीईएटीएम (BEATM) और भी अधिक शक्तिशाली लाभ प्रदान करता है।
अग्र-भारण डिज़ाइन तथा कार्यप्रवाह
टॉप-डाउन डिज़ाइन को अगले चरण पर ले जाना अग्रभारण है। पूर्ण नियंत्रण संरचना और समीक्षा संरचना तथा साथ ही निम्न-स्तरीय डेटा जैसे चित्र, उपकरण विकास और कैम (CAM) मॉडल का निर्माण उत्पाद को परिभाषित किये जाने से पूर्व या एक परियोजना की शुरुआत को प्राधिकृत किये जाने से पूर्व किया जाता है। फाइलों की ये असेंबलीज़ एक टेम्पलेट की रचना करती हैं, जिनसे उत्पादों की एक शृंखला का निर्माण किया जा सकता है। जब नए उत्पाद के साथ जाने का निर्णय ले लिया गया हो, तो उत्पाद के मापदण्ड इस टेम्पलेट मॉडल में प्रविष्ट किये जाते हैं और इससे संबंधित सभी डेटा को अद्यतन किया जाता है। स्वाभाविक रूप से पूर्व निर्धारित सहचारी मॉडल सभी संभावनाओं का पूर्वानुमान कर पाने में सक्षम नहीं होंगे और उनमें अतिरिक्त कार्य की आवश्यकता होगी। मुख्य सिद्धांत यह है कि अनेक प्रयोगात्मक/अनुसंधानात्मक कार्य पहले ही पूर्ण किये जा चुके हैं। इन टेम्पलेटों में बहुत सारा ज्ञान निर्मित है, जिसका नए उत्पादों में पुनर्प्रयोग किया जाना होता है। इसके लिये अतिरिक्त "अग्रिम" संसाधनों की आवश्यकता होती है, लेकिन यह परियोजना की शुरुआत और विमोचन के बीच के समय को बहुत अधिक घटा सकता है। हालांकि इस प्रकार की विधियों के लिये संगठनात्मक परिवर्तनों की आवश्यकता होती है क्योंकि लक्षणीय इंजीनियरिंग प्रयासों को "ऑफलाइन" विकास विभागों में भेजा जाता है। इसे भावी उत्पादों के लिये किसी नई प्रौद्योगिकी का परीक्षण करने हेतु एक कॉन्सेप्ट कार का निर्माण करने के समान समझा जा सकता है, लेकिन इस स्थिति में कार्य को प्रत्यक्ष रूप से उत्पादों की अगली पीढ़ी के लिये प्रयोग किया जाता है।
सन्दर्भ में डिजाइन
एकल घटकों का निर्माण पृथक रूप से नहीं किया जा सकता. घटकों के कैड (CAD); केड (CAID) मॉडल विकसित किये जा रहे उत्पाद के किसी भाग या पूरे उत्पाद के सन्दर्भ में डिज़ाइन किये जाते हैं। इसे असेम्बली मॉडलिंग तकनीकों का प्रयोग करके हासिल किया जाता है। अन्य घटकों की ज्यामिति को प्रयोग किये जा रहे कैड (CAD) उपकरण के सन्दर्भ में देखा जा सकता है। एक उप-असेम्बली के अंतर्गत अन्य घटक उसी सिस्टम में बनाए गए या न बनाए गए हो सकते हैं, जिसमें उनकी ज्यामिति अन्य सीपीडी (CPD) प्रारूपों से अनुवादित की जा सकती है। प्रोडक्ट विजुअलाइज़ेशन सॉफ्टवेयर (Product Visualization Software) का प्रयोग करके कोई असेम्बली जांच, जैसे डीएमयू (DMU), का आयोजन किया जाता है।
उत्पाद और प्रक्रिया जीवनचक्र प्रबंधन (पीपीएलएम (PPLM))
उत्पाद और प्रक्रिया जीवनचक्र प्रबंधन (पीपीएलएम (PPLM)) पीएलएम (PLM) का एक वैकल्पिक प्रकार है जिसमें उत्पाद के निर्माण के लिये प्रयुक्त प्रक्रिया को भी उतना ही महत्वपूर्ण बनाया जाता है, जितना कि उत्पाद महत्वपूर्ण है। विशिष्टतः यह जीवन-शास्र और उन्नत विशेषज्ञता रसायनों का बाज़ार है। किसी दिये गये यौगिक के उत्पादन की प्रक्रिया एक नई दवा के लिये किये जाने वाले नियामक निवेदन का एक मुख्य तत्त्व होता है। इस प्रकार, पीपीएलएम (PPLM) किसी प्रक्रिया के विकास से संबंधित सूचना का प्रबंधन उसी प्रकार करने का प्रयास करता है, जिस प्रकार पीएलएम (PLM) आधार-रेखा उत्पाद के विकास से संबंधित सूचना के प्रबंधन के बारे में बात करती है।
मुख्य वाणिज्यिक खिलाड़ी
ऐसा अनुमान है कि पीएलएम (PLM) सॉफ्टवेयर और सेवाओं पर एक वर्ष में होने वाला खर्च $15 बिलियन से अधिक है, लेकिन ऐसी कोई दो बाज़ार विश्लेषण रिपोर्ट ढूंढ पाना कठिन है, जो इन आंकड़ों से सहमत हों.[11][12] बाज़ार विकास के अनुमान 10% के आस-पास हैं।
इस खण्ड विभाजन को देखते हुए, वर्तमान में उत्पन्न अधिकांश राजस्व ईडीए (EDA) और उच्च-स्तरीय एमकैड (MCAD) (प्रत्येक 15% से ऊपर) के क्षेत्रों से मिलता है, जिसके बाद एईसी (AEC), निम्न-स्तरीय एमकैड (MCAD) और पीडीएम (PDM) (प्रत्येक 10% से ऊपर) आते हैं। एक अन्य उल्लेखनीय खण्ड 5% से ऊपर स्थित सीएई (CAE) है। हालांकि यह पूर्वानुमान किया गया है कि सहयोगपूर्ण पीडीएम (PDM) और विजुअलाइज़ेशन क्षेत्र इस पर अपना प्रभुत्व बढ़ा लेंगे.
ऐसी अनेक कम्पनियां हैं, जो पीएलएम (PLM) प्रक्रिया का समर्थन करने के लिये सॉफ्टवेयर की आपूर्ति करती हैं; यहां सबसे बड़े राजस्व का उल्लेख किया गया है। कुछ कम्पनियां, जैसे डेसॉल्ट सिस्टेम्स (Dassault Systèmes) ($1.7B), सिमेन्स पीएलएम सॉफ्टवेयर (Siemens PLM Software) (पहले यूजीएस (UGS)) ($1.4B), पीटीसी (PTC) ($1.0B), एजाइल सॉफ्टवेयर कॉर्पोरेशन (Agile Software Corporation) (अब ऑरेकल कॉर्पोरेशन (Oracle Corporation) का एक भाग) तथा सॉफ्टेक, इंक. (SofTech, Inc.) (0.11B) ऐसे सॉफ्टवेयर उत्पाद प्रदान करती हैं, जो पीएलएम (PLM) कार्यात्मकता के अधिकांश क्षेत्रों तक फैले हुए हैं। कुछ कम्पनियां, उदाहरणार्थ एमएससी सॉफ्टवेयर (MSC Software) ($0.3B) एवं आल्टेयर इंजीनियरिंग (Altair Engineering) ($0.15B), विशिष्ट विषयों में विशेषज्ञता वाले पैकेज प्रदान करती हैं। एक कम्पनी, ऐरास कॉर्प (Aras Corp) माइक्रोसॉफ्ट-आधारित मुक्त स्रोत उद्यम पीएलएम (PLM) समाधान प्रस्तुत करती है,[13] जबकि अन्य, जैसे अरेना सॉल्यूशंस (Arena Solutions), मांग-के-अनुसार पीएलएम (PLM) (एक सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर) समाधान प्रदान करती हैं। नॉलेजबेंच (KnowledgeBench) वेब-आधारित पीएलएम (PLM) समाधान प्रदान करती है, जिनका प्रयोग दवा और खाद्य व पेय पदार्थों के उत्पादकों द्वारा किया जाता है। अतिरिक्त अद्वितीय प्रस्तुति में सेलेराण्ट (Selerant) शामिल है, जिसे केवल प्रक्रिया उद्योग में विशेषज्ञता प्राप्त है तथा जो संरूपण इष्टतमीकरण और नियामक प्रबंधन प्रदान करती है।
स्वतंत्र पीएलएम (PLM) समाधान प्रदाता जैसे ऐटॉस ओरिजिन (Atos Origin), सोफेऑन (sopheon) और कैपजेमिनी (Capgemini), पीएलएम (PLM) सलाह और सिस्टम एकीकरण सेवाएं प्रदान करते हैं तथा उपयुक्त पीएलएम (PLM) पद्धतियों, प्रक्रियाओं एवं प्रौद्योगिकियों को पहचानने, बनाने, क्रियान्वित करने व संचालित करने में कम्पनियों की सहायता करती हैं।
कुछ ऐसी कम्पनियां भी हैं, जिनका मुख्य राजस्व पीएलएम (PLM) से नहीं आता, लेकिन वे अपनी आय का कुछ भाग पीएलएम (PLM) सॉफ्टवेयर से प्राप्त करती हैं, जैसे सैप (SAP) ($11B), एसएसए ग्लोबल (SSA Global), ऑरेकल कॉर्पोरेशन (Oracle Corporation) और ऑटोडेस्क (Autodesk) ($1.5B). इस बाज़ार की अन्य कम्पनियां, जैसे ऐटॉस ओरिजिन (Atos Origin), आईबीएम (IBM) ($88.9B), ईडीएस (EDS) ($19.8B), नेक (NEC) ($45B), ऐक्सेंचर (Accenture), टाटा कन्सल्टन्सी सर्विसेज़ (Tata Consultancy Services) (टीसीएस (TCS)), जियोमेट्रिक (Geometric), एल एण्ड टी इन्फोटेक (L&T Infotech), एचसीएल टेक्नोलॉजीज़ (HCL Technologies) (एचसीएल (HCL)), आईटीसी इन्फोटेक (ITC Infotech), सीएसएम सॉफ्टवेयर (CSM Software), रेंच सॉल्यूशंस (Wrench Solutions) और कैम्ब्रिज सॉल्यूशंस (Cambridge Solutions) (एक एक्सचेंजिंग कम्पनी) आउटसोर्सिंग और सलाह सेवाएं प्रदान करती हैं, जिनमें से कुछ पीएलएम (PLM) के क्षेत्र में हैं। 3डी (3D) पीएलएम (PLM) विशेषीकृत पीएलएम (PLM) समाधान विकसित करने के लिये डेसॉल्ट सिस्टेमेस (Dassault systemes) और जिओमेट्रिक (Geometric) का एक संयुक्त उपक्रम है।
इन कम्पनियों में से अनेक का उदय कैड (CAD) और पीडीएम (PDM) बाज़ार में से हुआ है। अधिक व्यापक सूची के लिये कैड (CAD) कम्पनियों की सूची देखें.
इन्हें भी देखें
- तंत्र जीवन चक्र
- आवेदन जीवन चक्र प्रबंधन
- इमारत जीवन चक्र प्रबंधन
- सहयोगी उत्पाद विकास
- कार संकल्पना
- उत्पाद जीवन चक्र का विस्तार
- औद्योगिक डिजाइन
- आईएसओ (ISO) 10303 - प्रोडक्ट डाटा मॉडल के लिए उत्पाद एक्सचेंज
- बड़े पैमाने पर उत्पादन
- नए उत्पाद विकास (एनपीडी (NPD))
- उत्पाद जीवन चक्र प्रबंधन
- उत्पाद प्रबंधन
- उपयोगकर्ता केंद्रित डिज़ाइन
सन्दर्भ
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
आगे पढ़ें
- सफल पीएलएम (PLM) मूल्यांकन के लिए 10 सर्वोत्तम प्रथाएं - सफेद पेपर
- पीएलएम (PLM) के मूल्य
- Saaksvuori, Antti (3 edition (May, 2008)). Product Lifecycle Management(Hardcover). स्प्रिंगर. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 3540781730. मूल से 5 जनवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जून 2010.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - Stark, John (1 edition (August 24, 2007)). Global Product: Strategy, Product Lifecycle Management and the Billion Customer Question (Hardcover). स्प्रिंगर. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1-84628-914-9. मूल से 24 जुलाई 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जून 2010.
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