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उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था
मुद्राभारतीय रुपया (आईएनआर)
1 = 100 पैसा
सांख्यिकी
जीडीपी 14.46 लाख करोड(2017-18)[1]
जीडीपी वृद्धि दर 16% (2017-18)[1]
जीडीपी प्रति व्यक्ति48,520 (US$708.39) (2017-18)[1]
क्षेत्रवार सकल घरेलू उत्पाद कृषि (23%)
उद्योग (28%)
सेवा (49%) (2017-18)[1]
विदेशी
सार्वजनिक वित्त
सार्वजनिक ऋण 28.6% of जीएसपीडी (2017-18 est.)[1]
राजस्व 3.20 लाख करोड(2017-18 est.)[1]
व्यय 3.85 लाख करोड(2017-18 est.)[1]
सभी मान(मूल्य) अमेरिकी डॉलरों में हैं, जब तक कि अन्यथा घोषित।

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था, भारत की दूसरी सबसे बड़ी राज्य अर्थव्यवस्था है। 2017-18 के बजट के अनुसार उत्तर प्रदेश का जीएसडीपी (राज्यों के सकल देशी उत्पाद) 14.46 लाख करोड़ (230 अरब अमेरिकी डॉलर) हैं। 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश की 22.3% आबादी शहरी है। महाराष्ट्र की शहरी आबादी 5,08,18,259 है, जबकि उत्तर प्रदेश की 4,44,95,063 है। राज्य में दस लाख से अधिक आबादी वाले 7 शहर हैं। 2000 में विभाजन के बाद, नया उत्तर प्रदेश राज्य, पुराने उत्तर प्रदेश राज्य के उत्पादन का लगभग 92% उत्पादन करता है। तेंदुलकर समिति के अनुसार 2011-12 में उत्तर प्रदेश की 29.43% जनसंख्या गरीब थी, जबकि रंगराजन समिति ने राज्य में इसी अवधि के लिए 39.8% गरीब की जानकारी दी थी।

10वीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007) में राज्य का वार्षिक आर्थिक विकास दर 5.2% था। जोकि 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012) में 7% वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर को छू लिया। लेकिन उसके बाद यह 2012-13 में 5.9% और 2013-14 में 5.1% तक गिर गया, हालांकि यह भारत में सबसे कम था। राज्य का कर्ज 2005 में सकल घरेलू उत्पाद का 67 प्रतिशत था।[2] 2012 में, भारत को विप्रेषित धन में राज्य को सबसे अधिक प्राप्त हुआ था, जोकि केरल, तमिलनाडु और पंजाब के साथ 0.1 अरब डॉलर (3,42,884.05 करोड़ रुपये) का था।[3] राज्य सरकार ने मेट्रो रेल परियोजना के लिए पांच शहरों मेरठ, आगरा, कानपुर, लखनऊ और वाराणसी का चयन किया हुआ है। लखनऊ में मेट्रो का परिचालन कुछ मार्गो कि लिये आरम्भ हो चुका है,[4] हालांकि अभी यह अपने शुरूआती स्थिति पर है। उत्तर प्रदेश एक कृषि राज्य है, जिसका 2013-14 में देश के कुल अनाज उत्पादन में 8.89% योगदान था।

कृषि, पशुधन और मत्स्य पालन

राष्ट्रीय खाद्य अनाज भण्डार के लिए उत्तर प्रदेश एक प्रमुख योगदानकर्ता है। वर्ष 2013-14 में राज्य ने 50.05 मिलियन टन अनाज का उत्पादन किया जो कि देश के कुल उत्पादन का 18.90% है। जोकि गंगा के उपजाऊ मैदान और आंशिक रूप से सिंचाई के उपायों जैसे कि नहरों और ट्यूब-कुओं के कारण सम्भव हो पाया है। लखीमपुर खेरी में देश में सबसे अधिक चीनी उत्पादित किया जाता है। 1950 के बाद से उच्च उपज वाली किस्मों के बीज, उर्वरकों की अधिक उपलब्धता और सिंचाई के उपयोग में वृद्धि के कारण यह भारत में सबसे ज्यादा खाद्यान्न का उत्पादक रहा है।[5] राज्य के अन्य क्षेत्रों की तुलना में पश्चिमी उत्तर प्रदेश कृषि के मामले में अधिक उन्नत है। राज्य कि अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। गेहूं, चावल, दाल, तेल बीज और आलू यहाँ के प्रमुख कृषि उत्पाद हैं। राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नकद फसल गन्ना है। ​​बागवानी के लिये उत्तर प्रदेश भारत में सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। राज्य में आमों का भी उत्पादन बहुतायत में किया जाता है।

उत्तर प्रदेश में भारत की कुल पशुधन आबादी का लगभग 15% रहती हैं। 1961 में इसके पशुधन में, 15% मवेशी, 21% भैंस, 13% बकरियाँ और 8% अन्य पशु थे। 1951 और 1956 के बीच पशुओं की आबादी में 14% की एक समग्र वृद्धि हुई थी। झीलों, टैंकों, नालों, नहरों और नदियों समैत यहाँ लगभग 8,000 वर्ग किलोमीटर का जलीय क्षेत्र है। राज्य में मछली उत्पादन हेतु लगभग 2,000 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र उपस्थित था, जोकि 2016-17 में बढ़कर 7400 किलोमीटर से अधिक हो चुका हैं।[6] जिसमें मछलियों की 175 से अधिक किस्में पाई जाती हैं।

उद्योग

वर्तमान मूल्यों पर राज्य का सकल घरेलू उत्पाद

(करोड़ रूपए में)

वर्षसकल राज्य घरेलू उत्पाद[7]
1980–8115,554 करोड़ (US$2.27 अरब)
1985–8627,748 करोड़ (US$4.05 अरब)
1990–9155,506 करोड़ (US$8.1 अरब)
1995–961,06,249 करोड़ (US$15.51 अरब)
2000-011,73,068 करोड़ (US$25.27 अरब)
2005-062,41,196 करोड़ (US$35.21 अरब)
2010-11 5,32,218 करोड़ (US$77.7 अरब)
2015–16 9,06,909 करोड़ (US$132.41 अरब)
2017–18 14,46,000 करोड़ (US$211.12 अरब)[8] (est.)

यूपी में हाल के दिनों में तेजी से औद्योगिकीकरण हुआ है, खासकर देश में आर्थिक उदारीकरण के बाद। मार्च 1996 तक, 1661 मध्यम और बड़े औद्योगिक उपक्रम थे और 183 लाख लोगों को रोजगार देने वाले 296,338 लघु औद्योगिक इकाइयाँ थीं। 1997-98 में प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद 7,263 रुपये अनुमानित थी और राज्य में गरीबी में कमी देखी गई है। फिर भी, कुल आबादी का लगभग 40 प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे रहता है। यहाँ पर कई प्रकार के खनिजों और इन खनिजों के आधार कई उद्योग पनप गये हैं। विंध्य क्षेत्र के मिर्ज़ापुर में कई सीमेंट के कारखाने हैं, बांदा क्षेत्र और सोनभद्र क्षेत्र में बॉक्साइट आधारित एल्यूमीनियम संयंत्र हैं। राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में कई गैर-धातु खनिज पाए जाते हैं जो औद्योगिक कच्चे माल के रूप में उपयोग किए जाते हैं। सिंगरौली क्षेत्र में कोयला पाए जाते हैं। उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग काफी उभर रहा है, खासकर यूपी-दिल्ली-एनसीआर और लखनऊ-कानपुर कॉरिडोर में। यह लगभग सभी प्रकार के उत्पाद बनाता है।

कुटीर उद्योग, जैसे हथकरघा और हस्तशिल्प, ने पारंपरिक रूप से राज्य में बड़ी संख्या में लोगों के लिए आजीविका प्रदान की है:-

  • वाराणसी विश्व-प्रसिद्ध हथकरघा से बुने वस्त्रों और कढ़ाई वस्त्र का केंद्र है, जिसके मुख्य उत्पाद जरी-कढ़ाई और जरी-रेशम साड़ी हैं। लखनऊ "चिकन कढ़ाई" का एक केंद्र है, जोकि यहाँ के 200 वर्ष पुरानी संस्कृति का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश, देश के कुल कपड़ा उत्पादन का लगभग 15% का उत्पादन करता है, जिसमें भारत में कुल कारीगरों का लगभग 30% कार्यरत है, और राज्य में यूएस $0.1 मिलियन के वार्षिक उत्पादन करता है।
  • वाराणसी, डीजल लोकोमोटिव वर्क्स में डीजल-इलेक्ट्रिक इंजनों के निर्माण के लिए जाना जाता है। डीएलडब्ल्यू की कार्यशाला, भारतीय रेलवे के लिए बिजली के इंजनों का निर्माण भी किया जाता है। यह भारत में सबसे बड़ा डीजल-इलेक्ट्रिक इंजनों का निर्माता है।
  • राज्य में चमड़े और चमड़े के उत्पाद के लिये आगरा और कानपुर दो प्रमुख केंद्र हैं, जहाँ 11,500 से अधिक इकाइयाँ हैं। कानपुर में करीब 200 चर्म शोधनालय स्थित हैं।
  • मेरठ में एशिया का सबसे बड़ा सोना बाजार है। यह देश के खेल संबंधी वस्तुओं और संगीत वाद्ययंत्रों का सबसे बड़ा निर्यातक है।
  • बुलंदशहर दुनिया भर में खुर्जा मिट्टी के बर्त्तन के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ लगभग 23 निर्यात उन्मुख इकाइयाँ हैं जहाँ से यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, संयुक्त अरब अमीरात आदि जैसे देशों में निर्यात किया जाता है। सिकंदराबाद औद्योगिक क्षेत्र में, बड़ी संख्या में राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ सफलतापूर्वक काम कर रही है।
  • नैनी, इलाहाबाद, स्वतंत्रता के बाद से ही देश का एक प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र रहा है। नैनी में सबसे प्रतिष्ठित उद्योगों में से एल्स्टॉम, आईटीआई लिमिटेड, भारत पंप्स एंड कॉम्प्रेसर (मुख्यालय), अरेवा, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल), ईएमसी लिमिटेड, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), त्रिवेणी स्ट्रक्चरल लिमिटेड (टीएसएल) और केन्द्र सरकार की कपास मिल्स है। नैनी में औद्योगिक विकास बढ़ रहा है क्योंकि भारत सरकार ने इलाहाबाद-नैनी-बार निवेश क्षेत्र (3000 हेक्टेयर) को मंजूरी दे दी है जिसके लिये विश्व बैंक से वित्त प्राप्त किया जाना है।[9]

खनिज और भारी उद्योग

उत्तर प्रदेश तीन प्राकृतिक क्षेत्र में विभाजित है 1- भाबर और तराई, 2- गंगा और यमुना के मैदान, और 3-दक्षिणी पठार। यहाँ पाये जाने वाले महत्वपूर्ण खनिजों में डायस्पोर, सल्फर और मैग्नेसाइट, पायरोफाहिलाईट, सिलिका रेत और चूना पत्थर आदि शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में कोयला, डोलोमाइट और रत्न पाये जाते हैं। गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, कानपुर, लखनऊ, सोनभद्र, मिर्ज़ापुर और बलरामपुर राज्य के खनिज़ क्षेत्र हैं।

मथुरा में मथुरा परिष्करणी उत्तर प्रदेश की एकमात्र तेल-शोधक कारखाना (रिफाइनरी) है, और भारत की छठी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी है।

सेवाएं

सेवाओं के क्षेत्र, उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाते हैं। 2013-14 के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में इसका योगदान लगभग 56% रहा था। उत्तर प्रदेश, उत्तर भारत का 'आईटी-हब' कहलाता है, जिसका कर्नाटक के बाद सॉफ्टवेयर निर्यात में नाम आता है।[10] लेकिन, दक्षिण भारतीय राज्यों के विपरीत, यहाँ आईटी उद्यम केवल विशेष क्षेत्रों तक ही सीमित हैं, जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद आदि, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हैं, और राज्य की राजधानी लखनऊ में हैं।

नोएडा, टीवी समाचार प्रसारकों के लिए भी प्रसिद्ध है, एबीपी न्यूज, ज़ी न्यूज, एनडीटीवी, महुआ न्यूज़ और कई अन्य न्यूज चैनल जैसे सभी न्यूज चैनल फिल्म सिटी में हैं।

पर्यटन

उत्तर प्रदेश में पर्यटक स्थल का गढ़ माना जाता है जहां विश्व का सातवां अजूबा कहा जाने वाला स्मारक ताजमहल आगरा में शाहजहां द्वारा मुमताज की याद में बनवाया , लखनऊ नबाबो का शहर कहा जाता है मथुरा को प्रेम नगरी कृष्ण नगरी कहा जाता है ,रामजन्म भूमि up में सरयू नदी के किनारे पर स्थित अयोध्या नगरी है }

साधन

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के निम्न साधन हैं-

आर्थिक तौर पर उत्तर प्रदेश देश के अत्यधिक अल्पविकसित राज्यों में से एक है। यह मुख्यत: कृषि प्रधान राज्य है और यहाँ की तीन-चौथाई (75 प्रतिशत) से अधिक जनसंख्या कृषि कार्यों में लगी हुई है। राज्य में औद्योगिकीकरण के लिए महत्त्वपूर्ण खनिज एवं ऊर्जा संसाधनों की कमी है। यहाँ पर केवल सिलिका, चूना पत्थर व कोयले जैसे खनिज पदार्थ ही उल्लेखनीय मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा यहाँ जिप्सम, मैग्नेटाइट, फ़ॉस्फ़ोराइट और बॉक्साइट के अल्प भण्डार भी पाए जाते हैं।

राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है। चावल, गेहूँ, ज्वार, बाजरा, जौ और गन्ना राज्य की मुख्य फ़सलें हैं। 1960 के दशक से गेहूँ व चावल की उच्च पैदावार वाले बीजों के प्रयोग, उर्वरकों की अधिक उपलब्धता और सिंचाई के अधिक इस्तेमाल से उत्तर प्रदेश खाद्यान्न का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बन गया है। यद्यपि किसान दो प्रमुख समस्याओं से ग्रस्त हैं: आर्थिक रूप से अलाभकारी छोटे खेत और बेहतर उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी में निवेश करने के लिए अपर्याप्त संसाधन, राज्य की अधिकतम कृषि भूमि किसानों को मुश्किल से ही भरण-पोषण कर पाती है। पशुधन व डेयरी उद्योग आय के अतिरिक्त स्रोत हैं। उत्तर प्रदेश में भारत के किसी भी शहर के मुक़ाबले सर्वाधिक पशु पाए जाते हैं। हालाँकि प्रति गाय दूध का उत्पादन कम है।

राज्य में काफ़ी समय से मौजूद वस्त्र उद्योग व चीनी प्रसंस्करण उद्योग में राज्य के कुल मिलकर्मियों का लगभग एक-तिहाई हिस्सा लगा है। राज्य की अधिकांश मिलें पुरानी व अक्षम हैं। अन्य संसाधन आधारित उद्योगों में वनस्पति तेल, जूट व सीमेंट उद्योग शामिल हैं। केन्द्र सरकार ने यहाँ पर भारी उपकरण, मशीनें, इस्पात, वायुयान, टेलीफ़ोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और उर्वरकों के उत्पादन वाले बहुत से बड़े कारख़ाने स्थापित किए हैं। यहाँ मथुरा में एक तेल परिष्करणशाला और राज्य के दक्षिण-पूर्वी मिर्ज़ापुर ज़िले में कोयला क्षेत्र का विकास केन्द्र सरकार की दो प्रमुख परियोजनाएँ हैं। राज्य सरकार ने मध्यम और लघु स्तर के उद्योगों को प्रोत्साहन दिया है।

हस्तशिल्प, क़ालीन, पीतल की वस्तुएँ, जूते-चप्पल, चमड़े व खेल का सामान राज्य के निर्यात में प्रमुखता के साथ योगदान देते हैं। कानपुर उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक शहर है यहाँ चमड़े का काम होता है। कानपुर में चमड़े का जूता पूरी दुनिया में मशहूर है। भदोई व मिर्ज़ापुर के क़ालीन दुनिया भर में सराहे जाते हैं। पिलखुवा की हैण्ड ब्लाक प्रिंट की चादरें, वाराणसी का रेशम व ज़री का काम, मुरादाबाद की पीतल की ख़ूबसूरत वस्तुएँ, लखनऊ की चिकनकारी, नगीना का आबनूस की लकड़ी का काम, फ़िरोज़ाबाद की काँच की वस्तुएँ और सहारनपुर का नक्क़ाशीदार लकड़ी का काम भी उल्लेखनीय है। सार्वजनिक क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंकों की संख्या उत्तर प्रदेश में ही सबसे अधिक है। देश के विकास में इस प्रदेश का बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान है। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश बिजली की भीषण कमी का शिकार है। 1951 से स्थापित अन्य विद्युत उत्पादन केन्द्रों से क्षमता बढ़ी है, लेकिन माँग और आपूर्ति के बीच अन्तर बढ़ता ही जा रहा है। भारत के अधिकतम तापविद्युत केन्द्रों में से एक ओबरा-रिहंद (दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश), राज्य के कई अन्य हिस्सों में स्थित विभिन्न पनबिजली संयंत्रों और बुलंदशहर के परमाणु बिजलीघर में बिजली का उत्पादन किया जाता है। वर्ष 2004-05 में उत्तर प्रदेश में कुल 5,21,835 लघु उद्योग इकाइयाँ थीं, जिनमें लगभग 5,131 करोड़ रुपये की पूंजी का निवेश था और लगभग 20,01,000 लोग काम कर रहे थे। वर्ष 2004-05 में राज्य में लगभग 45.51 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। उत्तर प्रदेश राज्य में 68 कपड़ा मिलें और 32 आटोमोबाइल के कारखाने हैं, जिनमें 5,740 करोड़ रुपये की पूंजी का निवेश है। सन् 2011 तक 'नोएडा प्राधिकरण' के अंतर्गत 102 सेक्टर विकसित करने की योजना चल रही है। इस प्राधिकरण में औद्योगिक क्षेत्र, आवासीय क्षेत्र, ग्रुप हाउसिंग क्षेत्र, आवासीय भवन, व्यावसायिक परिसंपत्तियां और संस्थागत शिक्षा क्षेत्र शामिल हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा की भांति ही राज्य में अन्य स्थानों पर औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करने के लिए कार्य किये जा रहे हैं।

वैसे तो यहाँ उद्योगों के लिए काफी संभावनायें हैं और कई बड़े उद्योग यहाँ लगे हुए हैं। वैसे उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में पहली आयुर्वेदिक दवा उद्योग की स्थापना न्यू इंडिया फार्मास्युटिकल्स नाम से की गयी है। यह ओधोगिक इकाई करीब सौ से अधिक दवाओं का उत्पादन कर रही है। टेबलेट सिरप के साथ साथ कई अन्य दवाओं का निर्माण यहाँ होता है। हालाँकि अभी यह समूह अपनी पूरी ताकत से विस्तार की और अगसर है और इसे जागरूक लोगों की ज़रूरत है, जो इसके उत्पादन को भारतीय बाज़ार में पहुँचा सके।

सिंचाई और बिजली

  • 14 जनवरी 2000 को 'उत्तर प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड' का पुनर्गठन करके 'उत्तर प्रदेश विद्युत निगम', 'उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन' तथा 'उत्तर प्रदेश पनबिजली निगम' को स्थापित किया गया है।
  • 2004 - 05 में राज्य की सिंचाई क्षमता बढ़ाकर 319.17 लाख हेक्टेयर तक करने के लिए 98,715 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।
  • 'उत्तर प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड' की स्थापना के समय पन बिजलीघरों और ताप बिजलीघरों की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 2,635 मेगावाट थी, जो आज बढ़कर 4,621 मेगावाट तक हो गई है।

उत्तर प्रदेश में बिजली का उत्पादन सोनभद्र जिले से अधिकतम होती है जो कि प्रदेश के अत्यंन्त पूर्व में एक पिछड़ा इलाका है जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार का ध्यान सबसे अन्तिम में जाता है, ये उप्तपादन इकाईयां निम्न हैः- 1.थर्मल पावर ओबरा 2.थर्मल पावर अनपरा 3.एन. टी. पी. सी. बीजपुर 4.एन.टी.पी.सी शक्तिनगर 5.रेनुसागर 6.रिहन्द परियोजना 7.लैंको पावर प्लांट-प्राइवेट 8.एन.टी.पी.सी. टांडा

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Uttar Pradesh Budget Analysis 2017-18" (PDF). PRS Legislative Research. मूल (PDF) से 9 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि अगस्त 22, 2017.
  2. "Uttar Pradesh economy climbs to $55b by 2005". मूल से 5 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 दिसंबर 2017.
  3. "NRIs beat FDI, keep the money coming". Hindustan Times. 8 October 2012. मूल से 19 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जुलाई 2014.
  4. "योगी-राजनाथ ने किया लखनऊ मेट्रो का उद्घाटन, कल से सफर कर सकेंगे आम लोग". आज तक. ५ सितम्बर २०१७. मूल से 5 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 मई 2017.
  5. "उत्तर प्रदेश". मूल से 10 जनवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 दिसंबर 2017.
  6. "मत्स्य विभाग, उत्तर प्रदेश". मूल से 27 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 दिसंबर 2017.
  7. "Table 5 : Net State Value Added – State-Wise (At Current Prices)" (PDF). Reserve Bank of India. September 15, 2017. अभिगमन तिथि January 11, 2018.
  8. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; :0 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  9. "Industrial units in Allahabad" (PDF). U.P Pollution Control Board. मूल (PDF) से 28 जनवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 August 2012.
  10. "Noida The Next IT Hub After Bangalore And Gurgaon". 24, फरवरी 2017. मूल से 28 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 दिसंबर 2017. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)