उत्तम प्रचलन
उत्तम प्रचलन (Best practices) ऐसी पद्धतियाँ, तकनीकें या विधियाँ हैं जो सामान्य-रूप-से-स्वीकृत, अनौपचारिक रूप से मानकीकृत होती हैं। ये समय की कसौटी पर परखी और खरी उतरी हुई होती हैं। ये प्रायः 'सामान्य बुद्धि' (कॉमन सेंस) पर आधारित होती हैं और वहाँ प्रयोग की जाती हैं जहाँ कोई विषेhv5fष विधि मानकीकृत नहीं होती। महाभारत की कथा है कि छद्मवेषधारी 'धर्म' ने युधिष्ठिर से प्रश्न किया, "कः पन्थाः?" (कौन सा मार्ग यथेष्ट है?) इस पर युधिष्ठिर का उत्तर था-
- तर्कोऽप्रतिष्ठः श्रुतयो विभिन्ना नैको ऋषिर्यस्य मतं प्रमाणम्।
- धर्मस्य तत्त्वं निहितं गुहायाम् महाजनो येन गतः सः पन्थाः॥
(तर्कः अप्रतिष्ठः, श्रुतयः विभिन्नाः, एकः ऋषिः न यस्य मतं प्रमाणम्, धर्मस्य तत्त्वं गुहायाम् निहितं, महाजनः येन गतः सः पन्थाः।)
अर्थ: जीवन जीने के असली मार्ग के निर्धारण के लिए कोई सुस्थापित तर्क नहीं है, श्रुतियां (शास्त्रों तथा अन्य स्रोत) भी भांति-भांति की बातें करती हैं, ऐसा कोई ऋषि/चिंतक/विचारक नहीं है जिसके वचन प्रमाण कहे जा सकें। वास्तव में धर्म का मर्म तो गुहा (गुफा) में छिपा है, यानी बहुत गूढ़ है। ऐसे में समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति जिस मार्ग को अपनाता है वही अनुकरणीय है।
यहां प्रतिष्ठित या बड़े व्यक्ति से मतलब उससे नहीं है जिसने धन-संपदा अर्जित की हो, या जो व्यावसायिक रूप से काफी आगे बढ़ चुका हो, या जो प्रशासनिक अथवा अन्य अधिकारों से संपन्न हो, इत्यादि। प्रतिष्ठित वह है जो चरित्रवान् हो, कर्तव्यों की अवहेलना न करता हो, दूसरों के प्रति संवेदनशील हो, समाज के हितों के प्रति समर्पित हो, आदि-आदि।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- IETF Best Current Practice RFCs List
- Security-Feeds.com Security best practices