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इस्लामी संस्कृति



इसलामी संस्कृति
पर एक शृंखला का भाग

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इस्लाम प्रवेशद्वार

दुनिया भर के मुसलमानों में पाए जाने वाले आम ऐतिहासिक रीति रवाजों को व्यक्त करने वाली शब्द ही इस्लामी संस्कृति 'है। इस्लामी संस्कृति, संयुक्त रूप से अरबी, तुर्की, यूरोपीय, मंगोलिया, भारतीय, मलाईयाई और इंडोनेशियन संस्कृतियों का मिश्रम है।

शब्द असहमति

चूंकि मुसलमान दुनिया के विभिन्न इलाक़े, मालिक़ और बाजार में बसे हैं और जो संस्कृति पाई जाती है वह क्षेत्रीय है न कि इस्लामी। लेकिन सच्चाई यह है कि चाहे मुसलमान किसी भी क्षेत्र में क्यों न हो वह धार्मिक आधार पर है। दुनिया के मुसलमान सांस्कृतिक आधार पर एक दूसरे को अलग महसूस नहीं करते।

धार्मिक परंपरा और विश्वास

धर्मं इस्लामी जो आम परंपरा है सभी इस्लामी संस्कृति में पाई जाती हैं। इसमें कुरान से सिद्ध और उपदेशिक वास्तु जैसे नमाज़ और गैर कुरानी वसतु जैसे मुस्लिम समुदाय और समाज देखे जा सकते हैं।

भाषा और साहित्य

अरबी

हज़रत मुहम्मद द्वारा पुनस्थापित इस्लाम के इतिहास में, शहर मदीना में मुहम्मद साहब और सहाबा की भाषा चूंकि अरबी थी, उसी भाषा को इस्लामी भाषा का दर्जा दिया गया। कुरआन, हदीसों, सीरत और अन्य ज्ञान सभी अरबी भाषा से संबंध रखते हैं। और यही अरबी मुस्लिम समाज की भाषा साबित हुई है।

बनु उमय्या के दौर में भी यही भाषा हर खास और आम में चालू थी। और दूर की भाषा में गैर धार्मिक परंपराओं भी चालू हुए। जैसे किताब क लीलह जो दुनिया हर मुस्लिम समाज में ख्याति है, लिखी गई। अरब समाज के अलावा गैर अरब क्षेत्रों में भी अरबी भाषा सीखी जाने लगी।

फ़ारसी

ख़िलाफ़त ए अब्बासिया के दौर में फ़ारसी आम हुई और इस्लामी सुनहरी दौर की सरकारी भाषा भी मानी जाने लगी। इस दौर में फ़ारसी बाम चरम पर रही। फ़ारसी साहित्य फला फूला। मौलाना रूम की शायरी और फ़रीदुद्दीन अत्तारी की तुर्क अत्तारी इस दौर की काफी प्रसिद्ध किताबें हैं।

बंगाली

बंगाल में शुरू हुई ''बोल'' रिवाज, जो लोक संगीत थी, धीरे धीरे सूफी तरीके में एकीकृत हो गईं।

उर्दू

उर्दू साहित्य विशेष रूप से क़सीदा सुानियां [कौन?] इस्लामी संस्कृति के रूप में आज भी जीवित हैं। विशेषकर, स्तुति, नित और मनकबत धार्मिक रंग हैं, कविता, गज़ल और अन्य आसनाफ सुख़न गैर धार्मिक हैं, लेकिन मुस्लिम समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी हैं।

आधुनिक

आधुनिक दौर में इस्लामी समाज कई भाषाओं शामिल है। कहीं अरबी, कहीं तुर्की, कहीं फ़ारसी, कहीं उर्दू, बंगाली, मिलाया और अन्य भाषाएं इस्लामी संस्कृति का हिस्सा बन एईं। और अंग्रेज़ी भी इस्लामी संस्कृति के गोद में धीरे धीरे आने लगी है।

ईद

शादी

इस्लाम में शादी बहुत ही महत्त्व रखती है। मुहम्मद साहब का इरशाद है कि शादी आधी धर्म है। कई हदीसों से शादी और परिवार की महत्त्व का पता चलता है। इस्लाम में शादी, पुरुष और महिला के बीच एक धार्मिक समझौता है।

कला

"वीआँग कलयत, इंडोनेशियन कला।
"सूफी की नसीहत" 16 वीं सदी की एक तस्वीर, जो तेहरान, गलस्तान महल में है।

इस्लामी कला, इस्लामी शिक्षाओं से जुड़े होए हैं, इस बात की पुष्टि इतिहास है। इस्लामी कला में बेजान सामग्री के फोटो ही देखने को मिलते हैं। सुशनमाई के लिए उन्हें वस्तुओं के नक्शे देखे जा सकते हैं। खाटिय, बेल बूटे, गुल और गनचों की मानचित्र अंगारियां, हर निर्माता में पाए जाते हैं। अन्य धर्मों में मानव प्रकार की तदरें मिलती हैं। इस्लामी कला में मुख्य भूमिका अल्लाह को लिया जाता है और तस्वीरें से परहेज़ किया जाता है। इसलिए प्रकृति के दृश्य, प्रकृति की कोई और अंगारियां ही इस्लामी कला की भूमिका है।

सुलेख

क्योंकि रूपरेखा हनन चित्रकारी हुक्म है, इसलिए कलाकार अपने कला को बेजान चीजों को अन्य बनाकर अपना जौहर पेश किया। इस क्रम में कुरआन आयतें को नकाशी में इस्तेमाल करने लगे। इस्लामी एक्सप्रेस अरबी सुलेख को बढ़ावा देने लगे। यह अरबी भाषा सुलेख धीरे धीरे अन्य भाषाओं में भी जगह बना ली। फ़ारसी, उर्दू, तुर्की, सिन्धी और अन्य भाषाओं में इस कला का जौहर देखा जा सकता है।

सैनिक कला

स्थापत्य

आलहमरा ला कलि, स्पेन में इस्लामी संस्कृति केंद्र।
इस्तांबुल में स्थित सुल्तान अहमद मस्जिद जो १६१६ ई. में पूरा पाईं।

अरब रिवाज रआभ कला

  • अरबी कला सुलेख
  • गुम्बदों का निर्माण
  • वुज़ू बॉक्स
  • गाढ़े रंगों का प्रयोग
  • निर्माण के आंतरिक भागों की सुशनमाई भांति बाहरी
  • मीनारों का निर्माण
  • निर्माण में अरबी पत्र की नकाशी
  • निर्माण में आंतरिक सौंदर्य का महत्त्व
  • व्यापक सहनों का निर्माण

संगीत

शब्द इस्लामी संगीत एक विवाद से भरा शब्द है। जबकि इस्लाम में संगीत हुक्म है, तो शब्द इस्लामी संगीत का अस्तित्व ही मबहम है। मगर इस्लाम में संगीत निर्माता जिनका उपयोग अनिवार्य किया गया है (जैसे: दफ़) की आधार पर छाँटे गए संगीत अस्तित्व में आई, फिर धीरे धीरे क्षेत्रीय विचार के आधार पर इस्लामी समाज में जगह बना गईं।

यह भी देखिये

सन्दर्भ