इस्को
भारतीय लौह एवं इस्पात कम्पनी (Indian Iron and Steel Company / IISCO) भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) का पूर्ण स्वामित्वाधीन वाला सहायक सेक्टर है। एक समय था जब 'इस्को' का नाम लंदन स्टॉक एक्सचेंज में उद्धृत किया जाता था जो १९६० के आरम्भ में कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज के लिए गर्व की बात थी। १९९४ में इसका उल्लेख वित्त एवं इंडस्ट्रियल कांस्ट्रक्शन (BIFR) में भी किया जाता था।
इस्को का आरम्भ १८७४ में देखा जा सकता है जब जेम्स रस्किन ने ढलवां लौह उत्पादन के लिए पश्चिम बंगाल के कुल्टी में 'बंगाल आइरन वर्क्स' की स्थापना की थी। सन १९१८ में कई हाथो से गुजरने के बाद 'इस्को' को 'बर्न एण्ड कम्पनी' द्वारा प्रोमोट किया गया। १९३९ में बर्नपुर में इस्पात का विनिर्माण आरम्भ किया गया। सन १९६० तक सर बाइरन मुखर्जी की अध्यक्षता में 'इस्को' प्रतिवर्ष उत्पादन कर रही थी लेकिन सन १९७२ में उत्पादन में गिरावट आयी इसे भारत सरकार ने अधिगृहीत कर लिया। मार्च १९७८ में इसे सेल की सहायक कम्पनी बना दिया गया।
इस्को की चिरिया, गुआ और मंधारपुर की लौह अयस्क खाने भारत की सर्वोत्तम खानें हैं।
इसकी तीन इकाइयँ हुई कुल्टी, हीरापुर , बर्नपुर। ये तीनों ही कारखाने रेलमार्ग से जुडे है।कुल्टी बाराकर नदी पर स्थित है तथा कोलकाता से 215 किमी दूर है। हीरापुर आसनसोल से 6 किमी और कुल्टी 11 किमी दूर है। हीरापुर में कच्चा लोहा बनता है जिसको कुल्टी कारखाने में तैयार किया जाता है।
1976 में इनका प्रबन्घ पूणतः सार्वजनिक क्षेत्र (SAIL)के पास आ गया है।
लौह अयस्क सिहंभूमि ( झारखण्ड ) जल दामोदर नदी की सहायक नदी बाराकर से मिलता है।
1972-73 में भारतीय लोहा और इस्पात कारखानें से इस्पात उत्पादन बहुत कम हो गया और संयंत्र सरकार द्वारा अधिग्रहित कर लिया ।