इंदिरा साहनी एवं अन्य बनाम केंद्र सरकार
इंदिरा साहनी एवं अन्य बनाम केंद्र सरकार | |
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अदालत | भारत का उच्चतम न्यायालय |
पूर्ण मामले का नाम | इंदिरा साहनी एवं अन्य बनाम केंद्र सरकार (यूनियन ऑफ़ इंडिया) |
फैसला किया | 16 नवम्बर 1992 |
उद्धरण(एस) | [1] |
व्यक्ति वृत्त | |
appealed to | भारत का उच्चतम न्यायालय |
Subsequent action(s) | See below |
सन्निपतन | 6 |
Concur/dissent | 3 |
इंदिरा साहनी एवं अन्य बनाम केंद्र सरकार (यूनियन ऑफ़ इंडिया) (मंडल जजमेंट) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण को सही ठहराया।[2][3] इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार के मामले में न्यायालय ने यह भी कहा था कि आरक्षण केवल प्रारंभिक नियुक्तियों पर ही लागू होगा न कि पदोन्नति पर।[4][5] 1992 में सर्वोच्च न्यायालय ने अधिवक्ता इंदिरा साहनी की याचिका पर ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाते हुए जाति-आधारित आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तय कर दी थी।[6]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "As SC considers referring Indra Sawhney judgment to larger bench, a look back at implications of landmark verdict". The firstpost. 2021-11-09. अभिगमन तिथि 2021-11-15.
- ↑ https://www.jagran.com/news/national-hearing-on-constitution-bench-of-five-judges-start-in-supreme-court-on-need-to-reconsider-reservation-limit-21466272.html
- ↑ "इंदिरा साहनी केस, जो सामान्य वर्ग के आरक्षण में सबसे बड़ा अड़ंगा है".
- ↑ "प्रमोशन में आरक्षण: क्या बदला और क्या नहीं".
- ↑ "इंदिरा साहनी, जिन्होंने रोका था नरसिम्हा सरकार का सवर्ण आरक्षण बिल".
- ↑ "10 फ़ीसदी आरक्षण का उस तरह विरोध नहीं होगा: इंदिरा साहनी".