इंटरनेट प्रोटोकॉल
इंटरनेट प्रोटोकॉल (Internet Protocol या IP) इंटरनेट और अधिकांश नेटवर्क संचार की नींव है। यह एक सेट प्रोटोकॉल है जिसे नेटवर्क पर डेटा पैकेट्स के रूप में भेजा और प्राप्त किया जाता है। इंटरनेट प्रोटोकॉल को दो मुख्य संस्करणों में विभाजित किया जाता है: IPv4 और IPv6।
IPv4 (Internet Protocol version 4)
IPv4 सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला संस्करण है और इसका उपयोग इंटरनेट के शुरुआती दिनों से किया जा रहा है। इसमें 32-बिट एड्रेस स्पेस होता है, जिसका मतलब है कि यह लगभग 4.3 बिलियन अद्वितीय IP एड्रेस प्रदान कर सकता है। IPv4 एड्रेस इस फॉर्मेट में होता है: `192.168.1.1`.
IPv6 (Internet Protocol version 6)
IPv6 एक नया संस्करण है जिसे IPv4 की सीमाओं को संबोधित करने के लिए विकसित किया गया है। इसमें 128-बिट एड्रेस स्पेस होता है, जो लगभग 3.4×10^38 अद्वितीय IP एड्रेस प्रदान करता है। IPv6 एड्रेस इस फॉर्मेट में होता है: `2001:0db8:85a3:0000:0000:8a2e:0370:7334`.
IP के मुख्य कार्य:
1. एड्रेसिंग (Addressing): IP प्रत्येक डिवाइस को एक अद्वितीय एड्रेस प्रदान करता है जो नेटवर्क पर जुड़ा होता है।
2. रूटिंग (Routing): IP यह सुनिश्चित करता है कि डेटा पैकेट्स सही गंतव्य तक पहुँचें। यह राउटर का उपयोग करके नेटवर्क के विभिन्न भागों के बीच डेटा को सही दिशा में मार्गदर्शित करता है।
3. फ़्रैग्मेंटेशन (Fragmentation): बड़े डेटा पैकेट्स को छोटे टुकड़ों में विभाजित करना ताकि वे विभिन्न नेटवर्क माध्यमों के माध्यम से ट्रांसमिट हो सकें।
4. रीअसेम्बली (Reassembly): विभाजित डेटा पैकेट्स को गंतव्य पर पुनः संयोजित करना।
IP के उपयोग की प्रक्रिया:
1. डेटा पैकेट निर्माण: डेटा को छोटे-छोटे पैकेट्स में विभाजित किया जाता है, और प्रत्येक पैकेट को एक IP हेडर के साथ भेजा जाता है जिसमें स्रोत और गंतव्य IP एड्रेस होते हैं।
2. डेटा ट्रांसमिशन: पैकेट्स नेटवर्क के माध्यम से राउट किए जाते हैं। प्रत्येक राउटर पैकेट्स को उनके गंतव्य की दिशा में फॉरवर्ड करता है।
3. पैकेट रिसेप्शन और रीअसेम्बली: गंतव्य पर, पैकेट्स को पुनः संयोजित किया जाता है और मूल डेटा को पुनः निर्मित किया जाता है।
इंटरनेट प्रोटोकॉल इंटरनेट की आधारशिला है, जो यह सुनिश्चित करता है कि डेटा एक स्थान से दूसरे स्थान तक सही ढंग से पहुँच सके। IP के बिना, इंटरनेट और नेटवर्क संचार संभव नहीं होता। IPv4 और IPv6 दोनों ही एड्रेसिंग और रूटिंग के लिए आवश्यक हैं, लेकिन IPv6 को भविष्य में बड़े पैमाने पर एड्रेसिंग आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।