आर्यभट्ट की संख्यापद्धति
आर्यभट्ट ने आर्यभटीय के 'गीतिकापादम्' नामक अध्याय में संख्याओं को 'शब्दों' के रूप में बदलने की पद्धति का विवरण दिया है। इस पद्धति की मुख्य विशेषता यह है कि इसके उपयोग से गणित तथा खगोलिकी में आने वाली संख्याएँ भी श्लोकों में आसानी से प्रयुक्त की जा सकती थीं। इस पद्धति का आधार आर्यभट्ट की महान रचना आर्यभटीय के प्रथम अध्याय (गीतिकापदम्) के द्वितीय श्लोक में वर्णित है।
आर्यभट को अपना ग्रंथ पद्य में लिखना था, गणित व ज्योतिष के विषयों को श्लोकबद्ध करना था। प्रचलित शब्दांकों से आर्यभट का काम नहीं चल सकता था, इसलिए उन्होंने संस्कृत वर्णमाला का उपयोग करके एक नई वर्णांक या अक्षरांक पद्धति को जन्म दिया। संस्कृत व्याकरण के विशिष्ट शब्दों का उपयोग करके आर्यभट ने अपनी नई अक्षरांक-पद्धति के सारे नियम एक श्लोक में भर दिए। ग्रंथ के आरंभ में ही अपनी नई अक्षरांक पद्धति को प्रस्तुत कर देने के बाद आर्यभट अब बड़ी-बड़ी संख्याओं को अत्यंत संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत रूप में रखने में समर्थ थे। उन्होंने शब्दांकों का भी काफी प्रयोग किया है।
वह अद्भुत श्लोक है-
- वर्गाक्षराणि वर्गेऽवर्गेऽवर्गाक्षराणि कात् ङ्गौ यः ।
- खद्विनवके स्वरा नव वर्गेऽवर्गे नवान्त्यवर्गे वा ॥ (आर्यभटीय गीतिकापाद २)
अर्थात् क से प्रारंभ करके वर्ग अक्षरों को वर्ग स्थानों में और अवर्ग अक्षरों को अवर्ग स्थानों में (व्यवहार करना चाहिए), (इस प्रकार) ङ और म का जोड़ य (होता है)। वर्ग और अवर्ग स्थानों के नव के दूने शून्यों को नव स्वर व्यक्त करते हैं। नव वर्ग स्थानों और नव अवर्ग स्थानों के पश्चात् (अर्थात् इनसे अधिक स्थानों के उपयोग की आवश्यकता होने पर) इन्हीं नव स्वरों का उपयोग करना चाहिए।
'आर्यभटीय' के भाष्यकार परमेश्वर कहते हैं- 'केनचिदनुस्वारादिविशेषण संयुक्ताः प्रयोज्या इत्यर्थः' अर्थात् किसी अनुस्वार आदि विशेषणों का उपयोग (स्वरों में) करना चाहिए।
संस्कृत वर्णमाला में क से म तक पच्चीस वर्ग अक्षर हैं और य से ह तक आठ अवर्ग अक्षर हैं। संख्याओं के लिखने में दाहिनी ओर से पहला, तीसरा, पाँचवाँ अर्थात् विषम स्थान और दूसरा, चौथा, छठा आदि सम स्थान अवर्ग स्थान है। क से म तक 25 अक्षर हैं। आर्यभट ने इन्हें 1 से 25 तक मान दिए हैं अर्थात् क = 1, ख = 2, ग = 3 आदि । य अवर्ग अक्षर है। इसका मान ङ और म के योग के बराबर अर्थात् 30 है। इसी प्रकार र = 40, ल = 50 और ह = 100।[1]
अइउण। ऋलुक् । एओङ्। ऐऔच् । अर्थात् अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ऐ, ओ तथा औ नव स्वर हैं। इन स्वरों का उपयोग नव वर्ग और नव अवर्ग स्थानों को प्रकट करने के लिए करना है।
उदाहरण
उदाहरण: 299,792,458 | ||||
100 101 | 102 103 | 104 105 | 106 107 | 108 |
85, | 42, | 97, | 99, | 2 |
जल | घिनि | झुशु | झृसृ | खॢ |
संख्या सारणी
सम्पूर्ण सारणी नीचे दी गयी है -
संस्कृत के 33 × 9 = 297 वर्णांक | |||||||||||||
9 स्वर | -a | -i | -u | -ṛ | -ḷ | -e | -ai | -o | -au | ||||
अ | इ | उ | ऋ | ऌ | ए | ऐ | ओ | औ | |||||
× | 10 0 | 10 2 | 10 4 | 10 6 | 10 8 | 1010 | 1012 | 1014 | 1016 | ||||
Five velar plosives | |||||||||||||
k - | क | 1 | क | कि | कु | कृ | कॢ | के | कै | को | कौ | ||
kh - | ख | 2 | ख | खि | खु | खृ | खॢ | खे | खै | खो | खौ | ||
g - | ग | 3 | ग | गि | गु | गृ | गॢ | गे | गै | गो | गौ | ||
gh - | घ | 4 | घ | घि | घु | घृ | घॢ | घे | घै | घो | घौ | ||
ṅ - | ङ | 5 | ङ | ङि | ङु | ङृ | ङॢ | ङे | ङै | ङो | ङौ | ||
Five palatal plosives | |||||||||||||
c - | च | 6 | च | चि | चु | चृ | चॢ | चे | चै | चो | चौ | ||
ch - | छ | 7 | छ | छि | छु | छृ | छॢ | छे | छै | छो | छौ | ||
j - | ज | 8 | ज | जि | जु | जृ | जॢ | जे | जै | जो | जौ | ||
jh - | झ | 9 | झ | झि | झु | झृ | झॢ | झे | झै | झो | झौ | ||
ñ - | ञ | 10 | ञ | ञि | ञु | ञृ | ञॢ | ञे | ञै | ञो | ञौ | ||
Five retroflex plosives | |||||||||||||
ṭ - | ट | 11 | ट | टि | टु | टृ | टॢ | टे | टै | टो | टौ | ||
ṭh - | ठ | 12 | ठ | ठि | ठु | ठृ | ठॢ | ठे | ठै | ठो | ठौ | ||
ḍ - | ड | 13 | ड | डि | डु | डृ | डॢ | डे | डै | डो | डौ | ||
ḍh - | ढ | 14 | ढ | ढि | ढु | ढृ | ढॢ | ढे | ढै | ढो | ढौ | ||
ṇ - | ण | 15 | ण | णि | णु | णृ | णॢ | णे | णै | णो | णौ | ||
Five dental plosives | |||||||||||||
t - | त | 16 | त | ति | तु | तृ | तॢ | ते | तै | तो | तौ | ||
th - | थ | 17 | थ | थि | थु | थृ | थॢ | थे | थै | थो | थौ | ||
d - | द | 18 | द | दि | दु | दृ | दॢ | दे | दै | दो | दौ | ||
dh - | ध | 19 | ध | धि | धु | धृ | धॢ | धे | धै | धो | धौ | ||
n - | न | 20 | न | नि | नु | नृ | नॢ | ने | नै | नो | नौ | ||
Five labial plosives | |||||||||||||
p - | प | 21 | प | पि | पु | पृ | पॢ | पे | पै | पो | पौ | ||
ph - | फ | 22 | फ | फि | फु | फृ | फॢ | फे | फै | फो | फौ | ||
b - | ब | 23 | ब | बि | बु | बृ | बॢ | बे | बै | बो | बौ | ||
bh - | भ | 24 | भ | भी | भु | भृ | भॢ | भे | भै | भो | भौ | ||
m - | म | 25 | म | मि | मु | मृ | मॢ | में | मैं | मो | मौ | ||
Four approximants or trill | |||||||||||||
y - | य | 30 | य | यि | यु | यृ | यॢ | ये | यै | यो | यौ | ||
r - | र | 40 | र | रि | रु | रृ | रॢ | रे | रै | रो | रौ | ||
l - | ल | 50 | ल | लि | लु | लृ | लॢ | ले | लै | लो | लौ | ||
v - | व | 60 | व | वि | वु | वृ | वॢ | वे | वै | वो | वौ | ||
Three coronal fricatives | |||||||||||||
ś - | श | 70 | श | शि | शु | शृ | शॢ | शे | शै | शो | शौ | ||
ṣ - | ष | 80 | ष | षि | षु | षृ | षॢ | षे | षै | षो | षौ | ||
s - | स | 90 | स | सि | सु | सृ | सॢ | से | सै | सो | सौ | ||
One glottal fricative | |||||||||||||
h - | ह | 100 | ह | हि | हु | हृ | हॢ | हे | है | हो | हौ | ||
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ महान खगोलविद-गणितज्ञ आर्यभट Archived 2016-08-21 at the वेबैक मशीन (दीनानाथ साहनी)