आरा
आरा | |
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नगर | |
आरा जंक्शन रेलवे स्टेशन और आरा शहर के प्रमुख स्थल | |
निर्देशांक: 25°33′05″N 84°39′37″E / 25.55139°N 84.66028°Eनिर्देशांक: 25°33′05″N 84°39′37″E / 25.55139°N 84.66028°E | |
वेबसाइट | भोजपुर जिला |
आरा भारत प्रांत के बिहार राज्य का एक प्रमुख शहर है। यह भोजपुर जिले का मुख्यालय है। राजधानी पटना से इसकी दूरी महज ५५ किलोमीटर है। देश के दूसरे भागों से ये सड़क और रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। यह नगर वाराणसी से १३६ मील पूर्व-उत्तर-पूर्व, पटना से ३७ मील पश्चिम, गंगा नदी से १४ मील दक्षिण और सोन नदी से आठ मील पश्चिम में स्थित है। यह पूर्वी रेलवे की प्रधान शाखा तथा आरा-सासाराम रेलवे लाइन का जंक्शन है। डिहरी से निकलने वाली सोन की पूर्वी नहर की प्रमुख 'आरा नहर' शाखा भी यहाँ से होकर जाती है। आरा को १८६५ में नगरपालिका बनाया गया था।
गंगा और सोन की उपजाऊ घाटी में स्थित होने के कारण यह अनाज का प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र तथा वितरणकेंद्र है। रेल मार्ग और पक्की सड़क द्वारा यह पटना, वाराणसी, सासाराम आदि से सीधा जुड़ा हुआ है। बहुधा सोन नदी की बाढ़ों से अधिकांश नगर क्षतिग्रस्त हो जाता है।
इतिहास
आरा अति प्राचीन शहर है। पहले यहां मयूरध्वज नामक राजा का शासन था। महाभारत कालीन अवशेष यहां बिखरे पड़े हैं। ये 'आरण्य क्षेत्र' के नाम से भी जाना जाता था।[1] कहा जाता है आरा का प्राचीन नाम आरण्य था। [2]
आरा अति प्राचीन ऐतिहासिक नगर है जिसकी प्राचीनता का संबंध महाभारत काल से है। पांडवों ने भी अपना गुप्तवास काल यहां बिताया था। जेनरल कनिंघम के अनुसार युवानच्वांग द्वारा उल्लिखित कहानी का संबंध, जिसमें अशोक ने दानवों के बौद्ध होने के संस्मरण स्वरूप एक बौद्ध स्तूप खड़ा किया था, इसी स्थान से है। आरा के पास मसाढ़ ग्राम में प्राप्त जैन अभिलेखों में उल्लिखित 'आरामनगर' नाम भी इसी नगर के लिए गया है। पुराणों में लिखित मयूरध्वज की कथा से भी इस नगर का संबंध बताया जाता है। बुकानन ने इस नगर के नामकरण में भौगोलिक कारण बताते हुए कहा कि गंगा के दक्षिण ऊँचे स्थान पर स्थित होने के कारण, अर्थात् आड़ या अरार में होने के कारण, इसका नाम 'आरा' पड़ा। १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता युद्ध के प्रमुख सेनानी बाबू कुंवर सिंह की कार्यस्थली होने का गौरव भी इस नगर को प्राप्त है।[3][4] आरा स्थित 'द लिटिल हाउस' एक ऐसा भवन है, जिसकी रक्षा अंग्रेज़ों ने १८५७ के विद्रोह में बाबू कुंवर सिंह से लड़ते हुए की थी। आरा १९७१ के पांचवीं लोकसभा चुनाव तक शाहाबाद संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। १९७७ के दौरान आरा को अलग संसदीय क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली और तब आरा अस्तित्व में आया। [5]
शिक्षा
यहाँ वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय और अनेक महाविद्यालय हैं।
जैन बाला विश्राम नामक पुराना छात्राओं का स्कूल भी यहां है। हरप्रसाद दास जैन कॉलेज, महाराजा कॉलेज, सहजानंद ब्रह्मर्षि कॉलेज, जगजीवन कॉलेज, महंत महादेवानंद महिला कॉलेज अंगीभूत कॉलेज हैं। हित नारायण क्षत्रिय +२ उच्च विद्यालय (१९१७) है। इसके अलावे भी कई छोटे-मोटे कॉलेज और स्कूल शहर की शैक्षणिक पहचान दिलाते हैं। डेढ़ दशक पहले यहां वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। आऱा ने जगजीवन राम, राम सुभग सिंह, अंबिका शरण सिंह, रामानंद तिवारी जैसे नेता दिये।
दर्शनीय स्थल
आरा के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में प्रमुख हिन्दू मंदिर, पुराने शैक्षणिक संस्थान और ऐतिहासिक इमारत हैं:-
- बुढ़वा महादेव मंदिर
- चंद्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर
- बड़ी मठिया मंदिर
- वीर कुंवर सिंह पार्क
- बाबू वीर कुंवर सिंह किला, जगदीशपुर
- काली मंदिर, बखोरापुर
- सिन्हा गंगा घाट
- वसिष्ठ नारायण सिंह सेतु (कोईलवर)
- गंगा-सोन संगम
- वीर कुंवर सिंह सेतु (आरा-छपरा)
- पूर्वी गुमटी फ्लाईओवर
- बस स्टैंड फ्लाईओवर
- क्लेक्ट्रैट पोखरा सूर्य मंदिर
जनसंख्या
२०११ की जनगणना के अनुसार आरा शहर की कुल जनसंख्या २,६१,४३० है।
बाहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
- ↑ "शहर का नाम रखने की इससे अद्भुत घटना नहीं सुनी होगी आपने!". दैनिक भास्कर. मूल से १५ दिसंबर २०१४ को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसम्बर २०१४.
- ↑ "आरामनगर". bharatdiscovery.org. मूल से १० जुलाई २०१४ को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसम्बर २०१४.
- ↑ "वीर कुंवर सिंह: १८५७ का महान योद्धा". panchjanya. मूल से २५ अक्तूबर २०१२ को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसम्बर २०१४.
- ↑ "बाबू कुंवर सिंह". bhaaratdiscovery.org. मूल से ३ जनवरी २०१५ को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसम्बर २०१४.
- ↑ "आरा: जातीय समीकरण से बनेगा-बिगड़ेगा खेल". लाइव हिन्दुस्थान. मूल से १६ दिसंबर २०१४ को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसम्बर २०१४.