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आयकर

आयकर (इनकम टैक्स) वह कर है जो सरकार लोगों की आय पर आय में से लेती है। आयकर सरकारों के क्षेत्राधिकार के भीतर स्थित सभी संस्थाओं द्वारा उत्पन्न वित्तीय आय पर लागू होता है। कानून के अनुसार, प्रत्येक व्यवसाय और व्यक्ति कर देने या एक कर वापसी के लिए पात्र हैं, और उन्हें हर साल एक आयकर रिटर्न फाइल करना होता है। आयकर धन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जिसे सरकार अपनी गतिविधियों निधि और जनता की सेवा करने के लिए उपयोग करता है।

भारत

यह प्रत्येक व्यक्ति की आय पर भारत सरकार द्वारा लगाया जाने वाला एक कर है। आयकर कानून को शासित करने वाले उपबंध आयकर अधिनियम, 1961 में दिए गए हैं। भारत में यह प्रायः एक खास सीमा से अधिक आय वालों द्वारा अदा किया जाता है। उदाहरण के लिये वित्तीय वर्ष 2019-20 के भारत के बजट के प्रावधानों के अनुसार 5 लाख रूपये से अधिक आय वाले व्यक्ति आयकर दाताओं की श्रेणी में आएँगें। वरिष्ठ नागरिकों के लिए तीन लाख रुपए रखी गई है। कभी कभी एक खास रकम से ऊपर के आय वालों को अतिरिक्त कर भी देना होता है। मसलन वर्तमान  पचास लाख रुपये सालाना से ज़्यादा आय वालों को 10% प्रतिशत  सरचार्ज अतिरिक्त कर देना होगा।[1]

वित्तीय वर्ष 2018-22के लिए व्यक्तिगत आयकर स्लैब (60 वर्ष तक के व्यक्ति के लिए)

वार्षिक आयआयकरस्वास्थ्य एंव शिक्षा उपकर
5लाख रुपये तक शून्य शून्य
5-10लाख रूपये 5% 4%
5 लाख रूपये से 10 लाख रूपये तक 20% 4%
10 लाख रुपये से ऊपर 30% 4%
50 लाख रूपये से 1 करोड़ रूपये की आय पर सरचार्ज 50%
1 करोड़ रुपये से ऊपर की आय पर सरचार्ज 50%

आय का अर्थ

भारतीय आयकर अधिनियम 1961 में आय को मुख्य रूप से पांच भागों या स्रोत के रूप में बांटा गया हैं जिसकी गणना आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार की जाती हैं| यह इस प्रकार हैं:

1. वेतन के रूप में आय

इस स्रोत के तहत कर्मचारी को मिलने वाला वेतन, एन्युटी, पेंशन, ग्रेच्युटी, फीस, कमीशन, छुट्टी की जगह नकद भुगतान (लीव एनकैशमेंट), सालाना वृद्धि, प्रोविडेंट फंड में जमा रकम और कर्मचारी के पेंशन खाते में किया गया योगदान सम्मिलित हैं|

2. मकान किराये से आय

खुद के स्वामित्व वाले मकान के किराए से आमदनी को घरेलू संपत्ति से आय माना जाता है. एक से अधिक मकान होने की स्थिति में अगर मकान खाली है यानी उसमें कोई किराएदार नहीं है तो भी एक मकान को छोड़कर अन्य मकानों की अनुमानित आय आमदनी में जोड़ दी जाती है|

3. कारोबार या पेशे से आय

किसी कारोबार या पेशे से होने वाला लाभ, व्यापार के तहत प्राप्त किया ब्याज, साझेदारी के पार्टनर को me




मिला वेतन या बोनस आदि आते हैं|

4. पूंजीगत लाभ के रूप में आय

पूंजीगत लाभ के तहत कोई पूंजीगत संपत्ति की बिक्री से हुआ लाभ आता हैं| इसमें शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों तरह के पूंजीगत लाभ शामिल हैं.

5. अन्य स्रोत से आय

बैंक डिपॉजिट और सिक्योरिटीज पर मिला ब्याज, शेयरों पर मिले लाभांश, रॉयल्टी इनकम, लॉटरी या रेस जीतने और उपहार के रूप में मिली रकम को अन्य स्रोत से आय माना जाता है|[2]

संयुक्त अरब अमीरात

यहां व्यक्तिगत आय को अनुमानित नहीं किया जाता है। प्रवासी इम्पलॉई यूईए के सोशल इंश्योरेंस में कोई योगदान नहीं देते। यूईए के नागरिक मासिक सामाजिक सुरक्षा पेंशन में 12.5 फीसदी इम्प्लाई की बेसिक सैलरी और अलाउंस (निजी क्षेत्र के कर्मचारी) और 15 फीसदी हिस्सा सरकारी कर्मचारी के वेतन और अलाउंस से जमा किया जाता है। कर्मचारी को अपने कुल मासिक पारिश्रमिक का पांच फीसदी का योगदान देना होता है। यहां विदेशी बैंक और विदेशी तेल कंपनियों के कैपिटल गेन इनकम पर साधारण बिजनेस टैक्स ही लगाया जाता है।[3]

कतर

कतर के स्थानीय कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा पांच फीसदी की दर से लगता है और स्थानीय निवासियों के लिए 10 फीसदी लगता है, लेकिन यहां पर किसी भी व्यक्ति या कर्मचारी पर आयकर, डिविडेंड, कैपिटल गेन्स व धन या संपत्ति के ट्रांसफर पर कोई टैक्स नहीं है।[3]

ओमान

ओमान एक तेल उत्पादक देश है। यहां पर भी किसी व्यक्ति की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है। यह देश भी टैक्स हेवेन देशों की श्रेणी में शामिल है।[3]

कुवैत

यहां के टैक्स कानून के मुताबिक हर नागरिक को आयकर से मुक्ति मिली हुई है। हालांकि, सामाजिक सुरक्षा में योगदान देना न केवल सरकारी और निजी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है, बल्कि हर नागरिक को भी यह देना होता है।[3]

कैमैन आइलैंड

कैमैन आइलैड में एक ऐसा देश है, जहां न तो किसी को पर्सनल इनकम टैक्स देना होता है और न ही सामाजिक सुरक्षा के लिए फंड में योगदान। हालांकि, यहां की नेशनल पेंशन लॉ के मुताबिक प्रत्येक नियोक्ता को अपने कर्मचारी के लिए एक पेंशन स्क्रीम चलानी होती है, जिसमें वे प्रवासी भी शामिल हैं, जो लगातार नौ माह से यहां काम कर रहे हैं।[3]

बहरीन

बहरीन में कोई इनकम टैक्स नहीं देना होता है, हालांकि सोशल इंश्योरेंस और इम्प्लायमेंट टैक्स जरूर लगता है। बहरीन के नागरिकों को सोशल इंश्योरेंस टैक्स अपनी कुल आय का सात फीसदी देना देना होता है। बहरीन में नियोक्ता को अपने कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा कर 12 फीसदी की दर से जमा करना होता है।[3]

बरमूडा

इस छोटे-से देश में भी कोई पर्सनल इनकम टैक्स नहीं देना होता। नियोक्ता द्वारा एक पे-रोल टैक्स 14 फीसदी की दर से देना होता है। पे-रोल टैक्स का एक हिस्सा 5.25 फीसदी की दर नियोक्ता की सहमति से सरकार कर्मचारी से वसूली कर सकती है।[3]

बहमास

बहमास में भी कोई इनकम टैक्स नहीं है। यहां कैपिटल गेन, उत्तराधिकार या गिट टैक्स भी नहीं देना होता। यहां रियल इस्टेट एक्जीविशन टैक्स (स्टांप ड्यूटी) और होल्डिंग टैक्स (रियल प्रॉपर्टी टैक्स) लागू है।[3]

सऊदी अरब

सऊदी अरब में वेतन पर कोई टैक्स नहीं है। हालांकि, स्वयं का व्यवसाय करने वाले प्रवासियों पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। यहां पर किसी भी तरह का किसी व्यक्ति पर अन्य कोई टैक्स लागू नहीं है।[3]

ब्रुनई दारुस्सलाम

ब्रुनई दारुस्सलाम में किसी भी तरह का व्यक्तिगत आयकर नहीं देना होता। यहां एक इम्प्लाई ट्रस्ट फंड और सप्लीमेंटल कंट्रीब्यूटरी पेंशन स्कीम है। यहां अन्य कोई इंडिविजुअल टैक्स नहीं है।[3]


बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. "आयकर विभाग".
  2. "इनकम टैक्स की पूरी जानकारी". Chartered India.
  3. "करोड़ों रुपये सैलरी पर भी नहीं लगता है 1 रुपये टैक्स, फ्री में पढ़ता है पूरा देश". दैनिक भास्कर. २१ फ़रवरी २०१३. मूल से 25 फ़रवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 फ़रवरी 2013. नामालूम प्राचल |accesdate= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद)