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आबेल तास्मान

आबेल तास्मान की यात्रा का पथ

आबेल जैनजून तास्मान, (Abel Janozoon Tasman ; १६०३ - १६५९) डच नाविक, साहसिक अन्वेषक तथा व्यापारी थे। उनका स्थान १७वीं सदी के डच नाविकों तथा अन्वेषकों में सर्वश्रेष्ठ है। इन्होंने दक्षिणी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र का विशद भ्रमण किया और तस्मानिया, न्यूजीलैंड, फीजी तथा छोटे-छोटे अन्य द्वीपों, समुद्रों तथा खाड़ियों का अन्वेषण किया। टैजमन अन्वेषक तथा नाविक होने के अतिरिक्त कुशल मानचित्रकार भी थे। डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी (VOC) की सेवा में उनकी १६४२ से १६४४ की समुद्री यात्रा प्रसिद्ध है।

परिचय

आबेल तास्मान का जन्म नीदरलैंड के ग्रोनिंजेन क्षेत्र में लुजगास्ट (Lutjegast) नामक स्थान में हुआ था। सन् १६३४ में टैजमेन ने पूर्वी द्वीपसमूह में बैटेविया से अंबोयना तक की यात्रा की। २ जून, सन् १६३९ को इन्होंने उत्तर-पश्चिमी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र की यात्रा की। इस भ्रमण से इन भागों का विशद ज्ञान डचों को प्राप्त हुआ।

इन्होंने सन् १६४२ में तस्मानिया (Tasmania) का अन्वेषण किया। फिर पूर्व की ओर चलते हुए इन्होंने न्यूजीलैंड का पता लगाया। फिर उत्तर-पूर्वोत्तर चलकर टोंगा एवं फ्रेंडली द्वीप समूहों का पता लगाते हुए फरवरी, १९४३ में ये फीजी द्वीपसमूह के पूर्वी तट पर पहुँचे और न्यूगिनी के पश्चिमी तट से होते हुए लौट आए।

इन्होंने राह में कारपेट्रिया की खाड़ी का अन्वेषण किया और संभवत: उसका नामकरण भी। आगे की ओर आस्ट्रेलिया के उत्तर-पश्चिम तथा पश्चिमी भागों की २२ डिग्री दक्षिण अक्षांश तक यात्रा की।