आत्मनो मोक्षार्थं जगद्धिताय च
आत्मनो मोक्षार्थं जगद्धिताय च (हिन्दी अर्थ : स्वयं के मोक्ष के लिए तथा जगत के कल्याण के लिए), ऋग्वेद का एक श्लोक है। स्वामी विवेकानन्द प्रायः इस श्लोक को उद्धृत करते रहते थे और बाद में यह वाक्यांश रामकृष्ण मिशन का ध्येयवाक्य बनाया गया।
यह धेयवाक्य मानवजीवन के एक ही साथ दो उद्देश्य निर्धारित करता है- पहला अपना मोक्ष तथा दूसरा, संसार के कल्याण के लिए कार्य करना।