आखिर क्यों?
आखिर क्यों? जे ओम प्रकाश निर्देशित एवं निर्मित वर्ष 1985 की हिन्दी भाषा की भारतीय फ़िल्म है। इसमें राजेश खन्ना, स्मिता पाटिल, राकेश रोशन और टीना मुनीम ने अभिनय किया है।
आखिर क्यों | |
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निर्देशक | जे ओम प्रकाश |
अभिनेता | राजेश खन्ना राकेश रोशन स्मिता पाटिल असरानी सुजीत कुमार |
प्रदर्शन तिथि | 1985 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
पटकथा
निशा (स्मिता पाटिल) एक अनाथ थी, जिसे उसके रिश्तेदार ने गोद लेकर पाला पोसा था, उसकी एक ममेरी बहन इंदू (टीना मुनीम) भी थी। बड़े होने के बाद इंदू को एक अमीर और खूबसूरत लड़के कबीर (राकेश रोशन) से प्यार हो जाता है, लेकिन कबीर स्वच्छंद और आधुनिक ख्यालों की इंदू के बजाए आज्ञाकारी और घरेलू स्वभाव की निशा को पसंद करने लगता है और उससे शादी कर लेता है।
शादी के बाद निशा और कबीर के जीवन में सब अच्छा चल रहा होता है और निशा गर्भवती हो जाती है। निशा की मदद करने के लिए इंदू उनके घर आकर रहने लगती है। गर्भवती होने के कारण निशा कमरे में बंद होकर रह जाती है, और इधर इंदू और कबीर एक दूसरे के करीब आने लगते है और दोनों के बीच प्रेम शुरू हो जाता है। इन सारी घटनाओं से अनजान निशा एक बच्ची को जन्म देती है।
बच्ची के जन्म के बाद निशा को कबीर और इंदू के अवैध संबंधों के बारे में पता चलता है। निशा अंदर से टूट जाती है और कबीर और इंदू से सवाल करती है, लेकिन कबीर इंदू के साथ अपने रिश्ते को ख़त्म नहीं करना चाहता था, और वो निशा को अपने और इंदू के अवैध संबन्धों के साथ ताल-मेल बिठाने को कहता है। निशा मना कर देती है और अपनी बेटी को घर की आया को सौंपकर घर छोड़कर चली जाती है।
पुरुष-प्रधान समाज में अकेली समस्याओं से जूझती हुई निशा आलोक (राजेश खन्ना) से मिलती है, और दोनों में दोस्ती हो जाती है। आलोक मन ही मन निशा को पसंद करने लगता है, पर निशा सिर्फ अपने काम में ध्यान लगाए रहती है और जल्द ही एक सफल लेखिका बनकर उभरती है।
उधर कबीर और इंदू के बीच आकर्षण अब ख़त्म हो चुका था और उनकी आर्थिक स्तिथि भी कमजोर हो रही थी। इन विपरीत परिस्थितियों में उन दोनों को अपनी गलती का अहसास होता है।
निशा और कबीर की बेटी विवाह-योग्य हो चुकी थी, और कबीर आर्थिक तंगी की वजह से विवाह खर्च को लेकर चिंतित था। तब निशा कबीर को पैसे देकर उसकी मदद करती है। कबीर निशा से माफ़ी मांगता है और अपने किये पर पश्चाताप करता है, निशा कहती है- अब वह पुरानी सारी बातें भूलकर आगे बढ़ चुकी है और वह अब अपनी बेटी को अपनी ग़मगीन कहानी से अवगत कराकर उसे दुःख नहीं देना चाहती।
निशा की बेटी की शादी के बाद आलोक निशा से अपने रिश्ते की बात करता है, तब निशा सामजिक और रूढ़िवादी सोच की दुहाई देकर आलोक को मना कर देती है, तब आलोक प्रश्न करता है- "आखिर क्यों?" और निशा को समझाता है- जब वो अकेली अपनी समस्याओं से जूझ रही थी, तब समाज ने उसके लिए क्या किया? तो अब वो 'आखिर क्यों' समाज के बारे में सोचे? और अंत में आलोक और निशा एक हो जाते है।
कलाकार
- राजेश खन्ना – आलोक नाथ
- स्मिता पाटिल – निशा
- टीना मुनीम – इंदू शर्मा
- राकेश रोशन – कबीर सूरी
- असरानी – राधा रमन गोस्वामी
संगीत
गाना | गायक |
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"शाम हुई, चढ़ आयी रे" | लता मंगेशकर |
"दुशमन ना करे, दोस्त ने वो काम किया है" | लता मंगेशकर, अमित कुमार |
"सात रंग में खेल रही है दिलवालों की टोली रे" | अनुराधा पौडवाल, अमित कुमार |
"एक अंधेरा, लाख सितारे" | मुहम्मद अज़ीज़ |
"कोमल है, कमज़ोर नहीं तू" | आशा भोसले |