आँवला, उत्तर प्रदेश
आँवला Aonla City | |
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आँवला sahar उत्तर प्रदेश में स्थिति | |
निर्देशांक: 28°17′N 79°09′E / 28.28°N 79.15°Eनिर्देशांक: 28°17′N 79°09′E / 28.28°N 79.15°E | |
ज़िला | बरेली ज़िला |
प्रान्त | उत्तर प्रदेश |
देश | भारत |
ऊँचाई | 237 मी (778 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 55,629 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 243301 |
टेलीफोन कोड | 05823 |
वाहन पंजीकरण | UP 25 |
आँवला (Aonla) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बरेली ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]
जनसांख्यिकी
2001 की जनगणना के अनुसार यहाँ की कुल जनसंख्या 45,263 थी। इसमें पुरुषों की संख्या 52% और महिलाओं की 48% थी। इस शहर में विधिवत नगर पालिका है। यहाँ की औसत साक्षरता दर उस समय 79% थी जो राष्ट्रीय साक्षरता (59.5%) से काफी अधिक है। उस समय (2001 में) यहाँ 91% पुरुष और 69% महिलाएँ साक्षर थीं। कुल जनसंख्या का 15% उन बच्चों का था जिनकी आयु 6 वर्ष से कम थी।[3]
इतिहास
इस क्षेत्र में अत्यधिक संख्या में आंवले के पेड़ होने के कारण इस जगह का नाम आँवला पड़ा जो शुद्ध हिन्दी शब्द आमला का अपभ्रंश है।
रुहेलों के शासन काल (1730-1774) में यहाँ 1700 मस्जिदें व 1700 कुएँ हुआ करते थे। उस समय दुनिया के सबसे खूबसूरत शहर बुखारा में इसकी तुलना की जाती थी। सन् 1774 में अंग्रेजों व अवध (लखनऊ) के नवाब ने मिलकर आँवला को खूब लूटा और पूरी तरह से नष्ट कर दिया। सन् 1801 के बाद नेस्तनाबूद खण्डहरों पर यह शहर फिर से बसाया गया। सन् 1730 से 1774 तक आँवला रुहेलखण्ड रियासत की राजधानी रहा।
इतिहासकारों के अनुसार सन् 1200 के आसपास आँवला में दिल्ली के सुल्तानों का टकसाल था जहाँ सिक्के ढला करते थे। 500 वर्षो तक रुहेलों के आने से पूर्व आँवला कठेरिया राजपूतों का गढ़ हुआ करता था। उस समय यहाँ के जमींदार राजा कहलाते थे। यहाँ कठेरिया राजाओं में खड्गसिंह, हरसिंह देव व रामसिंह काफी प्रसिद्ध हुए।
दिल्ली के सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद ने सन् 1254, बलवन और जलालुद्दीन खिलजी ने सन् 1291 और फिरोजशाह तुगलक ने सन् 1379 से 1385 के मध्य यहाँ पर बड़ी सेनाओं के साथ आक्रमण करके राजपूतों को दबाया। दुर्जनसिंह यहाँ के अन्तिम राजा थे। सन् 1730 में रुहेलों ने आँवला पर अधिकार किया। रुहेलों के अली मोहम्मदखाँ, बख्शी सरदारखाँ और अहमदखाँ यहाँ के नवाब हुए।
अंग्रेजो ने इस शहर पर आक्रमण करके कब्जा कर लिया और आँवला के स्थान पर बरेली को रुहेलखण्ड का मुख्यालय बनाया। आँवला को केवल तहसील रहने दिया। सन् 1857 में आँवला 11 महीने अंग्रेजों से आज़ाद रहा। उस समय कल्लनखाँ यहाँ के नाजिम बने। सन् 1920 के बाद सभी स्वतन्त्रता आन्दोलनों में यहाँ की जनता ने हिस्सा लिया, यातनाएँ झेलीं और जेल भी गये।[4] आंवला के पास ही अरिल नदी है। वर्तमान में अरिल नदी सूख गई है और इसका अस्तित्व खतरे में है।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- आँवला की कहानी - एक झलक डॉ॰ राममनोहर लोहिया राजकीय महाविद्यालय आँवला-बरेली की वेबसाइट से
- प्रसिद्ध शिव मंदिर आंवला के ग्राम तिगराखानपुर में प्राचीन पांचाल प्रदेश के अवशेष आज भी मौजूद हैं जो आज टीले के रूप में इस गांव में देखे जा सकते हैं, गांव के मूल निवासी और पुलिस में सेवाएं दे रहे श्री अमित राज, श्री योगेन्द्र कुमार जी के द्वारा बताया गया है कि टीले पर कई साल पहले एक शिव लिंग स्वम प्रकट हुए थे जिसमे आसपास के ग्रामीणों की विशेष आस्था है और हर वर्ष शिव रात्रि को मेले का आयोजन किया जाता है और वर्तमान में यहां शिव मंदिर है जिसे अटरिया वाला शिव मंदिर कहा जाता है।
सन्दर्भ
- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
- ↑ "भारत की जनगणना २००१: २००१ की जनगणना के आँकड़े, महानगर, नगर और ग्राम सहित (अनंतिम)". भारतीय जनगणना आयोग. अभिगमन तिथि 2007-09-03.
- ↑ आँवला की कहानी - एक झलक Archived 2013-09-21 at the वेबैक मशीन अभिगमन तिथि: 28 दिसम्बर 2013