अवोगाद्रो का नियम
अवोगाद्रो का नियम गैस से सम्बन्धित एक नियम है जिसका नाम अमेदिओ अवोगाद्रो (Amedeo Avogadro) के नाम पर रखा गया है। इसे "अवोगाद्रो की परिकल्पना" (Avogadro's hypothesis) एवं "अवोगाद्रो का सिद्धान्त" के नाम से भी जाना जाता है। सन् १८११ में अवोगाद्रो ने यह परिकल्पना प्रस्तुत की, जो इस प्रकार है -
[[File:||H2O का उदाहरण-आवोगाद्रो का नियम]] H2O का उदाहरण-आवोगाद्रो का नियम |
- समान ताप व दाब पर सभी आदर्श गैसों के समान आयतन में कणों या अणुओं की संख्या समान होती है।
(Equal volumes of ideal or perfect gases, at the same temperature and pressure, contain the same number of particles, or molecules.) Class 11th NCERT ke anusar आवोगाद्रो का नियम सन 1811 में आवोगाद्रो ने प्रस्तावित किया कि समान ताप और दाब पर सभी गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या सामान होनी चाहिए उन्होंने परमाणु और अणु के बीच अंतर व्याख्या की जो आज आसानी से समझ में आती है यदि हम हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की जल बनाने की अभिक्रिया को दोबारा देखे तो यह कह सकते हैं कि हाइड्रोजन के दो आयतन और ऑक्सीजन का एक आयतन आपस में संयुक्त होकर जल के दो आयतन देते हैं और ऑक्सीजन लेश मात्र भी नहीं बचती
परिचय
सन् 1811 ई. में इटली के रसायनज्ञ आवोगाड्रो ने अणु और परमाणु में भेद स्पष्ट करते हुए बताया कि परमाणु किसी तत्त्व का वह सूक्ष्मतम कण है जो रासायनिक क्रिया में भाग लेता है और इसका स्वतंत्र अस्तित्व हो भी सकता है और नहीं भी। अणु पदार्थ का वह छोटे से छोटा कण हे जिसमें पदार्थ के सारे गुण विद्यमान हों और उसका स्वतंत्र अस्तित्व संभव हो।
आवोगाड्रो ने ही सर्वप्रथम कहा कि गैसों में केवल अणुओं का स्वतंत्र अस्तित्व संभव है न कि परमाणुओं का, इसीलिए गैस के आयतन को उसमें उपस्थित अणुओं से व्यक्त करना चाहिए। इस आधार पर आवोगाड्रो ने निम्नलिखित संबंध व्यक्त किया है :
- एक ही ताप और दाब पर सभी गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है।
प्रारंभ में इस संबंध को आवोगाड्रो की परिकल्पना कहा गया था लेकिन बाद में जब प्रयोगों द्वारा इसका परीक्षण किया गया तो इसे आवोगाड्रो का सिद्धांत कहा जाने लगा। और अब इसे 'आवोगाड्रो का नियम' कहते हैं। परमाणु सिद्धांत के संशोधन में तथा गेलुसाक के नियम की व्याख्या करने में इस नियम का उयपयोग हुआ है। तात्विक गैसों की परमाणुकता निकालने में, अणु भार ज्ञात करने में, गैसों के भार आयतन के संबंध को ज्ञात करने में तथा गैसों के विश्लेषण में इस नियम का उपयोग किया जाता है।
आवोगाड्रो की संख्या-किसी भी गैस के एक ग्राम अणु भार में अणुओं की संख्या समान होती है। इस संख्या को ही आवोगाड्रो की संख्या कहते हैं। विभिन्न विधियों से इसका मान 6.02x1023 निश्चित किया गया है। आवोगाड्रो की संख्या पांच विश्व स्थिरांको (युनिवर्सल कांस्टैंट) में से एक है। इसे रोमन अक्षर एन (N) से निरूपित करते हैं।
उदाहरण
हाइड्रोजन एवं नाइट्रोजन के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होगी यदि वे एक ही ताप व दाब पर रखीं हो तथा आदर्श गैस के समान व्यवहार कर रही हों। व्यवहार में वास्तविक गैसों के लिये यह नियम पूर्णत: सत्य नहीं है बल्कि "लगभग सत्य" है।
नियम का गणितीय रूप
- .
जहाँ:
- V गैस का आयतन है,
- n गैस की मात्रा है,
- k एक नियतांक है।
अवोगाद्रो के नियम का सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि आदर्श गैस नियतांक (ideal gas constant) का मान सभी गैसों के लिये समान होता है। अर्थात्
का मान सभी गैसों के लिये समान है, चाहे उनके कणों का आकार अथवा द्रव्यमान कुछ भी हो।
यहाँ:
- p गैस का दाब है,
- T गैस का ताप है।
किसी आदर्श गैस का एक मोल मानक ताप व दाब (standard temperature and pressure / STP) पर २२.४ लीटर स्थान घेरता है। इस आयतन को प्राय: आदर्श गैस का मोलर आयतन (molar volume) कहते हैं।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- एवोगाद्रो का नियम Avogadro's law at the University of Fribourg
- एवोगाद्रो का नियम Avogadro's law at the Royal Society of Chemistry