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अवरोधिनी

अवरोधिनी (sphincter) वे वृत्ताकार पेशियाँ हैं जो शरीर के विभिन्न मार्गों को प्रायः बन्द रखतीं हैं और आवश्यक होने पर उसे खोल देतीं हैं ताकि शरीर के कार्य सुचारु रूप से चलते रहें। मानव के अलावा ये अवरोधिनियाँ अन्य पशुओं में भी पायी जातीं हैं। मानव शरीर में ६० से अधिक प्रकार की अवरोधिनियाँ हैं, जिसमें से कुछ अत्यन्त सूक्ष्म हैं (जैसे लाखों केशिकापूर्व अवरोधिनियाँ (precapillary sphincters)। मृत्यु होने पर ये शान्त हो जातीं हैं। इनके द्वारा ही भोजन और मल आदि का अवरोध/निष्कासन किया जाता है।

शरीर की प्रमुख अवरोधिनियाँ

  • आंख की आइरिश की अवरोधिनी (pupillary sphincter)
  • नेत्र मंडलिका पेशी (orbicularis oculi muscle) जो आँख के चारों ओर होती है।
  • ऊपरी ग्रासनली अवरोधिनी (upper oesophageal sphincters)
त्रिकांत्र कपाट (ileocaecal valve) तथा अवरोधिनी
  • निचली ग्रासनली अवरोधिनी (lower esophageal sphincter, or cardiac sphincter) जो आमाशय के ऊपरी भाग में होती है। यह आमाशय के

अन्दर के अम्लीय पदार्थों (भोजन) को उल्टा ग्रासनली में नहीं आने देती।

  • जठर निर्गम संवरणी (pyloric sphincter) -- यह आमाशय के निचले छोर पर होती है।
  • मूत्रमार्ग की संवरणी (sphincter urethrae, or urethral sphincter) -- यह शरीर से मूत्र के निष्कासन को नियंत्रित करती है।
  • गुदाद्वार के पास दो अवरोधिनी हैं जो शरीर से मल के उत्सर्जन को नियंत्रित करतीं हैं। इसमें से आन्तरिक अवरोधिनी, अनैच्छिक है जबकि बाहरी अवरोधिनी ऐच्छिक है।
  • सूक्ष्म केशिकापूर्व अवरोधिनियाँ प्रत्येक केशिका में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करतीं हैं।