अवमन्दन
भौतिकी में उस प्रभाव को अवमन्दन (damping) कहते हैं जिसके कारण किसी कंपित होते हुए तंत्र के कंपनों का आयाम समय के साथ का कम होता जाता है।
किसी तंत्र को आन्दोलित करके छोड़ देने पर वह अपनी पूर्व स्थिति या नयी स्थाई-स्थिति में लौटता है। ऐसा अवमन्दन के कारण होता है। यदि अवमन्दन शून्य हो तो किसी वाह्य कारक के बिना भी वह तंत्र निरन्तर कम्पित होता रहेगा। ऐसे तंत्रों को अनावमन्दित (undamped) कहा जाता है। किन्तु अधिकांश तंत्रों में अवमन्दन शून्य नहीं होता बल्कि कुछ न कुछ मात्रा में अवमन्दन उपस्थित होता है। अवमन्दित तंत्र तीन प्रकार के हो सकते हैं -
- (१) अति-अवमन्दित (overdamped)- ऐसे तंत्र बिना किसी दोलन के ही अपनी स्थिर-स्थिति में पहुंचते हैं।
- (२) क्रान्तिक अवमन्दित (criticaly damped) - ऐसे तंत्र न्यूनतम समय में (शीघ्रातिशीघ्र) बिना किसी दोलन के अपनी नयी स्थिति में पहुंचते हैं।
- (३) अल्प अवमन्दित (underdamped) - ऐसे तंत्र दोलन करते हुए (अर्थात अन्तिम स्थिति के आगे-पीछे, उपर-नीछे, या कम-अधिक होते हुए) अन्तिम स्थिति को प्राप्त होते हैं।
साधारण अवकल समीकरण
भौतिकी और इंजीनियरी में बहुत सारे दोलनकारी निकायों को नीचे दिये गये दूसरे ऑर्डर के साधारण अवकल समीकरण द्वारा निरूपित किया जा सकता है।
- .
इसमें यदि कुछ प्राचलों को निम्नलिखित तरीके से परिभाषित करें-
- अमन्दित प्राकृतिक आवृत्ति (undamped natural frequency) : ;
- अवमन्दन गुणांक (डैम्पिंग फैक्टर) : .
तो उपर्युक्त अवकल समीकरण का रूप निम्नलिखित हो जाता है :
- .
इसके संगत हमें निम्नलिखित अभिलक्षणिक बहुपद (कैरेक्टरिस्टिक पॉलीनॉमिअल) प्राप्त होता है :
- ,
जिसके मूल,
- हैं।