अल-वासीक
अल-वासीक الواثق باللہ | |||||
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ख़लीफ़ा अमीर अल-मोमिनीन | |||||
ख़िलाफ़त ए अब्बासिया का 9 वां ख़लीफ़ा | |||||
शासनावधि | 5 जनवरी 842 – 10 अगस्त 847 | ||||
पूर्ववर्ती | अल मुत्तसिम | ||||
उत्तरवर्ती | अल मुतवक्कील | ||||
जन्म | 18 अप्रैल 812 मक्का | ||||
निधन | 10 अगस्त 847 (उम्र 35) सामर्रा (आधुनिक इराक में) | ||||
समाधि | |||||
संतान |
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राजवंश | अब्बासी | ||||
पिता | अल मुत्तसिम | ||||
माता | क़रातीस | ||||
धर्म | मुतज़ीली इस्लाम |
अबू जफर हारुन इब्न मुहम्मद (अरबी:أبو جعفر هارون بن محمد المعتصم 17 अप्रैल 812 - 10 अगस्त 847)को अल-वासीक बिल्लाह (الواثق بالله) के नाम से भी जाना जाता है। एक अब्बासी ख़लीफ़ा था जिसने 842 से 847 ईस्वी तक शासन किया। अल-वासीक एक शासक और एक व्यक्ति के रूप में अपेक्षाकृत अस्पष्ट है, और उनके शासनकाल को बड़े पैमाने पर उनके पिता द्वारा विस्तार किया हुआ माना जाता है। उनके शासनकाल की प्रमुख घटनाओं में 845 में हेजाज़ में बदूईन विद्रोह का दमन था और 846 में बग़दाद में एक निष्फल विद्रोह था। बाइज़ेंटाइन साम्राज्य के साथ संघर्ष जारी रहा, और अब्बासियो ने मौरोपोटामोस में भी महत्वपूर्ण जीत हासिल की, लेकिन एक विराम के बाद 845 में, युद्ध कई वर्षों के लिए बंद हो गया।
प्रारंभिक जीवन
अल-वासीक एक बीजान्टिन ग्रीक गुलाम अल-मुत्तसिम(उम्म वलद),क़रातीस का बेटा था। उनका जन्म 17 अप्रैल 812 को हुआ था (विभिन्न स्रोत 811-813 से पहले या बाद की तारीखों को बताते हैं)। [1][2] अपने दादा, ख़लीफ़ा हारुन अल रशीद (786–809),[3] के नाम पर उन्हें हारुन नाम दिया गया और उपनाम अबू जाफर था। [4]
सन्दर्भ
- ↑ Turner 2013, पृ॰ 219.
- ↑ Kraemer 1989, पृ॰प॰ 52–53.
- ↑ Zetterstéen, Bosworth & van Donzel 2002, पृ॰ 178.
- ↑ Kraemer 1989, पृ॰ 53.