अल-मसद्द
क़ुरआन |
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अल मसद या लहब : क़ुरआन का 111 वां अध्याय (सूरा) है। इस में 5 आयतें हैं.
नाम
इस सूरा के अरबी भाषा के नाम को क़ुरआन के प्रमुख हिंदी अनुवाद में इस सूरा के पहले शब्द को से ही सूरा अल-लहब [1]और प्रसिद्ध किंग फ़हद प्रेस के अनुवाद में सूरा अल्-मसद [2] नाम दिया गया है। आयत 1 में 'तब्बत' शब्द आने के कारण इस का तीसरा नाम सूरह तब्बत भी है। जिस का मतलब तबाह होना है।[3]
सूरह अल-मसद का अनुवाद
टूट जाए अबू लहब के दोनों हाथ और वह स्वयं भी विनष्ट हो जाए! (न उसका माल उसके काम आएगा और न वह कुछ जो उसने कमाया वह शीघ्र ही प्रज्वलित भड़कती आग में पड़ेगा, और उसकी स्त्री भी ईधन लादनेवाली, उसकी गरदन में खजूर के रेसों की बटी हुई रस्सी पड़ी होगी [4]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ सूरा अल-लहब',(अनुवादक: मौलाना फारूक़ खाँ), भाष्य: मौलाना मौदूदी. अनुदित क़ुरआन - संक्षिप्त टीका सहित. पृ॰ 1034 से.
- ↑ "सूरा अल्-मसद का अनुवाद (किंग फ़हद प्रेस)". https://quranenc.com. मूल से 23 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जुलाई 2020.
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में बाहरी कड़ी (मदद) - ↑ "111. सूरह अल-लहब | Tabbat Yada Surah Lahab in Hindi". पवित्र कुरआन » हिंदी अनुवाद. 4 अगस्त 2019. अभिगमन तिथि 21 मार्च 2023.
- ↑ Tanzil - Quran Navigator | القرآن الكريم. "अल-मसद". tanzil.net. अभिगमन तिथि 20 मार्च 2023.