अल-क़ारिया
क़ुरआन |
---|
![]() |
अल-क़ारिया : सुरः अल क़ारिया मक्का में नाज़िल हुई। यह क़ुरान की 101 नंबर की सूरा है, लेकिन नाज़िल होने के हिसाब से इसका नंबर 30 है। अल क़ारिया का मतलब "आपदा" या "क़यामत" है। [1] क़ारिया शब्द क़ार से बना है जिसका मतलब है "प्रहार" या "मारना" यानि क़ारिया मतलब एक के बाद एक प्रहार से आने वाली आवाज़, जिसे इस सुर: में खड़खड़ाने वाली आवाज़ कहा गया है। [2] इस सूरा में लोगों को बहुत बड़ी आपदा यानि क़यामत के दिन के बारे में बताया गया है। साथ ही इस बात के बारे में भी आगाह किया गया है कि इस दिन सिर्फ नेक अमल करने वाले लोग ही इस आपदा से बच पायेंगे।
सूरा अल क़ारिया का अर्थ [3]
अरबी भाषा | हिंदी अनुवाद |
---|---|
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ | शुरू करता हू अल्लाह के नाम से जो बहुत ज्यादा मेहरबान और निहायत रहम करने वाला है |
| 101:1 खड़खड़ाने वाली |
| 101:2 खड़खड़ाने वाली क्या है? |
| 101:3 और तूने क्या जाना खड़खड़ाने वाली क्या है? |
| 101:4 (वो क़यामत है) जिस दिन लोग ऐसे होंगे, जैसे बिखरे हुए पतंगे (यानि जैसे कि बारिश के बाद आने वाली रात में पतंगे मर कर बिखरे पड़े होते हैं, उसी तरह लोग भी पड़े होंगे) |
| 101:5 और पहाड़ ऐसे हो जायेंगे जैसे कि धुनी हुई रंग बिरंगी ऊन (यानि जैसे कि रुई को जब धुना जाता है तो उसके बारीक़ क़तरे ऊपर उड़ते हैं ऐसे ही अलग अलग रंग के पहाड़ उड़ रहे होंगे) |
| 101:6 तो जिसके आमाल (अच्छे कर्म) के वज़न भारी निकलेंगे |
| 101:7 वो दिल पसंद ऐश में (यानि मज़े में) होगा |
| 101:8 और जिस के वज़न (आमाल के) हल्के निकलेंगे |
| 101:9 उसका ठिकाना तो हाविया है |
| 101:10 और तुम क्या समझते हो कि यह हाविया क्या है |
| 101:11 ये दहकती हुई आग है |