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अल-इख़लास

अल-इख़लास (अरबी: سورة الإخلاص) (ईमानदारी), अत-तौहीद (سورة التوحيد) (मोनोथीइज़म या अद्वैतवाद)। यह क़ुरआन का 112 वां सूरा है। यह तौहीद, ईश्वर की पूर्णतया एकता का निरुपण है। इसमें ४ आयतें हैं। अल-इख़लास का अर्थ है "शुद्धता" या "परिशोधन", ईश्वर हेतु यानि शुद्ध एवं स्वामिभक्त रहना, या अपनी आत्मा से गैर-इस्लामी धारणा को अलग कर देना, जैसे द्वैतवाद, इत्यादि।

यह सूरा मक्की है या मदनी; यह अभी विवादित ही है। पहला विकल्प अधिक सही है।[1]

सूरा

इस सूरे में 4 आयतें हैं.

बिस्मिल्लाहिर रह्मानिर रहीम

1. क़ुल हुवल्लाहु अहद

2. अल्लाहुस समद

3. लम यलिद व लम यूलद

4. वलम यकुलहु कुफुवन अहद

सार

अल्लाह के नाम से जो परम कृपामय, असीम दयालु

1:- कह, वह अल्लाह एक है

2:- अल्लाह शाश्वत है

3:- उनको किसी ने नहीं जना और न ही किसीको उन्होंने जना

4:- कोई उसका समकक्ष नहीं है

अल-इख़लास के बारे में हदीस

सन्दर्भ

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 23 फ़रवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 मई 2008.

बाहरी कडि़याँ

विकिस्रोत में इस लेख से सम्बंधित, मूल पाठ्य उपलब्ध है:
पिछला सूरा:
अल-मसद्द
क़ुरआनअगला सूरा:
अल-फलक
सूरा 112-अल-इख़लास

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